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यूनुस अलवी
मेवात: नूॅह में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिये कि मांग को लेकर किसान कल्ब मेवात के बेनर तले मेवात के सैंकडों किसानों की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्ष्ता कल्ब के जिला अध्यक्ष तैयब हुसैन मेवली ने कि। बेठक के बाद मेवात के डीसी, कृषि विभाग मेवात के डिप्टी डारेक्टर और हरियाणा के कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। कृषि विज्ञान केंद्र के लिये जमीन देने को तैयार मेवात इलाके के विभिन्न गावों के प्रस्ताव भी ज्ञापन के साथ भेजे गये हैं।
मेवात किसान कल्ब के प्रधान तैयब हुसैन मेवली ने बताया कि नूॅह क्षेत्र के किसान कृषि व बागवानी आधुनिक तकनिकी जानकारियंा जानने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों में जाना पढता हैं। जिस वजह से हमें समय के साथ-साथ धन की भी काफी बर्बादी होती है। हमारे क्षेत्र के किसान गरीब व अनपढ हैं। जिसके कारण वो कृषि व बांगवानी व अन्य विभागों के तकनिकीयोंं के ज्ञान से बहुत दूर है। मेवात के किसानों का खेती-बाडी ही जीवन यापन का मुख्य स्त्रोत है। इन सभी बातों को मददे नजर रखते हुए नूॅह क्षेत्र के किसानों के विकास के लिए एक कृषि विज्ञान केंद्र की आवष्यकता हैं। इस केंद्र के लिए जहा तक स्थान की बात है। इस विषय के बारे में लिखा जाता है कि कृषि विज्ञान केंद्र के स्थान एेसी जगह पर होना चाहिए। जहॉ किसान आसानी से आ जा सकें। और कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक द्ववारा दिया जाना तकनिकी ज्ञान को आसानी से प्राप्त कर सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र के लिये कौन-कौन सी पंचायतों के पास जमीन उपलब्ध है
ग्राम पंचायत बडकालीमुददीन के पास 100 एकड जमीन, ग्राम पंचायत बडौजी के पास 55 एकड, ग्राम पंचायत नांगल मुबारिकपुर के पास 80 एकड, राजकीय बाग एवं नर्सरी पिनंगवां पर बागवानी विभाग के पास 56 एकड जमीन जो पिनंगवा कस्बा के पास है। नर्सरी सडक के साथ स्थित है।
कृषि विज्ञान केंद्र को कुछ राजनितिक निजी स्वार्थ उद्देश्य से तावडु ब्लॉक के गांव मोहम्मदपुर-अहीर में बनाने कि योजना का विरोध जताया उनका कहना है कि तावडू का गांव मोहम्मदपुर गुडगांव के नजीद है जिससे मेवात के किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। किसानों का कहना है कि तावडू में कृषि विज्ञान केंद्र बनाये जाने से नूॅह क्षेत्र के ब्लॉक पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, नगीना, नूॅह के किसानों के साथ धोका और अन्याय होगा। उन्होने मांग करते हुऐ कहा कि इसे नूंह बडकली के आपपास स्थापित किया जाये। जिससे यहॉ के किसान विभिन्न आधुनिक तकनिकी जानकारियों का लाभ उठा सकें।