हिंदु आध्यात्मिक एवं सेवा मेले की तैयारियों के तहत हिपा में हुई विशेष संगोष्ठी
“महिलाएं अब ज्यादा आत्मनिर्भर “
राजेंद्र चौहान
गुरुग्राम : फरवरी से लगने जा रहे हरियाणा के पहले हिंदु आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के तहत -महिलाओं को बढ़ावा- विषय पर हिपा संस्थान में रखी गई संगोष्ठी में प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों व प्रोफेसरों ने तीन घंटे से अधिक तक महिलाओं की स्थिति पर मंथन किया। जिसमें पाया कि धीरे-धीरे महिलाओं की स्थिति में सुधार आ रहा है। पहले के मुकाबले महिलाएं अब ज्यादा आत्मनिर्भर हो रही है।
मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद दिल्ली की एडिशनल एडवोकेट जनरल मोनिका अरोड़ा ने भी माना कामकाजी महिलाओं की स्थिति पहले के मुकाबले मजबूत हुई है और महिलाएं घर से निकलकर परिवार, आर्थिक व राजनीतिक रूप से भी सुदृढ़ हुई है। इस संगोष्ठी में सिरसा में स्थित देवीलाल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विजय कयात, जींद स्थिति सीआरएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मेजर जनरल रणजीत सिंह, आईटीटीआर की प्रोफेसर सुमन दलाल व हीरो मोटो कॉर्प के डा. राधा आर शर्मा सहित अनेक बुद्धीजीवियों ने महिलाओं की स्थिति खुल कर अपने विचार रखे और माना कि महिलाओं के विकास के बिना वर्तमान समाज की उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती।
संगोष्ठी में शिक्षाजगत, उद्योगजगत की हस्तियों व कानूनविद्धों सहित लगभग २०० लोगों ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष मोनिका अरोड़ा ने कहा कि अब समय तेजी से बदल रहा है। एक जमाना था जब औरतों को घर से निकलने पर पूरा परिवार घबराता था और असुरक्षा की भावना ज्यादा थी, लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है। यही कारण है कि हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाओं ने अपनी संस्कृति की रक्षा करते हुए आगे बढऩा सीखा है। देश को जब-जब जरूरत पड़ी देश की बेटियों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई है।
देवीलाल यूनिवर्सिटी के उप कुलपति प्रो. विजय कयात ने कहा कि भारतीय महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रही। उन्होंने कहा कि दो फरवरी से गुडग़ांव के लेजरवैली पार्क में लगने जा रहा रहा पहला हिंदु अध्यात्मिक एवं सेवा मेले में महिलाओं की इसी ताकत की झलक देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि झांसी की रानी और इससे पहले भी अनेक भारतीय महिलाओं ने अपने देश का सम्मान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों से लोहा लिया।
सीआरएस यूनिवर्सिटी के उप कुलपति ने कहा कि महिलाओं को इतिहास से सबक लेते हुए आगे बढऩा होगा। प्रोफेसर सुमन दलाल ने कहा कि कल्पना चावला हो या सुनिता विल्यम जैसी भारतीय मूल की महिलाओं ने तो अंतरिक्ष में पहुंचकर देश का मान बढ़ाया है। महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलने पर उन्होंने साबित किया है कि वे इसकी हकदार है। इस संगोष्ठी में मौजूद अन्य लोगों ने भी उपस्थित प्रोफेसरों, उद्योगपतियों व कानूनविद्दों से विषय से संबंधित सवाल जवाब किए गए। जिसमें अधिकांश की सहमति थी कि महिलाओं में जागरूकता लगातार बढ़ी है।