भारत की विकास गाथा के अग्रणी दूत प्रवासी : राष्ट्रपति

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प्रवासी भारतीय समुदाय विभाजित हो रहे हैं : वी के सिंह

पुर्तगाल के प्रधान मंत्री अंतोनियो कोस्टा सहित 30 प्रवासी भारतीयों को सम्‍मान 

बंगलूरू : राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को  बंगलूरू में 14वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्‍मेलन में विदाई भाषण दिया और प्रवासी भारतीयों को सम्‍मान पुरस्‍कार भी प्रदान किए। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने आशा व्‍यक्‍त की कि विश्‍वभर में फैले प्रवासी भारतीय हमेशा भारत की विकास गाथा के अग्रणी दूत रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि इन बेहतरीन पश्चिमी प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी के साथ ही इन लोगों की सभ्‍यता की जड़ें भारत के शाश्‍वत और अनंत लोकाचार से जुड़ी हुई है, इसलिए वे दो गुना धन्‍य है।

 

उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पश्चिमी और पूर्वी सभ्‍यता के साथ तालमेल से उन्‍हें असाधाराण स्‍थान और अवसर उपलब्‍ध होते हैं। इसमें उनकी मातृभूमि और उनके द्वारा अपनाये गए देशों का साझा ज्ञान महत्‍वपूर्ण है। वे अपने मेजबान देशों में भारत की छवि प्रदर्शित करने के साथ ही उनके द्वारा अपनाई गई भूमि की सांस्‍कृतिक विरासत भी भारत लाते है। ‘’वसुधैव कुटुम्‍बकम’’ के बारे में हमारे विश्‍वास का इससे बढि़या उदाहरण नहीं हो सकता है।

 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि जैसा कि हम राष्‍ट्रों के समुदाय में अपना योग्‍य स्‍थान प्राप्‍त करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है, वैसे ही हमें उत्‍कृष्‍टता और कुशाग्रता के दायरे में हमारी प्राचीन मजबूती को बरकरार रखने पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। रोजगार की तलाश में अस्‍थायी रूप से विदेश जाने वाले प्रवासियों का कौशल बढ़ाने की आवश्‍यकता पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। भारत सरकार के कौशल कार्यक्रमों के जरिए प्रवासी कामगारों में कौशल की कमी को दूर करने से उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही उनकी आय भी बढ़ेगी।

 

राष्‍ट्रपति ने अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के साथ भारतीय महिलाओं और लड़कियों के विवाह पर भी चिंता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि यहां तक कि सरकार और उसकी एजेंसियां इस समस्‍या से निपट रही है। लेकिन इस विशेष वर्ग की समस्‍याओं का सबसे प्रभावी निराकरण स्‍थानीय सामुदायिक संगठन कर सकते है। उन्‍होंने विदेशों के भारतीय सामुदायिक संगठनों से आग्रह किया कि वे इसके लिए  सरकार के प्रयासों में अपना सहयोग देते रहें।

 

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने पुर्तगाल के प्रधान मंत्री अंतोनियो कोस्टा सहित 30 प्रवासी भारतीयों को सम्‍मानित किया एवं विदेश नीति पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के चयनित भाषणों के संकलन का भी अनावरण किया। 

 

इससे पूर्व  प्रवासी भारतीय संगठनों के कामकाज पर चिंता प्रकट करते हुए विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने सोमवार को कहा कि वह महसूस करते हैं कि समुदाय विभाजित हो रहे हैं और उनके बीच अपने को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने की होड़ चल रही है।

सिंह ने कहा, ‘मुझे निजी आकांक्षाओं से दिक्कत नहीं है लेकिन समुदाय बंटते ही जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता था कि खाली यहां ही यह बात है कि यदि आप अपने घर से बाहर निकलते हैं तो लोग आपसे पूछते हैं कि आपकी जाति क्या है, यदि आप अपने गांव से बाहर निकलते हैं तो लोग पूछते हैं कि आपकी भाषा क्या है और पर, जब आप विदेश जाते हैं तब आप बस भारतीय होते हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि वहां भी हमारे बीच कई परस्पर विरोधी संगठन हैं।’

विदेश राज्यमंत्री ने यहां तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के अंतिम दिन ‘प्रवासी संगठन: दूरियों को पाटना, अवसरों को खोलना’ विषयक सत्र में कहा, ‘मुझे महसूस हुआ कि अपने को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने की होड़ चल रही है। मैं समझता हूं कि हमें इस पर बड़ी गंभीरता से गौर करने की जरूरत है।’ करीब 5000 संगठन होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तबतक कोई दिक्कत नहीं है जबतक वे एक ही दिशा में चल रहे होते हैं। समुदाय कल्याण मुख्य जिम्मेदारी होनी चाहिए और एक दूसरे से राजनीति करना ऐसी बात हो जिसे हम संभवत: कम से कम करें।

उन्होंने कहा, ‘हम पाते हैं कि (उनके बीच) मुद्दे हैं। (लेकिन) मेरा नम्र निवेदन है कि आपस में जुड़ जाएं और अधिकाधिक हासिल करें।’ मिशनों एवं प्रवासी भारतीयों या सामुदायिक संगठनों के बीच तालमेल के महत्व पर बल देते हुए सिह ने कहा कि वे जिस देश में रहते हैं या काम करते हैं, उनके और अपनी मातृभूमि के बीच मधुर संबंध सुनिश्चित करने में उन्हें भूमिका निभानी चाहिए।

 

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