मात्र 8 साल की लडकी का बना फर्जी राशन कार्ड
परिवार में सदस्य केवल तीन लेकिन राशन कार्ड में दिखा रखे हैं 13 सदस्य
यूनुस अलवी
मेवात : अब से पहले ये तो बहुत सुना था कि डीपू होल्डर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को राशन कई-कई महिने नहीं बांटते और उसे बाजार में बैचकर खा जाते हैं। लेकिन मेवात जिला के खण्ड पुन्हाना के गांव झारोकडी में बीपीएल परिवारों के नाम पर आने वाले राशन को कैसे हडपा जाता है, इसकी एक बानगी देखने को मिली। गांव के राशन कार्ड में फर्जी अधिक नाम डालकर करीब 327 लोगों का करीब 18 क्विंटल अनाज डकारा जा रहा है।
इस अनाज के बारे में भले ही अधिकारियों को जानकारी हो लेकिन कार्ड धारकों को इसका इल्म तक तक नहीं हैं। मसलन गांव झारोडी निवासी मोहम्मद रफीक कि पत्नि खातूनी के नाम बीपीएल का राशन कार्ड बना हुआ है। रफीक की आयू करीब 50 साल है लेकिन शादी के बाद कोई औलाद नहीं हुई है जिसकी वजह से उसने अपने भाई कि एक लडकी को गौद ले रखा है। खातूनी को डीपू होल्डर ने जो राशन कार्ड दे रखा है उसमें तीन सदस्य दिखाये गये जबकी खातूनी का ऑन लाईन राशन कार्ड नंबर 066002221034 निकाला गया तो उसमें खातूनी के कुल 13 सदस्य दिखाये गये हैं। जिनमें चार लडकी और सात लडके हैं। इसी तरह गांव निवासी जैनम विधवा है उसके पति की कई साल पहले मौत हो चुकी है।
शादी के बाद उसके केवल दो ही बेटे पैदा हुऐ जिनमें से एक बेटे का करीब तीन साल पहले मौत हो गई, यानि उसके केवल दो परिवार में सदस्य हैं लेकिन जब उसका भी ऑन लाईन राशन कार्ड निकाला गया तो जैनम के चार बेटी और 6 बेटे दर्ज किये हुऐ हैं। वहीं जैनम क पति का नाम शहीद है उसको भी 11 नंबर पर बेटा दर्ज किया हुआ है। इतना ही नहीं गांव के इसलाम के एक बेटा, बीवी सहित केवल तीन सदस्यों का परिवार है, उसके राशन कार्ड में भी 12 सदस्य दर्ज करा रखे हैं। फरीदा का परिवार केवल सात सदस्यों का है और उसमें 14 सदस्य दर्ज कर रखे हैं।
आठ साल कि लडकी का बना राशन कार्ड
गांव झारोकडी निवासी साबिर की मात्र आठ साल की बेटी गुलरेज के नाम पर ओपीएच का राशन कार्ड नंबर 066002205317 बना हुआ है। जिसमें कुल चार सदस्य दिखाये गये हैं। सदस्यों में पिता को पति, मां को बेटी और साबिर नाम को बेटा दिखाया गया है। वहीं गुलरेज का अपनी माता के बने राशन कार्ड नंबर 066002221063 में सीरियल नंबर सात पर नाम दर्ज है। वहीं गलरेज का दोनो राशन कार्डो में उसका आधार कार्ड नंबर 771328830574 दर्ज है जिससे साबित होता है कि दोनो जगह गुलरेज का ही नाम है।
अधिकारियों से शिकायत करते थक गये
गांव के सरपंच शब्बीर अहमद और नूरदीन ने बताया कि गांव का डीपू होल्डर अधिकारियों तक पहुंच के चलते कई-कई महिने गरीब लोगों को राशन नहीं बांटता था। इसकी उन्होने डीसी, डीएफएससी, एसडीएम, सीएम विंडों आदि में काफी शिकायत कि लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कि गई। सभी जांचों को खाद्दय एंव आपर्ति विभाग के अधिकारियों कि मिली भगत से उनको दबा दिया जाता था। उन्होने बताया कि अब उन्होने हार कर मेवात के चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट एंव जिला विधिक सेवाऐ प्राधिकरण के सचिव नरेंद्र सिंह को लिखित शिकायत दी है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा
गंाव के शब्बीर सरंपच ने बताया कि डीपू होल्डर ने पुराने राशन कार्ड तो लोगों को दे रखे हैं लेकिन जो ऑन लाईन लिंक हुऐ राशन कार्ड काफी समय से अपने ही पास रखे हुऐ हैं। उन्होने गांव के सभी लोगों के ऑन लाईन राशन कार्ड निकलवाये जिसके बाद ही उनको इस बडे घोटाले का पता चला। उनका कहना है कि गांव के करीब 327 फर्जी लोगों का नाम राशन कार्डो में दर्ज करा रखा है। जिसका वे अधिकारियों के साथ मिली भगत करके खाते हैं।
चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट ने कार्रवाई के लिये एसपी को भेजी शिकायत
मेवात के चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट एंव जिला विधिक सेवाऐ प्राधिकरण के सचिव नरेंद्र सिंह ने फोन पर बताया कि उनके पास गांव झारोकडी के कई लोग डीपू होल्डर के खिलाफ शिकायत लेकर आये थे। जिनमें से करीब एक दर्जन लोगों ने हल्फनामा भी दिये हैं। उनकी शिकायत वाजिब लगी है इसी वजह से उन्होने मेवात पुलिस कप्तान को जांच कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं।
क्या कहता है आरोपी पक्ष
डीपू होल्डर से जब उनके ऊपर लगे आरोपों के बारे में उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उसका भाई ऐडवोकेट नियाजू ने बताया कि उसने सरपंच का चुनाव लडा था जिसकी वजह से वे उनसे दूसरा पक्ष रंजिश रखता है, पार्टीबाजी के चलते ही उनके भाई के खिलाफ शिकायत कि जा रही है। सभी शिकायतों कि जांच खाद्दय एंव आपूर्ति विभाग कर चुका है जिसमें उनको निर्दोश करार दे दिया है।
क्या कहते है फूड विभाग के अधिकारी
खाद्दय एवं आपूर्ति विभाग पुन्हाना के इंस्पेक्टर कासिम खान ने फोन पर बताया कि उच्च अधिकारियों से झारोकडी मामले के जांच के आदेश आये थे। उन्होने बताया कि जो शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाये थे उनकी उन्होने अपने कार्यालय में मौजूद दस्तावेजों से जांच कि तो आरोप गलत पाये गये। वहीं उन्होने यह बात भी मानी कि उन्होने गांव में जाकर शिकायतकर्ताओं से कोई जांच नही की है।