चंडीगढ़ : हरियाणा के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थी भी जल्द ही आईआईटी की भांति अपने मूल कोर्स के साथ-साथ रूचि के अन्य विषय भी पढ़ सकेंगे, क्योंकि सभी विश्वविद्यालयों को ‘च्वाइस बेसड क्रेडिट सिस्टम’ को लागू करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार सिलेबस को विविधपूर्ण एवं समकालीन करने की भी तैयारी है।
उच्चतर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव ज्योति अरोड़ा ने ‘हरियाणा के उच्चतर शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता सुधार’ विषय पर आयोजित वर्कशॉप में प्रदेशभर के 16 विश्वविद्यालयों से आए प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन किया।
हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र व गुरू जंभेश्वर विश्वविद्यालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हिसार के सहयोग से वर्कशॉप आयोजित की गई। इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य यूजीसी द्वारा दिए गए प्रस्तावित ‘अध्ययन के परिणाम पर आधारित’ सिलेबस तैयार करने के लिए विचार-विमर्श करना था।
यूजीसी ने इस फ्रेमवर्क को तीन विषयों में आबंटित किया हुआ है। वर्कशॉप को भी तीन सत्रों में विभाजित करके इन तीनों विषयों पर विस्तार एवं गहनता से विचार सांझा किए गए। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्चतर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती ज्योति अरोड़ा ने की और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केसी शर्मा व गुरू जंभेश्वर विश्वविद्यालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार भी विशेष तौर पर उपस्थित थे।
श्रीमती अरोड़ा ने वर्कशॉप के उदघाटन सत्र पर कहा कि उच्चतर शिक्षण संस्थानों को अपने अध्यापकों के शैक्षिक प्रोग्राम में लगातार सुधार करके गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किसी कोर्स या प्रोग्राम के परिणामों को ध्यान में रखकर उच्चतर शिक्षा गुणवत्तापरक दी जानी चाहिए। उसी को देखकर ही अध्यापन कार्य, शैक्षिक कार्य व आंकलन करना चाहिए ताकि विद्यार्थी उनके लक्ष्य को हासिल कर सकें। उन्होंने कहा कि ऐसा सिलेबस पढ़ाया जाना चाहिए जिसके पढऩे या सीखने के बाद विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से भविष्य में सक्षम एवं सफल हो सकें।
उन्होंने विश्वविद्यालयों को अपने अध्यापकों के साथ सेमीनार आयोजित करने पर बल देते हुए कहा कि सिलेबस में ‘लर्निंग आऊटकम फ्रेमवर्क’ पर स्वीकृतियां बनानी चाहिएं और सभी विश्वविद्यालयों को ‘च्वाइस बेसड क्रेडिट सिस्टम’ को लागू करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए।
इस वर्कशॉप में 12 राज्य विश्वविद्यालय और 4 निजी विश्वविद्यालयों के लगभग 50 वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने भाग लिया.