नई दिल्ली /अमरावती । लगता है आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू का अब नरेन्द्र मोदी सरकार से उसी तरह मोह भंग हो गया जैसे पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से भी हुआ था. अब तक पीएम मोदी से गलबहियां करने वाले नायडू ने शुक्रवार को दावा किया कि 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने से तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) को कुछ हासिल नहीं हुआ। मिडिया की ख़बरों के अनुसार उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक की. साथ ही पार्टी सांसदों के साथ नियमित टेलीकांफ्रेंस में मोदी सरकार से अलग होने के बाद स्थिति की समीक्षा की। यह भाजपा से तेदेपा का यह विलगाव आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारण हुआ है.
खबर है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तेदेपा के दोनों केंद्रीय मंत्रियों पी.अशोक गजपति राजू और वाई.एस. चौधरी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
चर्चा जोरों पर है कि नायडू ने इस बैठक में कहा कि तेदेपा ने वर्ष 2014 में अकेले चुनाव लडऩे पर स्थानीय निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव और लोक सभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन करने के बावजूद उन्हें इतने ही वोट मिले। दूसरी तरफ तेदेपा के सांसदों ने भी सीएम नायडू को बताया कि संसद में कई पार्टियों ने मोदी सरकार से अलग होने के निर्णय का स्वागत किया है।
कई मंत्रियों और नेताओं ने दावा किया कि राज्य की 98 प्रतिशत जनता ‘सही समय पर सही निर्णय’ लेने की प्रशंसा कर रही है। खबर है कि नायडू की नजर अब राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले राजनीतिक बदलाव पर रहेगी. इसके लिए उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक टीम भी गठित की है । तेदेपा के लोकसभा सदस्य जे.सी. दिवाकर. रेड्डी ने मीडिया से साफ़ तौर पर कहा कि तेदेपा का भाजपा के साथ ‘तलाक’ पूरा हो गया।