— पत्राचार का जवाब नहीं मिलने पर कुलपति को सीधे करें सूचित
— वापसी मेल से अनुमोदन का दिया भरोसा
—- मुकदमे से बचने की सलाह, छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने पर जोर
— प्रधानाचार्यों की बैठक में घण्टों चला विकासात्मक मंथन
दरभंगा। सूबे के सभी सम्बद्ध शास्त्री व उपशास्त्री स्तर के कालेजों समेत वित्त पोषित संस्कृत कालेजों के प्रधानाचार्यों की बैठक को सम्बोधित करते हुए शुक्रवार को कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा ने स्प्ष्ट कहा कि कालेजों में छात्रों की उपस्थिति सुदृढ़ नहीं है। यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि संस्कृत है तभी हमसभी का अस्तित्व कायम है। इसलिए बेहतर होगा कि कॉलेज के सभी शिक्षक कम से कम दो-दो छात्रों को ही जतन से पढ़ाना शुरू कर दे तो पूरा माहौल ही बदल जायेगा और अपने विश्वविद्यालय की ख्याति पहले की भांति फिर से सर्वमान्य हो जाएगी।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कालेजों में शासी निकाय के जल्द गठन की कुलपति ने सलाह दी। ताकि शिक्षकों की चयन समिति से अनुशंसा प्राप्त कर सेवा स्थायी की जा सके। बहुउद्देश्यीय भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 5 व 6 फरवरी को मुख्यालय के शिक्षकों के लिए तथा 4 व 7 फरवरी को मुख्यालय में ही सम्बद्ध शास्त्री कालेजों के शिक्षकों के लिये चयन समिति बुलाकर अनुशंसा की पहल की जाएगी।
प्रधानाचार्यो द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब देते हुए वीसी ने साफ कहा कि अगर किसी पत्राचार का विश्वविद्यालय से ससमय प्रतिउत्तर नहीं मिलता है तो वे पूर्व के पत्रों की कॉपी लगाकर सीधे कुलपति को लिखें। प्रधानाचार्यों द्वारा शासी निकाय के अनुमोदन में अनावश्यक होते विलम्ब का मुद्दा उठाये जाने परकुलपति ने भरोसा दिलाया कि नियमानुकूल समिति गठित होने की मेल से सूचना दें और वापसी मेल में विश्वविद्यालय से अनुमोदन मिल जाएगा। जहां कहीं समिति गठन में परेशानी हो रही है वहां के प्रधानाचार्य या उनके प्रतिनिधि सीधे कुलपति से कार्यालय अवधि में सम्पर्क कर निदान कर सकते हैं। वीसी ने प्रधानाचार्यों से बेवजह मुकदमे के चक्कर में न पड़ने की सलाह दी। इससे विश्वविद्यालय व सरकार समेत वादी का समय व पैसा दोनों जाया होता है। उन्होंने कहा कि जो नियमानुकूल हक व हुक़ूक़ है वे सभी मिलकर रहेंगे।
छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए वीसी ने सुझाव दिया कि कॉलेज अपने आस पास के क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करे कि संस्कृत की पढ़ाई से रोजगार मिल सकते हैं। साथ मिश्रित पाठ्यक्रम शुरू करने की भी वकालत उन्होंने की। शिक्षकों की टीम बनाकर इस कार्य को आसानी से अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।वहीं कालेजों में पृथक महिला प्रसाधन की व्यवस्था करने को भी कहा गया।
—- अनवरत चलेगा संभाषण शिविर —
प्रधानाचार्य डॉ ब्रह्मानन्द चतुर्वेदी के सुझाव पर कुलपति ने कहा कि बहुत जल्द सप्ताह भर संस्कृत संभाषण शिविर का मुख्यालय में आयोजन किया जाएगा।यहीं खाने- पीने व आवास की व्यवस्था की जाएगी और विशेषज्ञों को भी बुलाया जाएगा। इसमें पहले प्रधानचार्यों को फिर अन्य शिक्षकों को शामिल करने की योजना है। इसके बाद विषयवार विशेष कक्षा भी चलाई जाएगी।
— पांच कालेजों में गुरुकुल व्यव्यस्था होगी दुरुस्त
प्रधानाचार्य एवम पूर्व कुलपति डॉ अरविंद कुमार पांडे के सुझाव पर पांच संस्कृत कालेजों में चल रही गुरुकुल व्यव्यस्था को सुदृढ़ करने पर कुलपति ने हामी भर दी है। तरेतपाली, सरौती, बसावकला, बौसी व पातेपुर के संस्कृत कालेजों बच्चे निःशुल्क भोजन आवास व शिक्षा ग्रहण केर रहे हैं।डॉ पांडे ने कहा कि इन कालेजों की व्यवस्था मजबूत कर संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं। वीसी ने इस मामले में ठोस कदम उठाने का भरोसा दिया है।
मालूम हो कि पूरे प्रदेश से आये करीब 54 प्रधानाचार्यों का स्वागत कुलसचिव डॉ शिवलोचन झा ने किया एवम बैठक की रूपरेखा पर विस्तार से फोकस डाला।