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चण्डीगढ़, 25 जुलाई ; हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) नियम, 2017 को मंजूरी दी गई। प्रारूप हरियाणा रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) नियम, 2017 जनसाधारण तथा अन्य हितधारकों से सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए 28 अप्रैल, 2017 को हरियाणा सरकार के राजपत्र में अधिसूचित किये गए थे। इस सम्बंध में प्रमोटरों और उनके संघों, आवंटी कल्याण संघों और निजी व्यक्तियों से 1874 सुझाव व आपत्तियां प्राप्त हुई। निदेशक, नगर एवं ग्राम आयोजना की अध्यक्षता वाली अधिकारियों की एक कमेटी द्वारा इन सभी सुझावों व आपत्तियों की जांच की गई।
इन नियमों को अंतिम रूप देते समय निम्नलिखित सिद्धांतों पर विचार किया गया:-
1) जहां भी रेरा अधिनियम में इस्तेमाल किया गया शब्द रेरा अधिनियम के साथ ही प्रासंगिक हरियाणा अधिनियम या नियमों में परिभाषित किया गया है लेकिन दोनों परिभाषाएं मेल नहीं खाती तो अंतिम नियमों में उस शब्द को उसी अर्थ में परिभाषित किया जाना चाहिए, जो अर्थ इसका हरियाणा अधिनियम/नियमों में है।
2) कोई शब्द जिसका प्रयोग किया गया है परंतु रेरा अधिनियम या अन्य प्रासंगिक हरियाणा अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, उसे अंतिम नियमों में परिभाषित किया जाना चाहिए।
3) अंतिम नियमों में केन्द्रीय अधिनियम कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।
4) अधीनस्थ विधान होने के कारण, नियम बनाने की इस कवायद का प्रयोग किसी भी अस्पष्टता को दूर करने या किन्ही संदेहास्पद क्षेत्रों को स्पष्ट करने के लिए किया जा सकता है।
अंतिम नियमों की विशेषताएं:-
(ए) ‘‘कारपेट एरिया’’ और ‘‘फ्लैट’’ की परिभाषाओं का विलोप।
(बी) स्ट्रक्चरल इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट के निरीक्षण व परामर्श की लागत, ऋण तथा वित्त आदि घटकों का निर्माण (जैसा कि नियम 4(4) के तहत परिभाषित है) की लागत से सम्बंधित परिभाषा से विलोप।
(सी) एचडीआरयू एक्ट, 1975 में परिभाषित शब्दों ‘‘बाहरी विकास कार्यों’’ और ‘‘आंतरिक विकास कार्यों’’ की परिभाषा में संशोधन।
(डी) शब्द ‘‘चालू परियोजना’’ की परिभाषा में संशोधन का अभिप्राय ऐसी परियोजना से है, जिसके लिए एक मई, 2017 को या इससे पहले हरियाणा शहरी क्षेत्र का विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 के तहत विकास के लिए लाईसैंस जारी किया गया था और जहां उक्त तिथि को विकास कार्य पूरे होने थे परंतु (1) जिसके लिए इन नियमों के प्रकाशन के समय या इससे पहले हरियाणा शहरी क्षेत्र का विकास एवं विनियमन नियम, 1976 या हरियाणा भवन संहिता, 2017 की उपसंहिता 4.10, जैसा भी मामला हो, के तहत सक्षम प्राधिकारी को आवेदन किया गया हो और (2) किसी परियोजना के उस हिस्से को इन नियमों के प्रकाशन के समय या उससे पहले आंशिक पूर्णता/पूर्णता या कब्जे का प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया हो।
ई) अपनी परियोजना के पंजीकरण के लिए प्रमोटर द्वारा रेरा को प्रेषित की जाने वाली सूचना और आवश्यक दस्तावेजों से सम्बन्धित नियम 3(1) में क्रम संख्या ए से जी सात आइटम को शामिल करना।
एफ) नियम 3(2) के अनुसार प्रमोटर को निम्र रूप से पंजीकरण फीस अदा करनी होगी।
प्रयोक्ता की श्रेणी हाइपर/उच्च क्षमता-1 एवं 2 मध्यम/निम्र क्षमता
रिहायशी/औद्योगिक 10 5
वाणिज्यिक/साइबर पार्क 20 10
टिप्पणी :-
1. जोन की श्रेणी जैसे हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 के नियम 1976 में लाइसैंस फीस की दर का उल्लेख करने वाली अनुसूची में परिभाषित है।
2. रिहायशी/औद्योगिक प्लाटिड कालोनी के मामले में दर कालोनी के कुल क्षेत्र के लिए लागू होगी।
3. ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक/साइबर पार्क के मामले में दरें 100 एफएआर के लिए हैं और अधिक एफएआर के लिए अनुपातिक रूप से अधिक होंगी।
जी) नियम 4(5) शामिल – परियोजना जिसमें आवेदक ने हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास और विनियमन नियम 1976 के नियम 16 या हरियाणा बिल्डिंग कोड, 2017 के उप कोड 4.10 के तहत इन नियमों के प्रकाशन की तिथि को या इससे पहले सक्षम प्राधिकरण को आवेदन किया है, लेकिन सक्षम प्राधिकरण द्वारा 31 जुलाई, 2017 को या इससे पहले या बाद में हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास और विनियमन नियम 1976 के तहत भाग पूरा होने/पूर्णत: प्रमाणपत्र या हरियाणा बिल्डिंग कोड, 2017 के उप कोड 4.10 के तहत कब्जा प्रमाणपत्र देने से इन्कार कर दिया जाता है, तो प्रमोटर को ऐसी मनाही का पत्र प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर परियोजना के पंजीकरण के लिए सक्षम प्राधिकरण को आवेदन करना होगा।
एच) धारा 5 के तहत पंजीकरण करने या न करने से सम्बन्धित नियम 5(1) में संशोधन – (क) सक्षम प्राधिकरणों द्वारा प्रमोटर को प्रदान किया गया लाइसैंस तथा अन्य स्वीकृतियां ऐसे पंजीकरण के समय वैध होंगी। (ख) यदि ऐसे पंजीकरण का निर्धारित समय लाइसैंस की वैध अवधि के बाद है तो प्रमोटर समय रहते शेष अवधि के लिए लाइसैंस/स्वीकृति को रिन्यू करवाएगा।
आई) प्रमोटर और आबंटी द्वारा देय ब्याज – प्रमोटर द्वारा आबंटी को या आबंटी द्वारा प्रमोटर को देय ब्याज की दर भारतीय स्टेट बैंक उच्चतम मार्जनल कॉस्ट का लेंडिंग रेट जमा दो प्रतिशत होगी। यदि भारतीय स्टेट बैंक मार्जनल कॉस्ट का लेंडिंग रेट इस्तेमाल में नहीं है तो उसे ऐसे बैंचमार्क लेंडिंग रेट से बदला जाएगा, जिसे भारतीय स्टेट बैंक आम जनता को लेंडिंग के लिए समय-समय पर निर्धारित करेगा।
जे) कारावास के साथ दण्डनीय अपराध के लिए देय जुर्माना और नियम एवं शर्तें
अपराध अपराध के लिए अदा की जाने वाली राशि
धारा 59 की उपधारा (2) के तहत कारावास के साथ दण्डनीय रियल एस्टेट परियोजना की अनुमानित लागत का 5 से 10 प्रतिशत
धारा 64 के तहत कारावास के साथ दण्डनीय रियल एस्टेट परियोजना की अनुमानित लागत का 5 से 10 प्रतिशत
धारा 66 के तहत कारावास के साथ दण्डनीय रियल एस्टेट परियोजना, जिसमें खरीद या बिक्री की सुविधा दी गई हो, के प्लाट, अपार्टमैंट या भवन, जैस भी मामला हो, की अनुमानित लागत का 5 से 10 प्रतिशत
धारा 68 के तहत कारावास के साथ दण्डनीय प्लाट, अपार्टमैंट या भवन, जैस भी मामला हो, की अनुमानित लागत का 5 से 10 प्रतिशत