1229 शिल्पकारों ने भाग लिया जबकि 224 अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों ने समां बांधा
धर्मेन्द्र यादव
फरीदाबाद : हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने आज फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में आयोजित ३१वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला के समापन की अधिकारिक घोषणा की। राज्यपाल समापन अवसर व पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि थे।
इस अवसर पर झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू विशिष्ट अतिथि थी। हरियाणा के पर्यटन मंत्री रामबिलास शर्मा, पर्यटन विभाग की मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा, भागीदार देश मिस्र के राजदूत हेतम तिगलदिन , उजबेकिस्तान दूतावास से राजदूत असलम अकवारोव, किर्गीस्तान दूतावास से राजदूत मैकसवैल रंगा और पर्यटन विभाग से जुडे वरिष्ठ अधिकारी जिनमें झारखण्ड पर्यटन के सचिव राहुल शर्मा, झारखण्ड पर्यटन के निदेशक बाघवारा प्रसाद कृष्णा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
विभिन्न देशों और राज्यों से आए हुए कलाकारों ने आए हुए सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत ढोल-नगाडों के साथ नृत्य करके किया।
हरियाणा पर्यटन के प्रबंध निदेशक तथा सूरजकुण्ड मेला प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक समीरपाल सरो ने मुख्य अतिथि तथा आए हुए सभी अतिथियों को गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मेला को सुचारू व सुगत तरीके से आयोजित किया गया और इस बार मेला में कई नई पहलों के साथ कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
हरियाणा सरकार के पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वी एस कुण्डू, जो सूरजकुण्डू मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी हैं, ने ३१वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले की रिपोर्ट पढी और मेला में पूरी दुनिया से आए कलाकारों व उनकी कला तथा शिल्प की जानकारी दी।उन्होंने बताया कि इस बार २२ देशों के २०२ कलाकारों ने भाग लिया जिनमें न्यूजीलेण्ड, बेलारुस, आरमेनिया, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बावें, मंगोलिया, कम्बोडिया ने पहली बार मेला में शिरकत की।
वी एस कुण्डू ने कहा कि इस साल मेला में १२२९ शिल्पकारों ने भाग लिया और मेला के दौरान चौपाल पर २२४ अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों ने अपने-अपने देश का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम डिजीटल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ और स्वच्छ भारत अभियान का मेला में अनुसरण किया गया। उन्होंने कहा कि कुरूक्षेत्र का धरोहर संग्रहालय ने हरियाणा के अपना घर में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अतिरिक्त, मेला के माहौल व वातावरण तथा आभा को तैयार करने के लिए जानी-मानी एजेंसी को रखा गया जिसने मेला में आने वाले आंगतुकों के लिए विभिन्न प्रकार के ंिबदूओं को तैयार किया जैसे कि इस मेले में पहली बार सैल्फी बिंदू तैयार किए गए। मेला में आने के लिए बुक माय शो के माध्यम से आनलाईन व आफलाईन टिकटों की व्यवस्था की गई। यह पहली बार हैं जबकि बुक माय शो के माध्यम से किसी कार्यक्रम के लिए यह व्यवस्था की गई थी।
हरियाणा के पर्यटन मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि इस मेले में २२ देशों ने भाग लिया जो एक रिकार्ड हैं। श्री शर्मा ने हरियाणा पर्यटन, सूरजकुण्ड मेला प्राधिकरण, भागीदार देश, थीम राज्य, जिला प्रशासन, हरियाणा पुलिस और मीडिया कर्मियों को मेला को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मेला में विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकारों, शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए शिल्प व हथकरघा की वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए यह मेला एक अच्छा मंच प्रदान करता है।
झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मूृ ने कहा कि यह झारखण्ड के लिए सम्मानजनक था कि झारखण्ड को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए सूरजकुण्डू मेला में थीम राज्य के रुप में चुना गया, जिसमें ३५० कलाकारों के साथ-साथ ८७ शिल्पियों ने अपनी कला का मेला में प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि झारखण्ड ने इस मेला को यादगार बनाने के लिए एक गेट का निर्माण किया है और इसके अलावा तीन ओर गेट बनाए गए हैं जो झारखण्ड की छटा बिखरते हैं। वहीं फूड कोर्ट में झारखण्ड के व्यजंनो का आनंद भी लोगों के लिए रखा गया। उन्होंने झारखण्ड सरकार के सभी विभागों के अधिकारियों की प्रशंसा की और विशेष तौर पर पर्यटन विभाग के अधिकारियों काफी तारीफ की जिन्होंने झारखण्ड की कला, संस्कृति और शिल्प को यहां पर प्रदर्शित करने में मेहनत की। उन्होंने मेला में झारखण्ड को दिए गए सहयोग के लिए हरियाणा सरकार का धन्यवाद किया।
हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि ३१वें सूरजकुण्डू अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला के सफल आयोजन के लिए हार्दिक धन्यवाद व प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरती को महाभारत के नाम से जाना जाता है और सूरजकुण्डू अंतर्राष्ट्रीय मेला के आयोजन से हरियाणा दुनिया के मानचित्र पर एक फिर से छा गया है। यह मेला देशों को आपस में जोडने के लिए एक उपयुक्त मंच हैं और इस मेले ने देशभर के सभी मेलों को पीछे छोड दिया हैं। प्रो. सोलंकी ने कहा कि हरियाणा दिन-प्रतिदिन विकास की राह पर आगे बढ रहा है। उन्होंने हरियाणा पर्यटन, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, सूरजकुण्ड मेला प्राधिकरण को सफल मेला आयोजित करने के लिए बधाई दी। इसके पश्चात, उन्होंने ३१वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में ज्यूरी द्वारा चुने गए सर्वश्रेष्ठ शिल्पियों को पुरस्कृत किया।
राज्यपाल ने परम्परागत श्रेणी में उतर प्रदेश के मोहम्मद मतलुब को बुड कार्विंग के लिए पुरस्कृत किया, जिनका स्टाल नंबर- १२२१ हैं।
उन्होंने कला रत्न श्रेणी में ओडिसा के निरंजन मोहराना को पटाचित्रा कला के लिए पुरस्कृत किया जिनका स्टाल नंबर-१०४० हैं।
राज्यपाल ने कलामणि श्रेणी में राजस्थान के लक्ष्मी लाल कुमहार को टेरोकोटा के लिए परस्कृत किया जिनका स्टाल नंबर-१२२४ हैं, छतीसगढ के भुवनेशवर को साडी डे्रस मैटिरियल के लिए पुरस्कृत किया जिनका स्टाल नंबर-७६२ हैं। स्टाल नंबर-१०२२ छतीसगढ के ढाणीराम झोरक को ढोकरा आर्ट, स्टाल नंबर-१२१६ राजस्थान के रुप किशोर सोनी को सिल्वर एन्ग्रेविंग, स्टाल नंबर-११०३ कर्नाटका के एस. मनोहर को लैदर पपेट तथा स्टाल नंबर-१२१४ उतर प्रदेश के गोदावरी सिंह को बुडन खिलौनों के लिए कलामणि पुरस्कार से पुरस्कृत किया।
प्रो. सोलंकी ने कलानिधि श्रेणी में पांच पुरस्कार दिए जिनमें स्टाल नंबर-१६२ झारखण्ड के मुंगल महाली को बैंबू के लिए, स्टाल नंबर-११८२ वेस्ट बंगाल के कोहोकोन नांदी को झमदानी साडी के लिए, स्टाल नंबर-एफसी १४ सिरिया के हलालकीनेया को बुड तथा टैकसटाइल के लिए, स्टाल नंबर- एफसी २४ नेपाल के तेज नारायण राम को शॉल के लिए तथा स्टाल नंबर-१२२९ तेलंगाना के मोहम्मद गुलाम को कॉटन दरी के लिए पुरस्कृत किया गया।
राज्यपाल ने कला श्रेणी में चार शिल्पियों को पुरस्कार दिए जिनमें स्टाल नंबर-१५१ झारखण्ड की खोरी देवी को मधुबनी के लिए, स्टाल नंबर-९८८ हरियाणा की श्रीमती ललिता चौधरी को खादी के लिए, स्टाल नंबर-१५० झारखण्ड के जोगेश्वर मिस्त्री को मास्क के लिए तथा स्टाल नंबर-९२२ हरियाणा की निशा को स्टोन डस्ट पेंटिंग के लिए पुरस्कृत किया गया।