भाद्रपद अमावस्या के अवसर पर अग्रवाल सभा के पधाधिकारियों ने की भगवान अग्रसेन की पूजा अर्चना

Font Size
चरखी दादरी, 15 सितम्बर। नगर की प्रसिद्ध स्वयंसेवी समाजिक संस्था अग्रवाल सभा द्वारा अग्रवाल भवन सोसायटी, नजदीक रामलीला मैदान, शहर चरखी दादरी के मुख्य द्वार पर विराजमान अग्र शिरोमणि अग्रकुल वंशज भगवान अग्रसेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण व दीप प्रज्ज्वलित करके आरती वंदना की गई। इस अवसर पर नगर की अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि व नगर वासी उपस्थित रहे। शुक्रवार के कार्यक्रम में भगवान अग्रसेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण अग्रवाल सेवा संघ के पूर्व प्रधान बिसम्बर देवसरिया व दादरी नगर व्यापार मंडल के प्रधान सुरेश पांडवानिया ने माल्यार्पण किया। हरीराम खुडानिया व अग्रवाल भवन के प्रधान अशोक गोयल ने दीप प्रज्जलन व अग्रवाल सभा के प्रधान बलराम गुप्ता व श्रवण गुप्ता, रेखराज देवसरिया ने भगवान अग्रसेन को तिलक लगाया। अग्रवाल भवन परिसर में विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा अर्चना की गई।
कार्यक्रम में अग्रवाल सभा के प्रधान बलराम गुप्ता व अग्रवाल सभा के प्रवक्ता विनोद गर्ग ने बताया कि भाद्रपद अमावस्या की तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। भाद्रपद अमावस्या कुशोत्पाटिनी पिठौरी अमावस्या विशेष हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि पितरों की आत्म, शांति, दान पुण्य और काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है। चूंकि भाद्रपद अमावस्या श्रीकृष्ण की भक्ति का महीना होता है इसलिए भाद्रपद अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एराग्रोस्टिस साइनोसूरोइड्स है।
भाद्रपद अमावस्या भादो महीने में पड़ने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या, कुशोत्पाटिनी अमावस्या, पिठोरी अमावस्या या भाद्रपद अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरे देश में लोग पवित्र सरोवर व नदियों में स्नान करते है तथा पाठ पूजा, अनुष्ठान करते है तथा दान पुण्य करते है। भाद्रपद अमावस्या वाले दिन योग व पूर्वोफाल्गून नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है। हिन्दू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे घर के दरवाजे पर लगाया जाता है। भाद्रपद अमावस्या के दिन घर में चांदी का स्वास्तिक लाना भी अति उत्तम माना गया है।
भाद्रपद अमावस्या के दिन घर में एकाक्षी नारियल लाने से माता लक्ष्मी खुश होती है। जिस घर में श्रीफल होता है वहां लक्ष्मी वास करती है। इस दिन जातक कालसर्प दोष व पितृदोष की मुक्ति के भी कई उपाय किए जाते है। भाद्रपद अमावस्या के कुछ दिन बाद से ही पितृपक्ष की शुरुआत होती है। हिन्दू शास्त्रों में भाद्रपद अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म के लिए अति उत्तम माना गया है। इस दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में वक्रीय अवस्था में संचरण करते है। भाद्रपद अमावस्या के दिन मां दुर्गा समेत 64 देवियों की आटे की आकृति बनाकर पूजा अर्चना की जाती है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में बलराम गुप्ता, सुरेश ऐरण, नवल-किशोर बधवानिया, विनोद जैन, ललीत महाजन, जगदीश प्रसाद ऐरण, राजेश कुमार अन्नी, पवन गुप्ता, राकेश गुप्ता, निरंजन लाल, मितेश कान्होरिया, संजय कानेजर, आनन्द गुप्ता, बाबुराम, हरीराम बबलु, जितेन्द्र गोयल, दीपक बागला, अनुज मित्तल, संतोष जैन, सावित्री गर्ग, शशी बागला, गीता मित्तल, मंजु बधवानिया, कोमल गर्ग, अनिता बागला, रेणु सिंघल व डिम्पल ऐरण इत्यादि का भरपूर योगदान रहा।

You cannot copy content of this page