सुशीला शिवराण की रचना ‘देह जुलाहा हो गई’ का लोकार्पण

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 पद्‌मश्री डॉ० रमाकांत ने किया लोकार्पण

आर एस चौहान 

 गुरुग्राम :  गुरुग्राम की प्रख्यात कवयित्री सुशीला शिवराण के दोहा-संग्रह ‘देह जुलाहा हो गई’ का लोकार्पण पद्‌मश्री डॉ० रमाकांत शुक्ल द्वारा किया गया ।सेक्टर 29 के जिमखाना क्लब में आयोजित एक भव्य समारोह में आकाशवाणी दिल्ली के पूर्व उपमहानिदेशक  लक्ष्मी शंकर वाजपेई, दूरदर्शन के कार्यक्रम निदेशक डॉ० अमरनाथ अमर, प्रसिद्‌ध पत्रकार, मीडियाकर्मी उमेश जोशी, अंतर्राष्‍ट्रीय कवि नरेश शांडिल्य, प्रसिद्‍ध समाजसेविका डॉ० मृदुला सतीश टंडन, ख्यातिप्राप्‍त कथाकार मुकेश शर्मा और प्रसिद्‍ध कवि समोद सिंह चरौरा भी मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शानदार संचालन डॉ० अल्पना सुहासिनी ने किया।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता पद्‌मश्री डॉ० रमाकांत शुक्ल ने की। श्री शुक्ल ने दोहा-संग्रह की विस्तार से विवेचना करते हुए दोहों के भाव, कला और व्याकरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने दोहा-संग्रह को नैसर्गिक काव्य का संग्रहणीय दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य प्रेमी इस संग्रह से निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे।
लक्ष्मी शंकर वाजपेई ने कहा कि सुशीला जी के दोहों का भूगोल बहुत विस्तृत है – भक्ति, प्रकृति, स्वदेश, घर-संसार, पर्यावरण, आतंकवाद, डिज़िटल वर्ल्ड समेत जीवन का कोई भी विषय इनकी कलम से अछूता नहीं है। डॉ० अमरनाथ अमर ने कहा कि बरसों बाद इतने सार्थक दोहा-संग्रह को पढ़ने का मौका मिला इसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है।

 

उमेश जोशी ने कहा कि इस विधा में सुशीला जी ने लिख कर कबीर और रहीम के पास पाठक को खड़ा कर दिया। डॉ० मृदुला सतीश टंडन ने कहा कि जैसे ही मुझे पुस्तक मिली मैं उसे पूरी पढ़े बिना छोड़ न पाई और मुझे इनके दोहों में वे अभावग्रस्त चेहरे नज़र आए जिनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अक्सर मैं झुग्गी और बस्तियों में जाती हूँ।
मुकेश शर्मा जी ने कवयित्री को एक ऐसा सितारा बताया जो स्वयं अपने प्रकाश से चमकता है। समोद सिंह चरौरा ने कहा कि एक पाठक के रूप में जब मैंने इस दोहा संग्रह को पढ़ा तो सुशीला जी के भाव और कला पक्ष ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया और कितने ही दोहों को मैंने उद्‍धृत करने की श्रेणी में पाया।
इस अवसर पर दिल्ली के मशहूर गायक जगदीश भारद्वाज जी ने दोहों को जब अपने मधुर स्वर में गाया तो सभी श्रोता झूम उठे।
लोकार्पण समारोह को दिल्ली, गाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद और द्‍वारका से पधारे साहित्यकारों ने गरिमामयी और सफल बनाया।
देह जुलाहा हो गई में 395 दोहे हैं और इसे अयन प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस अवसर पर पुस्तक में प्रकाशित दोहों की सीडी का भी विमोचन किया गया। देह जुलाहा हो गई संग्रह गुड़गांव साहित्य जगत में मील का पत्थर साबित होगा।

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