हथकरघा उत्पादन को 3 वर्षों में 60,000 करोड़ से 1,25,000 करोड़ रु करने की आवश्यकता : पीयूष गोयल

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हथकरघा उत्पादन को 3 वर्षों में वर्तमान स्तर से दोगुना, लगभग 60,000 करोड़ रुपये से 1,25,000 करोड़ रुपये करने की आवश्यकता – श्री पीयूष गोयल

हथकरघा वस्तुओं के निर्यात को मौजूदा 2,500 करोड़ रुपये से चार गुना बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये करने का समय –  गोयल

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है

हथकरघा को विकास के अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत – पीयूष गोयल

यह क्षेत्र सरकार के समर्थन पर अधिक निर्भर हुए बिना पर्याप्त रूप से मजबूत और समृद्ध होना चाहिए- श्री गोयल

जम्मू-कश्मीर में कनिहामा, केरल में कोवलम और असम में मोहपारा, गोलाघाट में हथकरघा शिल्प गांव की स्थापना

श्री पीयूष गोयल और श्रीमती दर्शना जरदोश ने संयुक्त रूप से 7वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर तमिलनाडु के कांचीपुरम में डिजाइन संसाधन केंद्र और छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में बुनकर सेवा केंद्र के भवन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली। केंद्रीय वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य तथा खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हथकरघा क्षेत्र की उत्पादन क्षमता को तीन साल के भीतर मौजूदा 60,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों में हथकरघा वस्तुओं के निर्यात को मौजूदा 2,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए। 7वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि राष्ट्र हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाया जा सके और उनके उत्कृष्ट शिल्प कौशल पर गर्व किया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा की एक टीम का गठन किया जाएगा जिसमें सभी बुनकर, प्रशिक्षण उपकरण निर्माता, विपणन विशेषज्ञ और अन्य हितधारक शामिल होंगे जो उद्देश्य को प्राप्त करने के तरीकों तथा साधनों और हथकरघा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में सुधार की सिफारिश करेंगे।

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उन्होंने बताया कि हमारी सांस्कृतिक विरासत में हथकरघा क्षेत्र का एक विशेष स्थान है। सदियों से, इसे पीढ़ी दर पीढ़ी बुनाई और डिजाइनिंग कौशल के हस्तांतरण के द्वारा बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा कि 7 अगस्त, 1905 को कोलकाता टाउन हॉल में हुई एक बैठक में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं को पुनर्जीवित करना था। श्री गोयल ने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर को याद करने और हमारी हथकरघा परम्परा का उत्सव मनाने के लिए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। स्वतंत्रता के 75वें साल में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हम सभी से एक राष्ट्र के रूप में भारतीय हथकरघा उत्पाद खरीदने और #MyHandloomMyPride के साथ जुड़कर इसकी भव्यता का प्रदर्शन करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय मंत्री ने बुनकरों और हथकरघा क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के क्रम में लोगों से कम से कम एक हथकरघा सामान खरीदने का अनुरोध किया है।

संबंधित राज्य सरकारों के साथ भागीदारी में कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल, मोहपारा ग्राम जिला गोलाघाट, असम और कानीहामा, बडगाम, श्रीनगर में तीन हथकरघा शिल्प गांवों की स्थापना के लिए एनएचडीसी को बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे न सिर्फ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को अतिरिक्त आकर्षण मिलेगा, बल्कि क्षेत्र के प्रसिद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहन मिलने से बुनकरों की आय भी बढ़ेगी। श्री गोयल ने हथकरघा विकास निगम को इस क्षेत्र को बदलती आवश्यकताओं के आधार पर नए विचारों और नवीनतम तकनीकी विकास के साथ फिर से जीवंत बनाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बिना सरकार के सहयोग से कैसे अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है, इस बारे में समझदारी से सोचना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘अपने आप को आत्मनिर्भर बनाकर, हम भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।’

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श्री गोयल और दर्शना जरदोश ने इस अवसर पर संयुक्त रूप से कांचीपुरम, तमिलनाडु में डिजाइन रिसोर्स सेंटर और रायगढ़, छत्तीसगढ़ में बुनकर सेवा केंद्र के भवन का उद्घाटन किया। राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम द्वारा वर्चुअल बायर सेलर मीट का भी आयोजन किया गया था।

इस अवसर पर वस्त्र और रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोश ने कहा कि सभी बुनकरों और सहायक कार्यों में 70 प्रतिशत महिलाओं के होने के साथ यह एक ऐसा क्षेत्र है जो प्रत्यक्ष रूप से महिलाओं का सशक्तिकरण करता है। उन्होंने कहा कि लोकल फॉर वोकल पहल के तहत स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करना हम सभी का दायित्व है।

वस्त्र मंत्रालय में सचिव यू. पी. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि डिजिटल इंडिया निगम (एमईआईटीवाई) के साथ समन्वय में हथकरघा बुनकरों और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए एक ई-कॉमर्स पोर्टल विकसित किया जा रहा है। इससे हमारे बुनकर और कारीगर अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचने में सक्षम हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हथकरघा क्षेत्र को समर्थन देने और बड़ा बजार संभव बनाने के क्रम में, सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) से बुनकरों को जोड़ने के लिए कदम उठाए गए हैं। इस कदम से बुनकर अपने उत्पादों को सीधे विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों को बेचने में सक्षम हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि अभी तक 1.50 लाख बुनकरों को जीईएम पोर्टल से जोड़ा जा चुका है।

श्री गोयल और दर्शना जरदोश ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोहों में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न केंद्रों से आए बुनकरों के साथ संवाद भी किया। होटल अशोक के कन्वेंशन हॉल में उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों की समृद्ध विविधता को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जहां समारोह आयोजित किया गया था।

प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय स्तर पर किए गए आह्वान पर – राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) द्वारा 7वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने के लिए दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में 1 अगस्त से 15 अगस्त, 2021 तक “माई हैंडलूम माई प्राइड एक्सपो” का आयोजन किया जा रहा है। इसमें हथकरघा उत्पादक कंपनियां और बुनकर बिक्री के लिए देश भर के हथकरघा क्लस्टर/ पॉकेट से हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। एक्सपो में 22 राज्यों से संबंधित 125 से ज्यादा हथकरघा एजेंसियां/ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भाग ले रहे हैं। यह प्रदर्शनी 15 अगस्त, 2021 तक 15 दिन के लिए पूर्वाह्न 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी और प्रदर्शनी में 10,000 से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। प्रदर्शनी में भारत के कुछ अनूठे क्षेत्रों से लाए गए हथकरघा उत्पादों को प्रदर्शन और बिक्री के लिए रखा गया है। हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा होटल लीला पैलेस के पास कम्युनिटी हॉल, न्यू मोती बाग में 7 से 11 अगस्त, 2021 तक #MyHandloomMyPride एक्सपो का आयोजन भी किया गया है।

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