दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में वीआईपी की प्रतीक्षा में महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की मूर्ति छह महीने से ढंकी पड़ी है। वीआईपी से समय नहीं मिलने से महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की मूर्ति का अनावरण नहीं हो पा रहा है।
मालूम हो कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह ने अपनी अमूल्य धरोहरों सहित नकद राशि देकर की थी। दरभंगा राज के सहयोग से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को भवनों सहित भव्य परिसर मिला।
विश्वविद्यालय परिसर में कई महाराजाओं की मूर्तियों की स्थापना उनके जीवन काल में ही हो चुकी थी। बाद में लना मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ने ललित नारायण मिश्र, डा. बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर, नागार्जुन आदि की प्रतिमाएं स्थापित कीं। इतने बड़े योगदान के बावजूद महाराजा कामेश्वर सिंह की मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी।
तत्काल कुलपति डा. अरविंद कुमार पाण्डे ने अपने कार्यकाल में 2011 में इस बात को गंभीरता से लेते मूर्ति स्थापना का निर्णय किया। इसके लिये उन्होंने स्वयं चंदा देते हुए विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों से भी अपील की। देखते-देखते चंदा से राशि मिल गयी। कुछ कारणवश उन्हें अपना कार्यकाल पूरा किये बिना पद त्यागना पड़ा। तब से मामला खटाई में पड़ गया।
बाद में कुलपति प्रो. देवनारायण झा ने इस मामले पर ध्यान दिया। जयपुर के एक मशहूर कलकाकार को करीब 6.50 लाख रुपये की लागत से मूर्ति निर्माण की जिम्मेवारी दी गयी। विश्वविद्यालय के ललित कला एवं संगीत विभाग के निदेशक सह प्रख्यात कलाकार प्रो. वीरेन्द्र नारायण सिंह की देखरेख में मूर्ति का निर्माण हुआ और इस वर्ष जून में विश्वविद्यालय लाकर इसके लिये तैयार पेडेस्टल पर रखा गया। कुल करीब 12 लाख रुपये खर्च हुए। इसके बाद अनावरण के लिये इसे ढंक दिया गया।
कुलपति प्रो. झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनावरण के लिये समय मांगा तो उन्होंने समय देने का आश्वासन दिया लेकिन समय नहीं मिल सका। इस बीच उन्हें भी कार्यकाल पूरा किये बिना पद त्याग करना पड़ा। फिर वर्तमान कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने राज्यपाल सह कुलाधिपति से समय मांगा तो 6 दिसंबर का समय मिल गया। अंतिम क्षण में राज्यपाल का कार्यक्रम स्थगित हो गया है। संपर्क करने पर कुलसचिव डा. सुरेश्वर झा ने बताया कि अब विकल्प पर विचार किया जा रहा है।