सुभाष चंद्र चौधरी
नई दिल्ली । भारत चीन के बीच गलवान घाटी में गत 15 जून को हुए खूनी संघर्ष में भारतीय सेना ने चीन को करारा जवाब दिया था। हालांकि इस संघर्ष में भारत के 20 जवान और एक अधिकारी शहीद हो गए थे लेकिन इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने चीन को कभी न भूलने वाला सबक सिखा दिया। बताया जाता है कि भारतीय जवानों ने चीन के 45 से 50 सैनिकों को मौके पर ही ढेर कर दिया था जबकि 30 चीनी सैनिकों के गर्दन और रीढ़ की हड्डी तोड़ कर उन्हें सदा के लिए नाकाम बना दिया था। इसके अलावा 15 चीनी सैनिक एवं कर्नल स्तर के एक अधिकारी भी भारतीय सेना की गिरफ्त में ले लिए गए थे जबकि 100 सैनिक घायल भी हो गए थे।
लद्दाख में चीन द्वारा विश्वासघात करने और धोखे से भारतीय सैनिकों पर हमला करने के दौरान भारत चीन पर किस कदर भारी पड़ा इस बात के प्रमाण अब धीरे धीरे भारतीय सेना की ओर से जारी की जा रही सूचनाओं से मिलने लगा है। खबर है कि 15 जून को भारतीय गश्ती दल पर चीन के सैनिकों ने रात के अंधेरे में अचानक हमला बोल दिया जिसमें 20 भारतीय सैनिक और एक कर्नल शहीद हो गए। इस लड़ाई में प्राथमिक तौर पर आई सूचना में यह कहा जा रहा था कि भारत के 20 सैनिक और कर्नल शहीद हुए हैं जबकि चीन के सैनिकों को किसी प्रकार के नुकसान होने की खबर नहीं आ रही थी।
बाद में अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से बताया गया कि चीन के 42 सैनिक इस संघर्ष में मारे गए हैं लेकिन चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर आज तक ना तो यह स्वीकार किया गया और न हीं उन्हें हुए किसी प्रकार के नुकसान का खुलासा किया गया। हालांकि संघर्ष के तत्काल बाद चीन के विदेश मंत्री लगातार भारत के साथ वार्ता के माध्यम से सीमा विवाद सुलझाने और लद्दाख सीमा पर शांति बहाल करने का राग अलापने लगे थे। तब भारत के लोगों को ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि जब चीन ने भारत को नुकसान पहुंचाया फिर चीन वार्ता की बात क्यों कर रहा है क्योंकि उन्हें तो अकड़ की भाषा ही बोलनी आती है शांति वार्ता से उसका कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है।
लेकिन अब भारतीय सेना के सूत्रों से छन कर आ रही जानकारी बेहद चौकाने वाली है और चीन के विदेश मंत्री के वार्ता के ऑफर वाले बयान के पीछे की चीनी सरकार की मजबूरी का अंदाजा भी लगने लगा है। खबर है कि 15 जून को हुए खूनी संघर्ष में 16 बिहार रेजीमेंट के भारतीय सूर वीर चीनी सेना पर आफत बनकर बरसे थे। संभव है चीन को घात लगाकर हमला करने की मंशा में यह समझ नहीं रहा हो कि गलवान घाटी में भारत के 16 बिहार रेजीमेंट के जवान और अधिकारी तैनात हैं जो अपने दुश्मनों पर आग के गोले की तरह बरसते हैं और उनका सफाया कर ही दम लेते हैं।
प्राथमिक तौर पर अपने पांच जवान और कर्नल के शहीद होने की खबर ने बिहार रेजीमेंट के सपूतों को इस कदर खूंखार बना दिया था कि उन्होंने 4 घंटे तक चले संघर्ष में चीन के 45 से 50 सैनिकों को मौके पर ही ढेर कर दिया। सेना के सूत्रों से यह भी पता चला है कि भारतीय सैनिकों ने चीन के कम से कम 30 जवानों की गर्दन और रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी जो संभव है अब कभी भारत के खिलाफ खड़े होने का दुस्साहस न कर सके और जिंदगी एवं मौत के बीच में झूल रहे होंगे। भारतीय सैनिकों ने अपने कमांडिंग ऑफिसर के शहीद होने का बदला इस कदर लिया की चीनी सेना को भागने का रास्ता नहीं दिखा। यहां तक की भारतीय जवानों ने चीन के 15 सैनिकों एवं कर्नल स्तर के एक अधिकारी को भी बंदी बना लिया था। इस संघर्ष में चीन के 100 से अधिक सैनिक बुरी तरह घायल भी हो गए थे।
भारतीय सैनिकों के शौर्य की यह नई गाथा अभी समाप्त नहीं हुई है बल्कि संकेत यह है कि उक्त संघर्ष के संबंध में यह जानकारी तो एक झलक भर है अभी पूरी पिक्चर बाकी है। यानी हमेशा गीदड़ भभकी देकर दूसरों को डराने वाला चीन इस बार किसी ऐसे सूरमा से टकरा गया जिनकी ताकत और साहस एवं सूझबूझ का अंदाजा उसे नहीं था। भारत ने उसे एक बार फिर कभी नहीं भूलने वाला सबक सिखा दिया है। उन्हें विश्वासघात के बदले ऐसा प्रतिघात मिलेगा शायद इसकी कल्पना चीन ने नहीं की होगी।
आश्चर्यजनक तथ्य है की इतने बड़े नुकसान के बावजूद चीन की सरकार अब तक अपने दर्द को सहलाने में लगी हुई है लेकिन इसका खुलासा करने से परहेज कर रही है। इन तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि चीन आखिर उसी समय से वार्ता वार्ता की रट क्यों लगाए हुए हैं। संघर्ष की तत्काल बाद ही चीनी विदेश मंत्री ने आखिर क्यों वार्ता की बात की थी और भारतीय सेना के जवानों एवं अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग क्यों की थी। अब साफ हो गया है कि चीन 16 बिहार रेजीमेंट के सूरमा की चपेट में आकर अपने असहनीय दर्द की दवा ढूंढने लगा है। अब वह इस स्थिति में आ गया है की ना तो अपने घाव दुनिया को दिखा सकता है और ना ही उसकी दवा किसी से मांग सकता है।
अब रविवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सीडीएस बिपिन रावत एवं सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में सेना को चीन के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट देने का निर्णय लिया जाना इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब तक पिछले दशकों में भारत और चीन के बीच में हुए कई अनर्गल और व्यवहारिक समझौते की शर्तों से बंधे रहने वाले भारतीय सैनिकों के हाथ खोल दिए गए। खबर है कि केंद्र सरकार ने सेना को चीन की सीमा पर भी आवश्यकतानुसार गोली चलाने की भी अनुमति दे दी है। इस नये आदेश और चीन के प्रति बदले भारत सरकार के रुख का चीन की सरकार को बेहद कड़ा संदेश जाएगा और केवल प्रोपेगैंडा वीडियो जारी कर धमकाने वाले ड्रैगन को खुद के फन कुचले जाने का भय अवश्य सताएगा।