भारतीय सेना को मिली चीनी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की छूट, सरकार ने हथियार के प्रयोग से प्रतिबंध हटाया

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नई दिल्ली, 21 जून। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्चस्तरीय बैठक की। न्यूज एजेंसी को सूत्रों ने रक्षामंत्री की बैठक के बाद बताया कि सशस्त्र बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की सेना के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैए से निपटने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई है।


इसके अलावा भारतीय बलों को पूर्वी लद्दाख और अन्य सेक्टरों में चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार, चीन के साथ लगती सीमा की रक्षा के लिए भारत अब से अलग सामरिक तरीके अपनाएगा।

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।


गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच चल रहे टकराव ने बीते सोमवार को हिंसक रूप ले लिया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ झड़प में भारत के कमांडिंग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, जवाबी कार्रवाई में 45 से 50 चीनी सैनिक मारे जाने की भी सूचना थी।

इसके साथ ही कई गंभीर रूप से घायल हुए। सेना के अनुसार, यह झड़प जवानों के अपनी-अपनी जगहों से पीछे हटने के दौरान हुई थी। हालांकि, दोनों ओर से सैनिकों द्वारा कोई गोलीबारी नहीं की गई थी, लेकिन पत्थर और डंडों से एक-दूसरे पर हमला किया गया था

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