नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार मंत्रालयों के लिए हर हाल में तेज गति से काम करने और लक्ष्य प्राप्ति का पैमाना निर्धारित किया है। खबर है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) प्रतिदिन के कामकाज के आधार पर सभी मंत्रालयों की परफॉरमेंस की रिपोर्ट तैयार करेगा। पीएम मोदी भी खुद हर तीसरे महीने अपने सभी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। मंत्रालय व मंत्री दोनों पर पीएम की कड़ी नजर रहेगी।
इस कड़ी में पीएम मोदी की निगाहें खासतौर पर उन मंत्रालयों के कामकाज पर टिकी होगी, जिन पर आजादी की 75वीं वर्षगांठ (साल 2022) पर अहम योजनाओं को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी है। मानक पर खरे उतरने में नाकाम रहे मंत्रियों पर साल के अंत में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में गाज गिर सकती है।दरअसल अपने नए कार्यकाल में पीएम ने वर्ष 2022 तक सरकार के लिए कई राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
इनमें ऊर्जा मंत्रालय के पास हर घर में बिजली पहुंचाने और बिजली की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, कृषि मंत्रालय के पास किसानों को फसल की लागत मूल्य से दो गुना मूल्य सुनिश्चित करने, ग्रामीण विकास के पास सबको पक्का मकान देने, जल संसाधन के पास हर गांव में पेयजल पहुंचाने, सड़क-परिवहन मंत्रालय के पास राजमार्गों की लंबाई में डेढ़ गुना बढ़ोत्तरी करने, पेट्रोलियम के पास सभी घरों में गैस कनेक्शन पहुंचाने जबकि मानव संसाधन मंत्रालय के पास नई शिक्षा नीति को लागू कराने की जिम्मेदारी है।
मंत्रियों को परफॉर्म करना पड़ेगा जबकि अधिकारियों को टालू रवैये से खुद को अलग करना पड़ेगा अन्यथा उनकी भी खैर नहीं है। सरकार गठन के पहले दिन से ही पीएम मोदी एक्शन में आ गयी है और मंत्रियों को शपथग्रहण से पूर्व चाय पर बुला कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें काम करना ही होगा और अब तक कि लेटलतीफी राजनीति से तौबा करने में ही उनकी और देश दोनों की भलाई है।
हालाकिं पिछली पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान भी पीएम मोदी व्यवस्था व कार्यशैली में सुधार को लेकर सख्त व सतर्क रहें थे लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मिली विपक्ष की चुनौती ने उन्हें और सतर्कता के साथ काम करने को प्रेरित किया है। इसलिए मोदी सरकार प्रत्येक दिन अपने परफॉरमेंस का आकलन करना चाहती है जिससे आने वाले समय में कई राज्यों में होने वाले विधान चुनाव में भाजपा को बढ़त दिला सके।