कांवडिय़ों की सेवा संग पर्यावरण बचाने की पहल

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-कांवडिय़ों की सेवा को पर्यावरण के अनुकूल बर्तनों का होगा उपयोग

-प्लास्टिक के सामान का नहीं होगा उपयोग

कांवडिय़ों की सेवा संग पर्यावरण बचाने की पहल 2
गुरुग्राम। कांवड़ सेवा शिविर में सिर्फ कांवडिय़ों की सेवा ही नहीं, बल्कि दूसरे सामाजिक संदेश देने का प्रयास एक कांवड़ शिविर में किया जाएगा। इस शिविर में कांवडिय़ों की सेवा में प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग न करने के साथ यहां पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए पेड़-पौधे लगाने की शुरुआत भी की जाएगी। यह शिविर छह से आठ अगस्त तक लगाया जाएगा।
यहां सेक्टर-5 पेट्रोल पंप के पास प्रिंस वाटिका के सामने जो शिव कांवड़ शिविर लगाया जा रहा है। शिविर के शुभारंभ अवसर पर पेड़-पौधे लगाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग रहने का संदेश दिया गया। वहां पर आने-जाने वाले कांवडिय़ों से भी यही विनती की जाएगी कि पर्यावरण को बचाने की मुहिम में वे भी अपना सहयोग दें। इस शिविर के संरक्षक बनवारी लाल सैनी, समाजसेवी राज सैनी ने बताया कि शिव भक्त कांवडिय़ों की सेवा के लिए यहां लगाए जाने वाले शिविर में प्लास्टिक के गिलास और प्लेट का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। क्योंकि ये सेहत और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। यहां पर स्टील के बरतनो का उपयोग किया जाएगा। जोकि “फ़्री क्रॉकरी बंैक फ़ोर एव्रीवन की संरक्षक समीरा सतीजा की तरफ़ से उपलब्ध कराए जाएंगें।
जो शिव भक्त पत्तों से बने बरतन में खाने के इच्छुक होंगें, उनको उनमें खाना परोसा
शिविर कांवड़ शिविर के शुभारंभ अवसर पर पांच पेड़ लगाए जाएंगें। इन पेड़ों को पालने का भी प्रण लिया जाएगा। संरक्षक बनवारी लाल सैनी ने बताया कि सावन का महीना शुरू हो चुका है। यही बरसाती सीजन भी है। ऐसे में पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण के प्रति भी हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ हमारे जीवन रक्षक हैं। इनको केवल लगाने भर से हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती, बल्कि इनकी बच्चों की तरह बड़े होने तक हमें देखभाल करनी चाहिए।
बनवारी लाल सैनी के मुताबिक वे हर वर्ष धार्मिक कार्य में हजारों की तादात में प्लास्टिक के बने ग्लास-प्लेट्स का इस्तेमाल करते थे। इस वर्ष पेड़ लगाते हुए उन्होंने देखा की थोड़ा सा गड्ढा खोदते हुए ही दुनिया भर की थैली या प्लास्टिक से बने समान मिले। जोकि आसानी से गलते भी नहीं। उसी समय सोचा की हम इतना धर्म नहीं कमा रहे जितना पर्यावरण को दूषित कर रहे है। तभी उन्होंने ठान लिया कि आगे से हर धर्म कार्य में पर्यावरण अनुकूल बरतनो का प्रयोग करेेंगें।

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