जाट स्वाभिमान संघर्ष समिति की बैठक में जाट आरक्षण आंदोलन के तौर तरीके पर हुआ विचार

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जाट आरक्षण आंदोलन 16 अगस्त से होगा शुरू

समिति ने समुदाय के लोगों से की एकजुट होने की अपील

गुरुग्राम, 30 जुलाई। जाट आरक्षण आंदोलन जोकि 16 अगस्त से आरंभ होने जा रहा है । उसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए जाट स्वाभिमान संघर्ष समिति की बैठक आज शहीद भगत सिंह चौक पर स्वाभिमान समिति के संयोजक आजाद सिंह नेहरा की अध्यक्षता में समिति कार्यालय में हुई। इस बैठक में समिति के कई पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए केंद्र और प्रदेश के सभी जाट नेताओं से आह्वान किया कि वे इस संकट की घड़ी में एकजुट होकर कौम का साथ दें क्योंकि आज जाट कोम बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही है और इसे आरक्षण की सख्त जरूरत है और यह उसका अधिकार भी बनता है। जमीन की जोत छोटी होने के कारण यह कोम भुखमरी के कगार पर आकर खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि जब उनके समक्ष अन्य जातियां जैसे अहिर, गुज्जर, सैणी आदि जो कृषि पर निर्भर है उनको आरक्षण मिला हुआ है तो जाट कोम को क्यों नहीं। जाटों को आरक्षण मिलना उनके जीवन-मरण का प्रश्र है। यदि भाजपा ने जाटों को आरक्षण नहीं दिया तो उसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
इस अवसर पर जाट स्वाभिमान समिति के महासचिव आर एस दहिया ने जाट समुदाय के सभी बड़े नेताओं से अनुरोध किया कि वे आपसी मनमुटाव भुलाकर कोम की भलाई के लिए काम करें। जिस प्रकार महाराष्ट्र में मराठों ने केवल सप्ताह पर आंदोलन करके आरक्षण प्राप्त किया क्योंकि उन्होंने एकता का परिचय दिया।
श्री दहिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, केंद्रीय मंत्री राव बीरेंद्र सिंह, हरियाणा विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता एवं अहलाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला, हरियाणा के वितमंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ एवं भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला से अनुरोध किया है कि आज कोम को इन नेताओं की सख्त जरूरत है इसलिए वे कोम के लिए बढ-चढ कर आगे आएं और आरक्षण दिलाने में कोम का सहयोग दें।
उन्होंने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे बड़े नेता आपस में लडते हुए कोम के ही नेताओं को किसी को ठगपाल, किसी को चंदाचोर, किसी को बाहरी आदि ना जाने किन-किन नामों से पुकारते हैं और कोम के लिए नुकशानदायक है। आज जाट समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है । यदि हमारे नेता आपस में ऐसे ही लडते रहे तो कोम बहुत नीचे चली जाएगी जिसको संभालना बहुत मुश्किल होगा। आने वाला 2019 का चुनाव ना केवल महत्त्वपूर्ण बल्कि निर्णायक होगा। जो पार्टी खुलकर इस कोम का समर्थन करेगी, जाट कोम पूरी तरह खुले मन से उसका साथ देगी।
उन्होंने कहा कि जाट समाज सदैव ही सभी जातियों को साथ लेकर चलता है और जाट समाज ने कभी भी किसी जाति के साथ कभी कोई दुर्भावना नहीं रखी। बड़े अफसोस की बात है कि दुर्भावनावश कई बार अखबारों में यह बाते देखने को मिलती हैं कि गैर जाट मुख्यमंत्री होने के कारण जाट समाज उसका विरोध कर रहा है जोकि निराधार है। आप हरियाणा के अतीत में जाएंगे तो हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह को जाटो ने बनाया। पंडित भगवतदयाल को मुख्यमंत्री जाटो ने बनाया। इसी प्रकार बनारसी दास गुप्ता को जाट मुख्यमंत्री चौधरी बंशीलाल ने त्याग करते हुए अपनी शीट छोडक़र पुन: मुख्यमंत्री बनाने का कार्य किया और इससे भी बढकर जननायक चौधरी देवीलाल ने भारत के प्रधानमंत्री के पद को ठुकराते हुए एक राजपूत श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री पद पर बैठाया और उसके बाद इसी समुदाय से संबंध रखने वाले श्री चंद्रशेखर को भी चौधरी देवीलाल ने ही भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठाने का कार्य किया। जाट समाज ने सदैव त्याग और भाईचारे का परिचय दिया है।
इस अवसर पर स्वाभिमान समिति के उपाध्यक्ष वीरेंद्र मलिक ने कहा कि प्रदेश का भाईचारा खराब करने के लिए कुछ छूटपैईया नेता प्रदेश में जातिवाद फैलाने और अशांति का जहर घोलने के लिए तरह-तरह का ब्यान देते रहते हैं। उनसे सावधान रहना होगा। पिछले जाट आंदोलन में भी जाट समाज ने कोई अहिंसा और भाईचारे के साथ अपनी मांग रखी थी लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों ने जाट समाज को बदनाम करने का कार्य किया और इसी फिराक में गैर समाजिक तत्व कार्य कर रहें हैं। हमें उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। हरियाणा में जाट कोम को 36 बिरादरी का समर्थन प्राप्त है। कुछ छुटबईए नेता जिनमें एक सासंद भी शामिल है जो अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है और एक ऐसी गौरवमयी कोम के बारे में गलत बाते कर रहा है जो उसे नही करनी चाहिए। जाट समाज में स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे अधिक योगदान व कुर्बानी दी। उसके बाद स्वतंत्रता को बनाए रखने में चाहे चाईना की लड़ाई हो, चाहे पाकिस्तान की लड़ाई हो या कारगिल युद्ध हो, जाट समाज के योद्धाओं ने देश की आन-बान बनाए रखने के लिए जाट समाज ने सबसे ज्यादा कुर्बानी दी है। इस कोम के लिए ऐसी छोटी बात करना ठीक नही है।
इस अवसर पर बलवान सिंह दहिया, सतबीर देशवाल, आजाद सिंह दूहन, हवा सिंह मोर, मुलतान सिंह घनगस, बिजेंद्र सिंह दलाल, चंद्र शेखर ढिल्लों, रविंद्र कटारिया, राम तीर्थ सहरावत, धर्मवीर बेनीवाल आदि अनेको जाट नेताओं ने भाग लिया।

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