नई दिल्ली : मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेखक-स्तंभकार और आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा, शास्त्रीय नर्तक सोनल मानसिंह, मूर्तिकार रघुनाथ महापात्र और किसान नेता राम सकल सिंह को राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है। ये नामांकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजी गई सलाह पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किए हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं। इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नोमिनेट किये जाते हैं। हालांकि राज्यसभा में सदस्य का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है लेकिन इनमें से एक-तिहाई सीट हर 2 साल में खाली होती है।
आज नोमिनेट किये गए सदस्यों में से राकेश सिन्हा संघ के कट्टर समर्थकों में माने जाते हैं एक सम्मानित लेखक हैं। ये दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन’ के संस्थापक और मानद निदेशक हैं। श्री सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर हैं। वह वर्तमान में इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के सदस्य भी हैं। वह समाचार पत्रों में नियमित स्तंभ लिखते हैं। टेलीविजन होने वाली चर्चाओं में भी प्रमुखता से हिस्सा लेने राकेश सिन्हा एक चर्चित नाम हैं जो बिहार राज्य के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं।
दूसरा नाम राम सकल उत्तर प्रदेश के किसान नेता का हैं। इन्होंने दलित समुदाय के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। ये तीन बार संसद सदस्य भी रहे हैं। ये उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। समझा जाता है कि किसानों को तरजीह देने की नीति के तहत पीएम ने इनका राज्यसभा के लिए भेजा है।
राज्यसभा के लिए भेजी गई सूची में रघुनाथ महापात्रा ओडिशा राज्य के एक वास्तुकार और मूर्तिकार का नाम भी शामिल है। उन्हें 1975 में पद्मश्री और 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत के 64 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इन्होंने 2000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है। इन्होंने पारंपरिक मूर्तिकला और प्राचीन स्मारकों के संरक्षण में योगदान दिया है, और जगन्नाथ मंदिर, पुरी के सौंदर्यीकरण पर काम किया है।
सोनल मानसिंह भारतीय शास्त्रीय नर्तक और गुरु भरतनाट्यम और ओडिसी नर्तक हैं, जो अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली में भी कुशल है। वह छह दशकों से भरतनाट्यम और ओडिसी परफॉर्म कर रही हैं। वह एक प्रसिद्ध कोरियोग्राफर, शिक्षक, वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने 1977 में दिल्ली में भारतीय शास्त्रीय नृत्य केंद्र की स्थापना की।