चंडीगढ, 15 दिसम्बर : औद्योगिक नीति के हिस्से के रूप में हरियाणा सरकार आईटी, ईएसडीएम, खाद्य प्रसंस्करण, खुदरा, रक्षा क्षेत्र, एयरो स्पेस आदि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट नीतियों पर काम कर रही है। कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण की नीतियों को अगले कुछ दिनों में जारी किया जाएगा जबकि आईटी और ईएसडीएम की नीतियां जारी की जा चुकी हैं जो हिस्सेदारों के परामर्श के लिए मौजूद हैं।
हरियाणा के उद्योग और वाणिज्य विभाग के निदेशक अशोक सांगवान ने आज यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा ‘एमएसएमई को वित्त सुविधाओं और प्रतिस्पर्धा के माध्यम से प्रोत्साहित करना’ विषय पर आयोजित 5वीं क्षेत्रीय एमएसएमई सम्मेलन में यह जानकारी दी।
इस अवसर पर एमएसएमई क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ नौकरशाहों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई), नाबार्ड के साथ-साथ उद्योग जगत के दिग्गजों ने समाधान तलाशने हेतू चर्चा की। एचपीसीएल, बीपीसीएल, भारतीय वायु सेना और बड़े कॉर्पोरेट हाऊस ने इस एक दिवसीय सम्मेलन में भाग लिया।
पंजाब के उद्योग और वाणिज्य निदेशक डीपीएस खरबंद ने कहा कि उद्योग को जल्द ही 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिल जाएगी और इस संबंध में एक अधिसूचना कुछ ही दिनों में जारी कर दी जाएगी। पंजाब सरकार ने पिछले महीने सीआईआई के इनवेस्ट नॉर्थ सम्मेलन में नई औद्योगिक नीति को आरंभ किया है और राज्य में उद्योगों के विकास के लिए और अधिक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए सुधार हेतू अभी भी सुझाव आमंत्रित हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब ने मौजूदा और नए दोनों उद्योगों को छूट और जीएसटी, सीएलयू, स्टांप ड्यूटी आदि पर भारी राजकोषीय प्रोत्साहनों से लाभ प्राप्त करने का अवसर दिया है। पंजाब सरकार ने राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया है। राज्य सरकार ने हाल ही में वल्र्ड फूड इंडिया (डब्लूएफ आई) में 2 हजार करोड़ के एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए हैं जो उद्योग के उत्साह को दर्शाता है और उन्हें विश्वास है कि जल्द ही यह बड़ी निवेश परियोजनाओं में परिवर्तित होगा।
नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर दीपक कुमार तथा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रिजनल डायरेक्टर निर्मल चंद ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में आय को दोगुणी करना केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आधारित 45 फीसदी एमएसएमई क्षेत्र के गांवों में होना केंद्र के इस मिशन के लिए क्षमता प्रदान करता है। आरबीआई एमएसएमई क्षेत्र की जरूरतों के लिए समाधान तैयार करने के लिए लगातार काम कर रहा है। इसके लिए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की विभिन्न योजनाओं के बारे में उद्योगों को जागरूक करने के लिए तेजी से प्रयास किया जा रहा है। वित्त जरूरतों के लिए बैंकों से सहायता पाने हेतू एमएसएमई इकाइयों को और अधिक पारदर्शी होना चाहिए। नाबार्ड के पंजाब के चीफ जनरल मैनेजर दीपक कुमार ने एमएसएमई क्षेत्र में संस्थागत ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने में नाबार्ड की योजनाओं पर प्रकाश डाला।
सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक बाबू खान ने इस अवसर पर कहा कि सीआईआई एसएमई क्षेत्र की स्थापना के बाद से ही एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नीति-आधारित अनुशंसाएं नियमित अंतराल पर संबंधित विभागों को प्रस्तुत की जाती रही हैं। हमने उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि जैसे कई राज्यों के लिए एमएसएमई नीतियों के लिए हमारी सिफारिशें जमा कर दी हैं और उन्हें यह बताने में बहुत खुशी है कि अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार किया गया है।
एसएमई पर सीआईआई उत्तरी क्षेत्र की क्षेत्रीय समिति के सह-अध्यक्ष नीरज मुंजाल ने ‘एक्सेस टू क्रेडिट’ विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि एसएमई को पैसा दिलाने में मदद करने के लिए प्रमुख बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की एक कंसोर्टियम बनाया है। यह एक ऑनलाइन वित्त सुविधा केंद्र है, जो कि छोटी अवधि में उद्योग से 826 करोड़ रुपये के ऋण आवेदन प्राप्त कर चुका है और इसे मंजूरी के लिए कंसोर्टियम भागीदारों को कार्रवाई के लिए भेजा गया है। उत्कृष्टता के अपने केंद्रों के माध्यम से सीआईआई एमएसएमई के लिए बड़े उद्योग के साथ प्रतिस्पर्धात्मकता और संबंधों को बढ़ाने के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण का प्रचार कर रहा है। विक्रेता विकास कार्यक्रम पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया जिसमें प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों ने भाग लिया।