स्कूलों में शारीरिक दंड समाप्त करने की रूप रेखा होगी तैयार

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

स्कूलों के प्राचार्यों व शिक्षकों से मांगे सुझाव 

विशेषज्ञों ने बाल अधिकार संरक्षण के प्रवधानों से किया आगाह 

 
गुरुग्राम, 6 दिसंबर। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्वाधान में आज गुरुग्राम के निजी व सरकारी विद्यालयों में शारीरिक दंड को समाप्त करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में जिला के सरकारी व निजी विद्यालयों के प्रिंसिपल  व शिक्षकों ने भाग लिया। इस अवसर पर हरियाणा बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुनीता देवी भी उपस्थित थी। 
 
कार्यशाला में उपस्थित प्रिंसीपलों व शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से आए विशेषज्ञ प्रवेश शाह ने कहा कि आज की कार्यशाला का उद्देश्य भविष्य में प्रिंसीपल व शिक्षकों के साथ मिलकर एक ऐसी रूपरेखा तैयार करना है ताकि प्रदेश के विद्यालयों से शारीरिक दंड को जड़ से समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बच्चों के अधिकारों का हनन ना हो और उनके अधिकारों का संरक्षण हो इसका ध्यान रखना हम सभी का उत्तरदायित्व है। उन्होने कहा कि स्कूल में बच्चों को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ वातावरण देना हमारा कर्तव्य है कि भविष्य में देश के उज्जवल नागरिक बन सकें। 
 
उन्होंने कहा कि प्रिंसीपलों व शिक्षकों का स्कूल में शारीरिक दंड व मानसिक प्रताडऩा के प्रति जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है ताकि इसे खत्म करके भविष्य मे जरूरी कदम उठाए जा सके। स्कूल में शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। कार्यशाला मे प्रिंसीपलों को इन दिशा-निर्देशों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि किसी भी भय को दिखाकर अनुशासन में रखना तो आसान है लेकिन बच्चों को बिना डर के अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करना बेहद मुश्किल है। इसके अलावा, यदि कोई शिक्षक बच्चों के साथ जाति, धर्म, सम्प्रदाय या अमीरी-गरीबी को लेकर भेदभाव करता है तो आयोग द्वारा संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से स्कूलों में कार्पोरल पनिशमेंट मैनेजमेंट कमेटी बनाए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। 
 
कार्यशाला में प्रिंसीपलों व शिक्षकों ने अपने अनुभवों को भी सांझा किया। शिक्षको ने विद्यालय में शिक्षण करवाने के दौरान उत्पन्न होने वाली भिन्न-भिन्न परिस्थितियों व इस दौरान अपने विवेक से लिए गए निर्णयों के अनुभवों को श्री शाह से सांझा किया। श्री शाह ने कहा कि एक शिक्षक को समाज में सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता है, ऐसे में जरूरी है कि शिक्षक बच्चों की समय-समय पर काऊंसलिंग करें ताकि वे मार्ग से भटके नही। यदि शिक्षकों को कभी ऐसा महसूस हो कि बच्चा डिप्रेशन में है या गलत मार्ग पर चल रहा है तो इस बारे में बच्चों के अभिभावकों से अवश्य चर्चा करें। 
 
इस अवसर पर हरियाणा बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुनीता देवी ने कहा कि आयोग का उत्तरदायित्व है कि वे बच्चों के भोजन, रहन-सहन संबंधी सभी मूलभूत अधिकारों का संरक्षण करने के लिए शिकायत के आधार पर विभिन्न स्थानों की चैकिंग करें और सुनिश्चित करें कि बच्चों के अधिकारों का हनन ना हो रहा हो। आयोग बच्चों के अधिकारों की मॉनीटरिंग करता है और उन्हें एक स्वस्थ माहौल देने का प्रयास करता है। 
 
कार्यशाला में जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल ने कहा कि स्कूलों में अप्रिय घटनाओं की पुर्नावृति ना हो इसके लिए स्कूलों स्कूल सेफ्टी कमेटी बनाई जानी आवश्यक है जो सुनिश्चित करेगी कि विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाई के अनुकूल वातावरण मिले। यह कमेटी बच्चों के मूलभूत अधिकारों का ध्यान रखेगी ताकि वे भविष्य में देश के अच्छे व जिम्मेदार नागरिक बन सके। 

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