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अफगानिस्तान भी हरियाणा की तर्ज पर टीकाकरण कार्ड अपनाएगा
गुरुग्राम, 17 मई। हरियाणा में बच्चों और महिलाओं को जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए लागू किए जा रहे संपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बनाए जा रहे टीकाकरण कार्ड को अब अफगानिस्तान भी अपने देश में अपनाएगा। ऐसी इच्छा आज गुरुग्राम में बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम को देखने पहुंचे अफगानिस्तान के 15 सदस्यीय दल ने जाहिर की है। इस दल ने आज गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल तथा गुडग़ांव गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का दौरा किया और वहां चल रहे बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम का अध्ययन किया और टीकाकरण के लिए बच्चों के बनाए जा रहे टीकाकरण कार्ड को देखा। इस दल में दो जापानी भी थे जो यूनिसेफ के साथ जुडक़र अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
अफगानिस्तान से आई इस टीम के सदस्य यूनेसको के डॉक्टर पे्रम सिंह के साथ आज प्रात: 10 बजे गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल में पहुंच गए थे और वहां पर पोस्टपार्टम सैंटर(पीपीसी) को देखा जहां बच्चे के जन्म पर ही मदर चाइल्ड प्रोटैक्शन कार्ड बनाए जाते हैं। उन्होंने वहां मौजूद स्टॉफ से कार्ड बनवाने संबंधी जानकारी ली। मौके पर मौजूद उप-सिविल सर्जन डा. नीलम थापर व डा. एम पी सिंह ने टीम को बताया कि टीकाकरण कार्ड में बच्चे का नाम, माता-पिता के नाम व डाक पता आदि संबंधी जानकारी अस्पताल के स्टॉफ द्वारा बच्चे के अभिभावकों से पूछकर भरी जाती है और उसका एक भाग एएनएम अपने पास टै्रकिंग बैग में रख लेती है।
इसके बाद दल के सदस्य गुडग़ांव गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(पीएचसी) पहुंचे और वहां पर बच्चों का किया जा रहा टीकाकरण तथा उसकी कार्ड में एंट्री व अन्य रिकॉर्ड रखने संबंधी पूरी जानकारी ली। इसके बाद अफगानिस्तानी दल ने कहा कि बच्चों का टीकाकरण तो उनके देश में भी किया जाता है लेकिन वहां पर इतना व्यवस्थित नही है और टीकाकरण कार्ड भी नही बनाया जाता। दल ने नवजात शिशु के टीकाकरण कार्ड का नमूना भी लिया और कहा कि हरियाणा के टीकाकरण कार्ड का मॉडल वे वहां भी लागू करवाएंगे लेकिन उन्हें यह कार्ड ज्यादा पृष्ठों का लगा। अपनी राय देते हुए दल के सदस्यों ने कहा कि वे यहां के टीकाकरण कार्ड में ही महिलाओं के प्रसव पूर्व देखभाल(एंटी नेटल केयर) के कार्ड को भी सम्मिलित करने का सुझाव अपनी सरकार को देंगे। प्रदेश में बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम और टीकाकरण कार्ड को देखकर अफगानिस्तानी दल काफी प्रभावित हुआ।
गुडग़ांव गांव की पीएचसी में मौजूद चिकित्सा अधिकारी डा. एम पी सिंह ने इस दल को गर्भवती महिलाओं तथा बच्चे के जन्म से 16 साल तक लगने वाले टीकों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि चूंकि कार्ड का एक हिस्सा एएनएम के पास होता है इसलिए जिस बच्चे का टीका लगवाने का समय आता है उस समय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से बच्चे की माता को इस बारे में सूचित कर दिया जाता है। डा. सिंह ने बताया कि यदि महिला प्रसव से पहले स्वास्थ्य केन्द्र में आ जाती है तो उसका पंजीकरण करके उसे टिटनस का टीका लगाया जाता है और उसी समय यह टीकाकरण कार्ड भी बना दिया जाता है जिसमें नवजात शिशु के टीकाकरण का विवरण भरा जाता है।
प्रसव के बाद नवजात शिशु को जन्म के 24 घंटे में हैपेटाइटिस-बी, पोलियो ड्राप्स तथा बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं और इसका इन्द्राज टीकाकरण कार्ड में कर दिया जाता है। इसके उपरांत 6 सप्ताह पर शिशु को दोबारा स्वास्थ्य केन्द्र में बुलाकर पोलियो ड्राप्स तथा दस्त से बचाव के लिए 5 बूंद रोटा वायरस वैक्सीन की दी जाती हैं। अफगानिस्तानी दल ने बताया कि उनके यहां अभी तक रोटा वायरस वैक्सीन नही दिया जाता।
डॉ सिंह ने बताया कि बच्चे को 5 बीमारियों से बचाने वाला पैंटावेलेंट वैक्सीन दिया जाता है। इसी प्रकार, नवजात शिशु के दस सप्ताह तथा 14 सप्ताह का होने पर उसका टीकाकरण किया जाता है और 9 महीने का होने पर खसरे का टीका लगाने के साथ विटामिन-ए शुरू कर दिया जाता है। इसके बाद विटामिन-ए की हर 6 महीने में 5 साल तक एक-एक डोज दी जाती है। उन्होंने बताया कि बच्चे को 16 से 24 महीने के बीच भी डीपीटी और खसरा की बूस्टर डोज दी जाती है।