Font Size
खास खबर
: अंग्रेजों ने 1857 में एक ही दिन में 122 लोगों को शहीद कर दिया था
: पहलू की गौत्र के कुल 34 गांव है जिनमें 7 गांव हिंदुओं के हैं
: पहलू का गांव राजा ठाकुर पहण पाल के परपोत्र पीपला ने बसाया था
यूनुस अलवी
मेवात: राजस्थान के बहरोड कस्बा में गोरक्षकों द्वारा मारे गये पहलू खान के गांव और परिवार ने देश कि आजादी में बढ-चढ कर कुर्बानी दी थी। देश कि आजादी के लिये 1857 में हुऐ पहले संग्राम में पहलू खान के गांव से 122 और उनके गौत्र से करीब 425 लोगों को अंग्रेजों ने एक दिन में शहीद कर दिया था। पहलू के पूर्वजो ने अंग्रेजों के कहर से तंग आकर गांव जयसिंहपुर सहित आधा दर्जन गांवों को बसाया था। पहलू के पूर्वजो का पिछला गांव पलवल जिले का रूपडाका गांव है। जहां पर 425 शहीदों कि याद में शहीदी मिनार बनी हुई है।
मेवात का हिंदु और मुस्लिम समाज, गोत्र-पाल के आपसी ताने-बाने से जुडा हुआ हैं। मेवात के मेव मुस्लिम समाज और हिंदओं के जाठ, गूजर, ठाकुर आदि समाज के लोग एक ही गोत्र से ताल्लुक रखते हैं। यहीं कारण है कि मेवात में कभी जाति, धर्म और गोत्रपाल के नाम पर संप्रदायिक झगडे नहीं हुऐ हैं। हमेशा ही मेवात के मुस्लिम समाज के लोगों ने देश कि खातिर मुगल, अंग्रेजों के खिलाफ यहां के राजाओं का साथ दिया। जिसमें मेवात के राजा हसन खां जिसने राणा सांगा के साथ मिलकर बाबर के खिलाफ जंग लडा और वह शहीद हुऐ।
रूपडाका गांव
रूपडाका गांव छिरकलौत गोत्र का बडा गांव है। जिसको राजा ठाकुर पहण पाल के परपोत्र पीपला ने बसाया था जो बाद मे मुसलमान हो गये थे। रूपडाका परिवार के कुल 34 गांव हैं जिनमें से 7 हिंदुओं के और 27 मुस्लिमों के गांव हैं।
मेव मुस्लिमों के गांव
इनमें मुस्लिम गांव जयसिंहपुर, चिलावली, कौंतलाका, कमरचंद, नौसेरा झोंपडी नूंह ब्लोक में है। भीमसीका, भूराका, मलाई, लखनाका, कुकरचांटी, धीरनकी, पहाडपुर, चिल्ली, मालपुरी, जराली, भूडपुर और रूपडाका हथीन खंड में हैं जबकी नगीना खंड में करहेडा और अलवर में सीतलबेडा गांव सहित कुल 27 गांव मेव मुस्लिमों के हैं।
हिंदुओ के गांव
नूंह ब्लोक में उजीना, संगेल, छछैडा, छपैडा, कुरथला और हथीन ब्लोक में तथा हुडीथल और स्वामीका पलवल जिले में हिंदुओं के गांव आबाद हैं।
रूपडका गांव में 6 पट्टी (मोहल्ले) हैं
रूपडाका गांव में धूडिया, ममोडिया, चौथईया, पौथईया, कालिया और गरमालिया सहित कुछ 6 पट्टी हैं। धूडिया पट्टी से गांव जयसिंहपुर के अलावा कमरचंद, कौंतलाका, नौसेरा, भीमसीका, करहेडा और सीतलबेडा गांव बसे हैं। ये सभी गांव अंग्रेजो के कहर से धूडिया पट्टी से भागे लोगो ने बसाऐ थे।
रूपडाका गांव से एक ही दिन में शहीद हुए 122 लोग
अखिल भारतीय शहीदाने मेवात सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव गांव रूपडाका निवासी सरफूद्दीन प्रधान ने बताया कि अग्रेजों ने 1857 में देश पर दुबारा राज छीन लिया उसके बाद मेवात पर उन्होने बेदर्दी से नरसंहार किया जिसमें कैप्टन डूमंड के नेतृत्व में भारी अंग्रेजों कि फौज ने मेवात में अपना कहर बरपाया। अंग्रेजों ने 19 नवंबर 1857 के दिन गांव रूपडाका गांव के 122 लोगों को शहीद कर दिया था। जिसमें एक ही परिवार के 17 लोगो को एक ही कब्र में दफन किया था जिसकी निशानी आज भी मौजूद है। इसी तरीके से गांव उटावड में 57 लोगों को शहीद कर एक ही कब्र में अंग्रेजों ने दफना दिया था। रूपडाका गांव के आस-पास एक ही गौत्र के 425 लोगों को 19 नवंबर 1857 को शहीद कर दिया था। वहीं अग्रेजों ने पूरे मेवात में करीब 10 हजार लोगों को शहीद कर दिया करीब 100 गावों को आग के हवाले कर दिया और करीब 10 गावों के लोगों कि जमीन छीनकर दूसरे लोगों को देकर उनको कच्चे पर कर दिया था।