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चुनाव अधिकारियों के कथित अन्यायपूर्ण रवैये का पार्टी ने किया विरोध
आर एस चौहान
नई दिल्ली : स्वराज इंडिया के 24 कैंडिडेट्स के नामांकन तकनीकी कारणों की आढ में, ग़ैरकानूनी ढंग से रद्द कर दिए गए हैं। इन चौबीस में 13 महिला उम्मीदवार हैं। नामांकन रद्द करने का कारण भी अजीब है। एक महिला कैंडिडेट् ने टिक करके ये नहीं कहा कि मैं महिला हूँ, पुरुष नहीं हूँ। एक का इसलिए रिजेक्ट हुआ क्यूंकि उसने बाकि सभी जगह हस्ताक्षर किये लेकिन एक जगह छूट गया। दो का इसलिए रिजेक्ट हुआ क्यूंकि अपने दस प्रस्तावक के सिग्नेचर में से एक का सिग्नेचर नहीं लिया। कईयों का इसलिए रिजेक्ट हुआ क्यूंकि वो अपने दस प्रस्तावक को साथ लेकर गए थे ताकि आरओ के सामने सिग्नेचर करवाएं, लेकिन उन्हें घुसने नहीं दिया गया और इसलिए उनका निरस्त हुआ। एक का इसलिए कि आपको पति का नाम देना था आपने पिता का नाम क्यूँ दिया। इन सब आधारों पर निरस्त हुआ।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव और पार्टी के उम्मीद्वार ये सब शिकायत लेकर आज दिल्ली के चुनाव आयुक्त एस के श्रीवास्तव से मिले। उनको बताया कि ये तो चुनाव व्यवस्था का माखौल है। योगेन्द्र यादव ने कहा कि “ये तो लिखित नियमों का माखौल है। ख़ासकर के तब जब कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के ऐसी ही दिक्कतों को आँखों के सामने ठीक किया जा रहा था। लेकिन स्वराज इंडिया उम्मीदवार के साथ नहीं किया गया।”
चुनाव आयोग के अधिकारियों को नियम एवं कानून स्पष्ट किया गया जिसके बाद उन्हें मानना पड़ा कि ये सब बातें कानून में लिखी हुई है। उन्हें बताया गया कि किस तरीके से रिटर्निंग ऑफिसर ने बिलकुल अन्यायपूर्ण, भेदभाव व बदनीयती के साथ काम किया है। उन्होनें बात मानी लेकिन अन्त में कहा कि उनके पास इतना पॉवर नहीं है कि इस आदेश को पलट दें, उसके आदेश को खारिज कर सके।
काफी जद्दोजहद के बाद दिल्ली चुनाव आयोग ने यह इंस्ट्रक्शन सभी रिटर्निंग ऑफिसर को भेजा है कि वह अपने पुराने फैसले, जिसके आधार पर उन्होंने स्वराज इंडिया के कैंडिडेट्स का नामांकन रद्द किया गया था, उसकी आज की तारीख में समीक्षा करें।
उसके बाद स्वराज इंडिया के तमाम उम्मीदवार उन रिटर्निंग ऑफिसर्स के पास जाकर समीक्षा की मांग करेंगे। रिटर्निंग ऑफिसर्स छोटी-छोटी बातों पर चुनाव नामांकन को रद्द नहीं करेंगे चुनाव आयोग कह चुका है, कानून कह चुका है, यहां तक सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि छोटे छोटे तकनीकी मामलों के आड़ में कभी किसी का नामांकन रद्द नहीं हो सकता।
योगेंद्र यादव ने कहा कि “हम चुनाव की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे इस संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचे। चुनाव आयोग के परिसर में जो शोर-शराबा और हो-हल्ला हुआ उसमें स्वराज इंडिया का एक भी कार्यकर्ता शामिल नहीं था। चुनाव आयोग के खिलाफ नारे लगाना हुल्लड़ करना, प्रदर्शन करना, यह हमारी राजनीति नहीं है। हम इस संस्थान का सम्मान करते हैं और हमें आज भी यह भरोसा है कि जब दिल्ली चुनाव आयोग का निर्देश रिटर्निंग ऑफिसर को गया है तो वह अपने पहले के आदेशों का रिव्यू जरुर करेंगे और स्वराज इंडिया के उन 24 कैंडिडेट्स को पुनः चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा जिनका नामांकन अन्यायपूर्ण तरीके से खारिज़ कर दिया गया। उसके बाद जनता फैसला करेगी कि कौन चुनाव जीतने के काबिल है।”