टैंकरों से यह सफेद जहर मेवात से दिल्ली हर रोज पहुंच रहा है
यूनुस अलवी
मेवात : नकली दूध बनाने वालों का मेवात जिला में कारोबार धडल्ले से चल रहा है। नकली दूध बनाने वाले माफिया स्वास्थ्य विभाग कि मिली भगत से करोडों रूपये हर माह कमा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग केवल खानापूर्ति के लिऐ इन दुग्ध डेरियों पर छापामारी करता हैं। तीन दिन पहले भी गांव मन्नाकी स्थित एक ऐसी ही दुग्ध डेरी में स्वास्थ्य विभाग कि टीम ने छापा मारा था जहां पर विभाग ने करीब 12 सैंपल लिये थे। लोगों का आरोप है कि विभाग ने सैंपल तो लिये लेकिन डेरी में रखे संदिग्ध सामान को जब्त नहीं किया, जिसकी वजह से डेरी मालिको के हौंसले और बुलंद हो गये हैं। अब डेरी वाले और ज्यादा नकली दूध बना रहे हैं।
मेवात जिला में बनने वाला सिंथैटिक दूध (कृत्रिम दूध) और दूध से बना पनीर, खोवा, दूध, मिठाईयां धडल्ले से बाजार मे बिक रही है वहीं नकली दूध और खोवा पनीर दिल्ली भेजा जा रहा है। मेवात में एक-दो जगह नहीं बल्कि मेवात के अधिक्तर गांवों में यह नकली दूध का कारोबार चल रहा है। इस कारोबार में मेवात का दूधिया वर्ग पूरी तरह संलिप्त है। दूध डेरी मालिक टैंकरों से इस सफेद जहर को दिल्ली पहुंचाने का काम करते हैं।
गांव मन्नाकी निवासी आबिद हुसैन, नफीस और सद्दाम और इसराईल का कहना है कि उनके गांव में एक आदमी ने करीब 20 साल पहले भैंस वालों से दूध लेने का काम शुरू किया था। करीब आठ साल पहले उसने गांव में एक दूध कि डेरी बना रखी है। उनका कहना है कि डेरी मालिक के पास शुद्ध दूध बहुत ही कम आता है लेकिन वह सोयाबीन का रिफांड तेल, यूरिया, पाउडर, मटराईल कैमिकल, चूना सहित कई प्रकार के केमिकल को पानी या पनीर के खट्टे पानी से करीब चार-पांच दूध के नकली टेंकर तैयार करते हैं।
उन्होने बताया कि गांव में नकली दूध का कारोबार करने वाले आदमी के खिलाफ उन्होने जिले के डीसी, सीएमओ से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री और सुप्रिम व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को वीडियो सीडी के साथ शिकायत कर चुके हैं । उन्होने बताया कि गत 2 फरवरी को गांव कि संदिग्ध डेरी पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा था लेकिन विभाग ने कहने को तो 12 सैंपल लिये है लेकिन उन सैंपलों पर किसी भी शिकायतकर्ता के कोई हस्ताक्षर नहीं करवाऐ। इससे साफ जाहिर होता है कि डेरी मालिक अधिकारियों से मिली भगत करके सैंपल भी बदल सकते हैं। लोगों का कहना है कि जब से डेरी पर छापा पडा है उसके बाद तो डेरी वालों ने अपना धंधा और तेज कर दिया है।
कैसे बनता है सिंथेटिक दूध ?
आधा लीटर शुद्व दूध और सोयाबीन रिफाईंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं। यह फैट बनकर तैयार हो जाता है। गिरावटी के लिये थोडा नमक, चीनी(बूरा),यूरिया खाद और गुलूकोज को पानी में मिलाते हैं अगर गिरावटी कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म के केमीकल मिलाते हैं। दूध में 23-24 गिरावटी होना जरूरी है। दूध का नंबर 50 से ऊपर पास हो जाता है लेकिन 65 से ऊपर का दूध प्योर माना जाता है। दूध में झाग लाने के लिये यूरिया खाद और इजी सेंपू का प्रयोग तक किया जाता है।
100 किलों कृत्रिम दूध बनाने के लिये सामान कि जरूरत।
1 दूध पावडर 300 ग्राम
2 चीनी(बूरा) 600 ग्राम
3 रिफाईंड सोयाबीन 4 किलो
4 ग्लूकोज 1 किलो
5 यूरिया खाद 1 किलो
6 नमक 1 किलो
7 इजी सैंपू 500 ग्राम
8 दूध शुद्ध 25 किलो
9 पानी या पनीर का खटटा पानी 66 किलो (इस धंधे से जुडे सूत्रों के अनुसार ये आकडे हैं।)
क्या कहते हैं डिप्टी सिविल सर्जन ?
मेवात के डिप्टी सिविल सर्जन एसके कौशिक का कहना है कि ऐसी संदिग्ध दूग्ध डेरियों पर उनका विभाग समय-समय पर छापामारी करता है। गांव मन्नाकी में भी छापा मारकर 12 सैंपल लिये थे जिनकी जांच के लिये भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाऐगी। उन्होने कहा कि ऐसे लोगों की सूचना मिलने पर आगे भी छापे मारे जाऐगें।