भोपाल। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया को भी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए बनाए जाने वाले वेतन आयोग के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।
दत्तात्रेय ने मंगलवार को यहां संवाददातओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया को भी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों को वेतन आयोग में लाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके।’
समाचार पत्र मालिकों द्वारा मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में की जा रही देरी के संबंध में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि आगामी संसद सत्र के बाद हम एक त्रिस्तरीय बैठक बुलाने वाले हैं, जिसमें सरकार के अलावा नियोक्ता एवं कर्मचारी संगठनों के नेता भी शामिल होंगे तथा इस मामले पर चर्चा करेंगे।
मंत्री ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने मजीठिया वेतन आयोग को लागू करवाने के आदेश दिए थे और हम इसे लागू करवाने के लिए वचनवद्ध हैं। इस मुद्दे पर समस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मैं पहले ही दो बार पत्र लिख चुका हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने उनको यह भी निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने राज्यों में इस बारे में साल में दो बार बैठक करें। मैंने उनसे मजीठिया वेतन आयोग को लागू करवाने के बारे में रिपोर्ट भी मांगी है।’ जब उनसे पूछा गया कि पत्रकारों की यूनियन केंद्र सरकार पर नए वेतन आयोग के गठन की मांग के लिए दबाव बना रहे हैं, तो इस पर उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दत्तात्रेय यहां उत्तर एवं मध्य क्षेत्र में आने वाले नौ राज्यों के क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने आए थे। इसमें मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ एवं उत्तराखंड शामिल हैं। इस सम्मेलन में श्रम कानूनों के सुधारों पर चिंतन किया गया।
वही विभिन्न पत्रकार संगठनो ने मंत्री के इस बयान तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से वैध ठहराए गए प्रिंट मीडिया को मजीठिया वेज बोर्ड का एक रुपया तो दिलवा नहीं सके, इलेक्ट्रानिक और डिजिटल को दिलवाएंगे। मालिकों के आदेश मानने वाली सरकार से कर्मचारियों के हित की कतई अपेक्षा नहीं कर सकते। बावजूद इसके अपने कुछ पत्रकार व अखबारों के कर्मचारी साथी किस मुंह से इस सरकार की तारीफ करते हैं, समझ नहीं आता।
Source : Bhasha