2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ
भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर
कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 23.2 प्रतिशत बढ़ोतरी
आर्थिक समीक्षा बताती है कि भारत में मजबूत पूंजी प्रवाह से विदेशी मुद्रा भंडार का तेजी से संचय हुआ है
नवम्बर, 2021 के अन्त में भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश था
चालू वर्ष के दौरान भारत के विदेशी क्षेत्र का लचीलापन अर्थव्यवस्था में विकास के पुनरुद्धार के लिए अच्छा संकेत है
समीक्षा में बताया गया है कि भारत का विदेशी क्षेत्र बाहरी झटकों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है
नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि पिछले वर्ष की महामारी से उत्पन्न मंदी के बाद भरत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार का तेजी से संचय हुआ है। चालू वर्ष के दौरान भारत के विदेशी क्षेत्र की समुत्थान शक्ति (लचीलापन) अर्थव्यवस्था में विकास के पुनरुद्धार के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि वर्ष 2022-23 के दौरान कोविड-19 के नये वेरिएंट्स के साथ वैश्विक तरलता के कड़े होने के घटते हुए जोखिमों और वैश्विक वस्तुओं के मूल्यों में लगातार अस्थिरता, उच्च माल ढुलाई लागत भारत के लिए चुनौती हो सकती है।
विदेशी व्यापार प्रदर्शनः
समीक्षा यह दर्शाती है कि वैश्विक मांग में दोबारा वृद्धि के साथ-साथ घरेलू गतिविधि के पुनरुद्धार को देखते हुए भारत के वस्तु (पण्य) आयात और निर्यात में जोरदार उछाल आया है और यह चालू वर्ष के दौरान पूर्व- कोविड स्तरों को पार कर गया है। सरकार द्वारा उचित समय पर की गई पहल से भी निर्यात के पुनरूद्धार में सहायता मिली है। अप्रैल-नवम्बर, 2021 में अमेरिका के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और चीन शीर्ष निर्यात गंतव्य बने रहे जबकि चीन, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़े आयात स्रोत रहे। कमजोर पर्यटन राजस्वों के बावजूद अप्रैल-दिसम्बर, 2021 के दौरान सेवाओं से होने वाली निवल आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी ऐसा मजबूत सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक आय के कारण तब संभव हुआ जब आय और भुगतान दोनों ने ही अपने पूर्व-महामारी स्तरों को पार कर लिया था।
आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखी गई जिससे वस्तु व्यापार अपने पूर्व-महामारी शीर्ष से भी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। समीक्षा यह भी दर्शाती है कि भारत के वस्तु निर्यात में वैश्विक रुझान का अनुसरण किया और अप्रैल-दिसम्बर, 2021 के दौरान वस्तु निर्यात में 49.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2019-20 (अप्रैल-दिसम्बर) की तुलना में पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह बढ़ोतरी 26.5 प्रतिशत रही थी। समीक्षा में यह उल्लेख किया गया है कि भारत ने वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अपने महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य का 75 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया है और यह अपना लक्ष्य अर्जित करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर है। समीक्षा में बताया गया है कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा के कारण बाजारों में तेजी से हुई रिकवरी, उपभोक्ता व्यय में बढ़ोतरी, बचत और खर्च करने योग्य आय में वृद्धि और सरकार द्वारा निर्यात को जोरदार प्रोत्साहन देने के कारण वर्ष 2021-22 में निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। निर्यात में बढ़ोतरी व्यापक आधार वाली रही है। भारत का कृषि निर्यात लगातार अच्छा चल रहा है। अप्रैल-नवम्बर, 2021 के दौरान कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 23.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। समीक्षा यह सिफारिश करती है कि मुक्त व्यापार अनुबंधों को प्रोत्साहन देने से भारत के निर्यात विविधीकरण के लिए संस्थागत प्रबंधों को उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
वस्तु आयात के मुद्दे पर आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि भारत में घरेलू मांग का पुनरुद्धार हुआ है जिससे मजबूत आयात वृद्धि हुई है। अप्रैल-दिसम्बर, 2021 में वस्तु आयात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 68.9 प्रतिशत की दर से और अप्रैल-दिसम्बर 2019 की तुलना में 21.9 प्रतिशत बढ़ा है और पूर्व-महामारी स्तर को पार गया है। समीक्षा यह दर्शाती है कि भारत के आयात स्रोतों के विविधीकरण में बढ़ोतरी हुई है और यह अप्रैल-नवम्बर अवधि में चीन का हिस्सा 17.7 से घटकर 15.5 प्रतिशत होने से परिलक्षित होता है। समीक्षा यह भी दर्शाती है कि वस्तु व्यापार घाटा अप्रैल-दिसम्बर, 2021 में बढ़कर 142.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
सेवाओं में व्यापार
भारत ने कोविड-19 के बाद की अवधि में विश्व सेवा व्यापार में प्रभावशाली प्रदर्शन जारी रखा है। अप्रैल-दिसम्बर 2021 के दौरान सेवा निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 18.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ यह 177.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। समीक्षा यह दर्शाती है कि सेवा निर्यात में मजबूत वृद्धि में सरकार द्वारा चलाये गए प्रमुख सुधारों का भी योगदान है। अप्रैल-दिसम्बर, 2021 में सेवा आयात 21.5 प्रतिशत बढ़कर 103.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
चालू खाता शेष
आर्थिक समीक्षा बताती है कि भारत का चालू खाता शेष वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद के 0.2 प्रतिशत घाटे में परिवर्तित हो गया जिसमें मुख्य रूप से व्यापार खाते में घाटे का योगदान है। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में निवल पूंजी प्रवाह बढ़कर 65.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर रहा ऐसा बाहरी निवेश के लगातार अंतर्प्रवाह, निवल विदेशी वाणिज्यिक उधार, अधिक बैंकिंग पूंजी और अतिरिक्त विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) आवंटन के कारण हुआ। भारत का बाहरी ऋण सितम्बर, 2021 के अंत तक बढ़कर 593.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो एक साल पहले 556.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा एसडीआर आवंटन के साथ-साथ उच्च वाणिज्यिक उधार से परिलक्षित होता।
पूंजी खाता
आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निवल विदेशी निवेश प्रवाह वित्त वर्ष 2021 की इस अवधि की तुलना में 25.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर कुछ कम रहा। नवम्बर, 2021 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और सकल एफडीआई प्रवाह मुख्य रूप से कम इक्विटी निवेश के कारण कम रहा। समीक्षा में बताया गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेश अस्थिर बना रहा।
भुगतान संतुलन शेष और विदेशी मुद्रा भंडार
आर्थिक समीक्षा में यह दर्शाया गया है कि मजबूत पूंजी प्रवाह सामान्य वर्तमान लेखा घाटे के वित्त पोषण के लिए पर्याप्त था जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 63.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल भुगतान संतुलन अधिशेष था जिससे विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वपूर्ण बिन्दु को पार करके 31 दिसम्बर, 2021 को 633.6 बिलियन स्तर को छू गया। नवम्बर, 2021 के अंत में भारत चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार धारक देश था।
विनियम दर में गतिविधि के मुद्दे के बारे में आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि रुपये ने अप्रैल-दिसम्बर, 2021 के दौरान अमेरिकी डॉलर की तुलना में दोनों दिशाओं में गतिविधि दर्शायी हैं फिर भी मार्च, 2021 की तुलना में दिसम्बर, 2021 में रुपये का 3.4 प्रतिशत अवमूल्यन हुआ। तथापि उभरते हुए बाजार दिग्गजों की तुलना में रुपये का अवमूल्यन बहुत कम रहा और यूरो, जापानी येन और पौण्ड स्टर्लिंग के सापेक्ष इसमें मजबूती रही।
विदेशी ऋण
सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अतंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट आयी। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।
भारत की समुत्थान शक्ति (लचीलापन)
आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केन्द्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।