नई दिल्ली। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 23 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली में न्यू मोती बाग के कौशल भवन में जागरूकता बढ़ाने और समीक्षा के लिए सांख्यिकी सलाहकारों (SAs) की दूसरे दौर की बैठक आयोजित की। इसका उद्देश्य अगस्त 2024 में मंत्रालय की ओर से केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में मजबूत डेटा आधारित निर्णय लेने वाली व्यवस्था के लिए शुरू की गई सांख्यिकी सलाहकारों की प्रणाली को लागू करने के संबंध में अधिक जागरूकता, प्रतिक्रिया, समन्वित और संस्थागत दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना था। बैठक में सांख्यिकी सलाहकारों और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, नीति आयोग के सीईओ, श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने अपने उद्घाटन भाषण में प्रभावी नीतियों, निर्णय लेने, निगरानी और कामकाज में सुधार को आकार देने में विश्वसनीय और समय पर मिलने वाले आंकड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने आंकड़े जारी करने की समय-सीमा में कमी, डेटा और इनोवेशन लैब आदि सहित भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार की दिशा में मंत्रालय के हालिया प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आधिकारिक आंकड़ों के क्षेत्र में मंत्रालय की पहलों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और अन्य हितधारकों की ओर से व्यावसायिक सांख्यिकी के क्षेत्र में बहुत काम किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सांख्यिकी हर मंत्रालय के काम का आधार है। प्रशासनिक डेटासेट का उपयोग करने और आंकड़ों के एपीआई आधारित एकीकरण के उपयोग में चुनौतियों का संकेत देते हुए, उन्होंने सांख्यिकी सलाहकारों और अन्य भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारियों से अपनी मूल शक्ति का उपयोग करने और अपने पास उपलब्ध आंकड़ों के उपयोग के लिए खुद को कुशल और जानकार बनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया ताकि आंकड़ों का उपयोग बेहतर निर्णय लेने में किया जा सके।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने नीतिगत अंतर्दृष्टि, ई-सांख्यिकी, डेटा और नवाचार के लिए अनुसंधान एवं विश्लेषण के कार्यों सहित सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा सांख्यिकीय सुधार के लिए की गई ठोस कार्रवाइयों के बारे में संकेत देते हुए इस बात पर जोर दिया कि निर्णय लेने के लिए तत्काल आंकड़ों का लाभ उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने संकेत दिया कि सांख्यिकीय सलाहकारों की भूमिका को परिभाषित करने और उनके साथ चर्चा शुरू करने का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय मंत्रालयों और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के बीच नियमित और स्वाभाविक संपर्क सुनिश्चित करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, आंकड़े विभिन्न संबद्ध लक्ष्यों की प्रगति पर नजर रखते हुए अधिक प्रासंगिक भूमिका निभाएंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मानकों के अनुसार गुणवत्ता बनाए रखने, प्रशासनिक आंकड़ों में डेटा संबंधी खामियों को दूर करने, विशिष्ट पहचानकर्ताओं के उपयोग सहित सांख्यिकीय दृढ़ता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और संबंधित हितधारकों के बीच उनकी भूमिकाओं में सहज सहयोग को बढ़ावा देने में सांख्यिकी सलाहकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
बैठक के दौरान साझा हितों के विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं और विचार-विमर्श भी किया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि ने इस दौरान एआई क्यूरेशन यूनिट्स/इंडिया एआई डेटासेट्स प्लेटफॉर्म पर एक प्रस्तुति दी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने उभरती प्रौद्योगिकियों (AI/ML/बिग डेटा) के लिए संस्थागत तत्परता, ई-सांख्यिकी पोर्टल और डेटासेट्स और रजिस्ट्री के संग्रह के कवरेज के विस्तार, सांख्यिकी अधिनियम, 2008 के उपयोग और कार्यान्वयन और हाल ही में इससे जुड़े विकास; मेटाडेटा रिपोर्टिंग और डेटा गुणवत्ता समीक्षा के लिए संस्थागत तंत्र, सर्वेक्षणों के प्रभावी उपयोग और डेटा गैप फिलिंग, जीडीपी की संशोधित श्रृंखला में नए डेटा स्रोतों के उपयोग, वैश्विक सूचकांकों पर समन्वय और बुनियादी ढांचा परियोजना निगरानी के बारे में प्रस्तुति दी। इस दौरान डेटा साझा करने के बेहतर तौर-तरीकों, इसके प्रभावी उपयोग के लिए उभरते उपकरणों के उपयोग और डेटा संग्रह के कानूनी और नीतिगत ढांचे के कार्यान्वयन सत्र के बाद देश की सांख्यिकी प्रणाली में सुधार के लिए प्रतिभागियों से फीडबैक प्राप्त करने के लिए विस्तृत प्रश्नोत्तर भी आयोजित किए गए।