संदेह के बादल छंटे !
प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल की हरियाणा प्रशासनिक सेवा की पहली सूची में किसी राजनेता, अफसर के परिवार, रिश्तेदार का नाम नहीं है। गरीब वर्ग के लोगों के योग्य बेटों व बेटियों को अफसर बनने का मौका मिला। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार ने एचसीएस व इससे जुडी सेवाओं के साक्षात्कार के बाद तुरंत परिणाम घोषित कर एक तरह से इतिहास रच दिया। क्षेत्रवाद, जातिवाद, वर्गवाद व राजनैतिक हस्तक्षेप को दरकिनार रखा। प्रशासनिक सेवा में योग्य युवाओं को चयनित किया। सरकार के इस निर्णय की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। यह भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी भी राज्य की सिविल सेवा के साक्षात्कार के तत्काल बाद परिणाम घोषित कर दिए हों। अब ये चयनित 54 अधिकारी भविष्य में प्रदेश की जनता खेवनहार बनेंगें।
चयन में किसी भी तरह की राजनैतिकता, क्षेत्रीयता, भ्रष्टाचार या अन्य प्रकार की अनियमितता की बू नहीं आती। सरकार की नेक नियति की पारदर्शिता का पैमाना पूरी जनता के सामने है। यह हम सभी के लिए हर्ष का विषय है। प्रदेश में यह पहला मौका है जब रिक्शा चलाने वाले, बाल काटने का बेटा व रोडवेज में ड्राईवरी करने वाले कर्मचारी की बेटी एचसीएस बनी। रोहतक निवासी श्वेता सुहाग ने एचसीएस में टाप किया है। श्वेता के पिता रोडवेज में कार्यरत है। दूसरे स्थान पर जींद निवासी अनुपमा मलिक है।
एक तरह से मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मिशाल पेश की है कि नौकरी का पैमाना योग्यता होनी चाहिए। इससे पूरे देश में यह संदेश गया है कि योग्य उम्मीदवारों का चयन ही सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए। इससे प्रदेश के ही नहीं पूरे देश के योग्य युवाओं में एक उम्मीद व आशा की किरण मनोहर सरकार ने जगाई हैै। लोक सेवा आयोग का यह कार्य सराहनीय व प्रशंसनीय है। यह पैमाना भविष्य में भी जारी रहेगा तो वास्ताव में हरियाणा प्रदेश में तरक्की व विचारो ंकी नई बयार बहेगी। योग्यता के आधार पर युवा नौकरी पाएंगे तो प्रदेश दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करेगा।
आंकडों पर गौर करें तो हरियाणा लोक सेवा आयोग ने 54 अधिकारियों के पदों की भर्ती निकाली थी। लगभग 33 हजार युवाओं ने आवेदन किया। 12 हजार से अधिक युवाओं ने परीक्षा दी। जिनमें से 677 उम्मीदवार उतीर्ण हुए। मैरीट के आधार पर 166 युवाओं को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया जिनमें से 54 का चयन हो गया। कुछ उम्मीदवार तो साक्षात्कार देकर घर भी नहीं पहुंचे थे कि शाम को पता चला कि उनका चयन भी हो गया। जिन 54 अधिकारियों का चयन हुआ है उनमें 22 एचसीएस अधिकारी है जिनमें चार एचसीएस रोहतक के बने हैं। कुल उतीर्ण अभ्यर्थियों में से 11 रोहतक – झज्जर से है। सामान्य वर्ग में आरक्षित वर्ग के दो युवाओं रोहतक के शंभू पुत्र कर्ण सिंह व हिसार की बेटी शशि वसुंधरा पुत्री सुरेंद्र कुमार ने एचसीएस में क्रमश दसवां व बारहवां स्थाना प्राप्त किया है।
शिक्षा के क्षेत्र में अन्य जिलों से पिछडे मेवात जिला के नूंह खंड के तैन गांव के रहने वाली वकील अहमद भी अब अफसर है। कुरुक्षेत्र के बराम निवासी सोनूराम के पिता हेयर डेªसर है। सिरसा मंडी डबवाली निवासी जितेंद्र कुमार अब एचसीएस अफसर है। उनके पिता रिक्शा चालक है। यमुनानगर की कृष्णा कलोनी की रहने वाली आईआरएस अधिकारी ईशा कंबोज अब एचसीएस बन गई है। आमजन आदमी का बेटा व बेटी योग्यता के आधार पर अफसर बनता है तो पूरे समाज को खुशी होती है। यह खुशी मनोहर सरकार की देन है जो सभी के लिए सुखद है। जाट समुदाय आरक्षण की लडाई के लेकर सडकों पर है। उसी समुदाय के युवाओं ने लोक सेवा आयोग की हर श्रेणी के अधिकारियों की सूची में अपना स्थान सामान्य वर्ग में सुनिश्चित किया है। पचास प्रतिशत अधिकारी इसी समुदाय से उतीर्ण है।
ऐसा नहीं है कि अफसरों व भाजपा नेताओं के परिवार व रिश्तेदारों ने हरियाणा प्रशासनिक लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भाग नहीं लिया। भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शैले के छोटे भाई हरि प्रवेश सिंह संधू ने मेहनत के बल पर परीक्षा तो पास कर ली लेकिन इंटरव्यू में फेल हो गए। गुडगांव भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल यादव के साले निशांत यादव भी लोक सेवा आयोग की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। मुख्यमंत्री कार्यलय में सरकार व संगठन के बीच समन्वयक का काम देख रहे राजेश कुमार भी इंटरव्यू में पास नहीं हो सके। ऐसे ही अनेक अफसरों के परिवार के सदस्य भी परीक्षा पास नहीं कर पाए। जिन्होंने परीक्षा पास की वे इंटरव्यू में रह गए।
इससे सरकार की छवि में निखार आया वहीं ऐसी भर्तियों के लिए हमेशा विवादों में रहे हरियाणा लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली पर संदेह के बादल छंटे हैं। ऐसा नहीं है कि पहले आयोग ने अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया था लेकिन कार्यप्रणाली हमेशा विवादों में रही। आयोग की लिस्ट से पहले चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट मीडिया में आ जाती थी। जिसमें अधिकतर नेताओं व अफसरों के परिजनों व रिश्तेदारों के नाम ही दिखाई देते थे। जिससे चयनित सूची पर हमेशा सवालिया निशान लगते रहते है। ऐसा नहीं है कि राजनेताओं व अफसरों के परिवार व रिश्तेदारों में योग्यता नहीं होती। वे भी योग्य होते हैं। योग्यता को सिफारिश की जरुरत नहीं पडेगी यह काम अब मनोहर सरकार ने कर दिखाया है । मुख्यमंत्री जी बधाई व प्रशंसा के पात्र है।
हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा ) के महानिदेशक है।