नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि लोग कोरोना वायरस की बजाए उसके भय से अधिक मर जायेंगे। इसलिए अदालत ने प्रशिक्षित काउंसलर और विभिन्न धर्मों के नेताओं को भी राहत शिविरों का दौरा कराने को कहा। अदालत ने कहा कि लॉक डाउन के दौरान लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने और उनके मन में पैदा हुई आशंका को दूर करने की बड़ी जरूरत है ।
सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में दिल्ली से यूपी बॉर्डर पर निकलने संबंधी एक पीआईएल की सुनवाई करते हुए साफ शब्दों में कहा कि केंद्र सरकार को प्रशिक्षित काउंसलर और सामुदायिक एवं धार्मिक नेताओं जिनमें सभी धर्मों के लोग हैं को इस राहत कैंप का दौरा कराना चाहिए और लोगों को जागरूक कराने की कोशिश करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने अब तक 28 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की है इसमें एयरपोर्ट और सी पोर्ट पर आने वाले यात्री दोनों शामिल हैं। उन्होंने बताया कि देश में 3.5 लाख लोग मॉनिटरिंग में हैं। श्री मेहता ने चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी भी दी।
उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से उत्पन्न दहशत और लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में कामगारों के शहरों से अपने पैतृक गांवों की ओर पलायन की स्थिति से निबटने के उपायों पर सोमवार को केन्द्र से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी ।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि दहशत और भय की वजह से बहुत संख्या में कामगारों का पलायन कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा बड़ी समस्या बन रहा है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा था कि वह इस स्थिति से निबटने के लिये सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बीच कोई निर्देश देकर भ्रम पैदा नहीं करना चाहती।
पीठ ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल से कहा था कि इस मामले में वह केन्द्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी।
केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कल सुनवाई में कहा था कि कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये इन कामगारों के पलायन को रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और संबंधित राज्य सरकारों ने इस स्थिति से निबटने के लिये आवश्यक कदम उठाये हैं।
पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इन याचिकाओं को मंगलवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया था और आज इस पर फिर सुनवाई हुई ।