सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। प्रचंड बहुमत से लोकसभा चुनाव 2019 में विजय हासिल कर वापस आई भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के नेता नरेंद्र मोदी आगामी 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे । इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने संसदीय दल की बैठक बुलाई है जिसमें प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को दोबारा पार्टी का नेता चुना जाएगा। इसके बाद एनडीए सांसद दल की बैठक होगी जिसमें श्री मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुनने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और फिर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। इस बीच खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के वरिष्ठ तम नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मिलने उनके घर पहुंचे हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन ने इतिहास रच दिया है एक तरफ भाजपा अपने बल पर 302 सीटें हासिल कर अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है जबकि दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन ने 500 52 सीटें सीटों पर कब्जा कर लोकतांत्रिक चुनाव में विपक्ष को हास्य पर हांसी हास्य पर खड़ा कर दिया है।
हालांकि इस बात की संभावना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही सता रहे थे और पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह लगातार अबकी बार 300 पार के जुमले पर अपने लक्ष्य को हासिल करने का संदेश दे रहे थे लेकिन विपक्ष में कांग्रेस सहित 22 दलों के नेताओं को जनता में चल रहे मोदी करंट का भान नहीं था। गुरुवार को हुई मतगणना में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली वाले एनडीए गठबंधन को अपार बहुमत देश की जनता ने देकर दोबारा सत्ता में वापस स्थापित कर दिया। इस चुनाव में एक बार फिर कई वर्षों बाद कई रिकॉर्ड बनाए हैं एक तरफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में सर्वाधिक मत डाले गए तो दूसरी तरफ विपक्ष के दर्जनों दिग्गज नेताओं को अगले 5 साल के लिए राजनीतिक रूप से घर बैठने को मजबूर कर दिया। इनमें कांग्रेस पार्टी के कई पूर्व मुख्यमंत्री कई पूर्व केंद्रीय मंत्री कई फायर ब्रांच युवा चेहरे भी मोदी लहर में धराशाई हो गए।
खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में जातिगत समीकरण को देखकर दोनों ही राज्यों में हुए विपक्षी दलों के गठबंधन और महागठबंधन की स्थिति बेहद खराब रही चुनाव पूर्व और चुनाव प्रचार के दौरान लगाए जा रहे कयासों और राजनीतिक आकलन को भी दोनों राज्यों की जनता ने धूल चटा दिया। कई जगह कांग्रेश पार्टी की परंपरागत सीट जिनमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी सीट भी शामिल है और हरियाणा में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा की रोहतक शीट राजस्थान में अशोक गहलोत की परंपरागत सीट पर खड़े उनके बेटे वैभव गहलोत मध्यप्रदेश में महाराजा के नाम से जाने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना सीट अब उनके पास नहीं रही उन्हें अगले 5 वर्ष बाद फिर अपनी राजनीतिक जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए या तो किसी और सीट की ओर जाने की जरूरत महसूस होगी या फिर उन्हीं क्षेत्रों में नए सिरे से मतदाता रूपी जमीन में नए प्रकार के खाद और बीज डालने की आवश्यकता पड़ेगी।
सबसे अधिक चौंकाने वाली स्थिति कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का अपनी वर्षों पुरानी पारिवारिक परंपरागत सीट अमेठी से लगभग 50000 वोटों के अंतर से हारना रहा जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी गुना सीट से पराजित हुए जहां उनके खिलाफ बोलना भी वहां की जनता को गवारा नहीं होता था लेकिन महाराजा का किला ध्वस्त हो गया।
देश में चल रही मोदी लहर में कांग्रेस पार्टी ने कई प्रमुख चेहरे खो दिए हैं इनमें मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुनील दत्त की पुत्री प्रिया दत्त राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र जोधपुर से वैभव गहलोत हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सुपुत्र रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री भोपाल से दिग्विजय सिंह, पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा मुंबई नॉर्थ उर्मिला मातोंडकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष फतेहपुर सीकरी से राज बब्बर पूर्व केंद्रीय मंत्री चंडीगढ़ से पवन कुमार बंसल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री सोनीपत से भूपेंद्र सिंह हुड्डा उत्तर-पश्चिम मुंबई से संजय निरुपम पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर से हैं। जाहिर है यह चेहरे अब अगले 5 साल तक लोकसभा में नहीं दिखेंगे।
इसी तरह कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने वाले या उनके साथ हाथ मिलाकर चलने वाली पार्टी के भी कई प्रमुख नेता इस बार लोकसभा नहीं पहुंच पाए इनमें एनसीपी से पार्थ पवार जो पार्टी के संस्थापक शरद पवार के पोते हैं मार्वल से चुनाव हार गए उत्तर प्रदेश कन्नौज से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते निखिल कुमार स्वामी जो मांड्या से चुनाव लड़ रही थी पराजित हो गए हैं बिहार में लालू यादव की पार्टी राजद का खाता भी नहीं खुल पाया और एकमात्र उम्मीद पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की पुत्री निशा भारती पाटलिपुत्र सीट से चुनाव हार गई हरियाणा में पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला भी चुनाव हार गए बड़ी उम्मीद के साथ समाजवादी पार्टी आनन-फानन में ज्वाइन करने वाली बड़े अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा लखनऊ से पराजित हो गई आम आदमी पार्टी युवा चेहरा और धारदार बहस करने में माहिर दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा बिहार के बेगूसराय सीट से वामपंथी झंडा को फहराने के लिए आते रहे कन्हैया कुमार असम कोकराझार से माकपा के विराज देखा भी चुनाव नहीं जीत पाए।
बंगाल में आसनसोल सीट से टीएमसी उम्मीदवार मुनमुन सेन बेंगलुरु सेंट्रल से निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश राज दक्षिणी दिल्ली से मुक्केबाजी की दुनिया से राजनीतिक मुक्केबाजी करने कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में खड़े विजेंद्र सिंह प्रसिद्ध खिलाड़ी कृष्णा पूनिया जयपुर ग्रामीण से तुमकुर लोकसभा क्षेत्र कर्नाटक से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा जो जेडीएस के प्रत्याशी थे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रत्याशी जीतन राम मांझी गया से पिछले उपचुनाव में कैराना लोकसभा क्षेत्र में अचानक राजनीतिक क्षितिज पर चमकने वाली समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार तबस्सुम बेगम रालोसपा की प्रमुख और इन बीएसई चुनाव से ऐन वक्त पहले गठबंधन तोड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा उजियारपुर बिहार से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सईद पीडीपी प्रत्याशी के रूप में अनंतनाग जम्मू कश्मीर से उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और झारखंड दुमका सीट से पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन 2019 लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिनिधियों से बुरी तरह पिछड़ गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन ने हालांकि अपार बहुमत हासिल तो कर ली लेकिन इनके भी कुछ प्रत्याशी इस बार हारने वालों में शामिल हो गए। इनमें आजमगढ़ यूपी सीट से दिनेश लाल यादव निरहुआ पार्टी के फायर ब्रांड राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा पूरी सीट से त्रिशूर केरल से सुरेश गोपी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गाज़ीपुर सीट से मनोज सिन्हा इस बार मतदाताओं का विश्वास हासिल करने में नाकामयाब रहे।
राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ गुजरात ने तो नरेंद्र मोदी की झोली ऐसी भर दी कि शायद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी इतनी उम्मीद नहीं थी। अगर बात करें उत्तर भारत के राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते जनाधार की तो अधिकतर राज्यों में पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की अपेक्षा इस बार के चुनाव में वोट प्रतिशत भी काफी बड़े हैं।
गुजरात हरियाणा झारखंड हिमाचल प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश दिल्ली उड़ीसा राजस्थान उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में अपने वोट प्रतिशत में बड़ी विधि करने में कामयाबी पाई है भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का हमेशा फोकस देश में 50% की राजनीति करने पर रहा है और इस बार के चुनाव में उनके इस कथन और लक्ष्य को मजबूती प्रदान करते हुए यह दर्शा दिया है कि उनका राजनीतिक आकलन सतीश था सतीश सदीक था क्योंकि देश के करीब 1 दर्जन बड़े राज्यों में भाजपा को 50% से अधिक वोट मिले हैं।
वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 41 पॉइंट 30 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इस बार 49 दशमलव 50% वोट मिले इस तरह राजस्थान में पिछली बार 24.90 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इस बार 58.4 6% इसी तरह मध्यप्रदेश में 2014 में 54 प्रतिशत मत मिले थे जबकि इस बार 58 पॉइंट जीरो 1% भाजपा के पक्ष में गए हैं हरियाणा ने तो कमाल कर दिया यहां 10 की 10 सीटें भारतीय जनता पार्टी की झोली में चली गई है यहां वर्ष 2014 में केवल 4 पॉइंट 9 0% वोट मिले थे जबकि इस बार के चुनाव में छप्पर फाड़कर हरियाणा के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी की झोली में वोट डाले हैं और या 57.8 प्रतिशत की सीमा पार कर गया बिहार में वोट प्रतिशत घटे बावजूद इसके वहां 40 में से 399 सीटें हासिल करने में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को सफलता मिली है 2014 में बिहार में 29.4 0 प्रतिशत मिली मिले थे जबकि इस बार 23 प्वाइंट 77 प्रतिशत मत ही मिले हैं।
बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी को 48 पॉइंट 7 0% मत मिले थे जबकि इस बार 50 पॉइंट 7 8 0% मत मिले हैं और विधानसभा में हुई भाजपा की करारी हार का बदला इस बार छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी ले लिया देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2014 में भी सभी 7 की 7 सीटें भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गई थी और इस बार भी स्थिति पूर्ववत रही सभी 7 सीटें यहां के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी की झोली में डाल दिया और वोट प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई है यहां वर्ष 2014 में भाजपा के पक्ष में 6 प्वाइंट्स ओर 0% मतदान हुए थे 346 46 प्वाइंट 0% मतदान हुए थे जबकि इस बार फिफ्टी सिक्स पॉइंट 5 8 प्रतिशत मतदान हुए हैं हिमाचल प्रदेश में भी कमाल कर दिया है यहां भी सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया वर्ष 2014 में इस देवभूमि में भाजपा को 53.3 एक प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इस बार 695104 प्रतिशत मत देकर यहां की जनता ने इस प्रदेश को भाजपा के घर के रूप में स्थापित कर दिया झारखंड को लेकर इस बार कई प्रकार के नकारात्मक कयास लगाए जा रहे थे लेकिन यहां भी मोदी का जलवा मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला वर्ष 2014 में यहां केवल 40 पॉइंट जीरो प्रतिशत मत भाजपा को मिले थे जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 50 पॉइंट 6 प्रतिशत सिक्स वन प्रतिशत मत मिले दूसरी तरफ उड़ीसा में हालांकि ऐसी संभावना जताई जा रही थी उस प्रकार की सफलता तो भाजपा को नहीं मिली लेकिन बेहतर प्रदर्शन करते हुए यहां भी अपने वोट प्रतिशत में काफी इजाफा किया वर्ष 2014 में उड़ीसा में भाजपा की झोली में 1 पॉइंट 50 प्रतिशत मत आए थे जबकि लोकसभा चुनाव 2019 में 30.2 5% मत मिले हैं उत्तराखंड में भी मत प्रतिशत को बढ़ाने में भाजपा को सफलता मिली है यहां वर्ष 2014 में 55.30 प्रतिशत मत मिले थे जबकि इस बार 60.7 100% मतदान भाजपा के पक्ष में हुए सबसे चौंकाने वाली स्थिति पश्चिम बंगाल की रही जहां भारी हिंसा और संघर्ष के बावजूद भाजपा ने पश्चिम बंगाल में स्थापित सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है यहां वर्ष 2014 में भाजपा को केवल A3 18 प्रतिशत वोट ही मिले थे जबकि इस बार 40 पॉइंट 4 प्रतिशत लेकर यह जता दिया है कि भारतीय जनता पार्टी अब पैन इंडिया पॉलीटिकल पार्टी के रूप में स्थापित हो चुकी है अपने गृह राज्य गुजरात में हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वहां भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर गुजरात के मतदाता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताते दिखे वर्ष 2014 में गुजरात में 60 पॉइंट एक 1% वोट भाजपा को मिली थी जबकि लोकसभा चुनाव 2019 में 62.2 1% वोट हासिल कर कांग्रेश को एक बार फिर किनारे लगा दिया।
लोकसभा चुनाव 2019 देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में नए नए आयाम पैदा किए नरेंद्र मोदी पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपने 5 साल का पहला कार्यकाल पूरा कर दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। बात की जाए बहुमत प्राप्त करने की तो 1984 के बाद जब राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को बड़ी विजय हासिल हुई थी उसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी पहली पार्टी बनी थी इसने लोकसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया था 1971 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के बहुमत से दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा पहली गैर कांग्रेसी पार्टी है जिसने अपने बलबूते 5 साल का कार्यकाल पूरा कर दोबारा उससे अधिक बहुमत लेकर सत्ता में वापस आने में बड़ी सफलता हासिल की है।