इलेक्शन मेनिफेस्टो में शामिल करने वाले दल व प्रत्याशी का मजदूर करेंगे समर्थन
गारमेंट सहित ऑटोमोबाइल क्षेत्र में न्यूनतम वेतन देने में कोताही बरतने का लगाया आरोप
गुड़गांव औघोगिक क्षेत्र में मजदूर वोटरों की संख्या करीब 11 लाख होने का दावा
“हायर एन्ड फायर” कानून को तत्काल निरस्त करने का मंगा आश्वासन
गुरुग्राम । लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी का श्रमिकों के मुद्दों की ओर कतई ध्यान नहीं है। चुनाव में राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो में मजदूर की समस्या का जिक्र नहीं है, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आलम यह है कि 50 फीसदी से ज्यादा कमेरे वर्ग का देश के विकास में योगदान होने के बावजूद श्रमिक दयनीय स्थिति में है। इतना भी मेहनताना नहीं मिल रहा कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा-चिकित्सा मुहैया करा सके। भरपेट खाने के भी लाले पड़े हुए हैं। अब मजदूर वर्ग अपनी वोट की चोट से राजीनीतिक पार्टियों को सबक सिखाने को तैयार है।
सोमवार को शमा रेस्टोरेंट में प्रेस वार्ता के दौरान ये बातें मारुति सुजुकी मजदूर संघ के प्रधान कुलदीप जांघू ने कही। जांघू ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन ही बहुत कम है, जो हैं वो भी कानूनन नहीं मिल पा रहा है। गारमेंट सहित ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी न्यूनतम वेतन देने में कंजूसी बरती जा रही है । जनप्रतिनिधि को बोलते हैं तो उन्हें जूं नहीं रेंगती,।
उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि लोकसभा उम्मीदवारों को मजदूर के दर्द की कोई जानकारी नहीं है। गुड़गांव औघोगिक क्षेत्र में मजदूर वोटरों की संख्या करीब 11 लाख है, यदि कोई राजीनीतिक दल हमारे मुद्दों को अपने एजेंडे में रखेगा व वादे पूरे करने का लिखित में आश्वासन मिलता है तो हम उसे वोट देने के लिए मजदूरों से अपील करेंगे व समर्थन करेंगे।
उन्होंने मजदूरों के एजेंडे की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे मुद्दों में यह है कि सरकार 44 केंद्रीय कानूनों को 4 कोड मेंकर के पूंजीपतियों को खुश करके मजदूरों का दमन करना चाहती है जो कि बर्दास्त से बाहर है। उन्होंने मांग की कि इस नीति को वापस ले। सरकार “हायर एन्ड फायर”(काम पर रखो व कभी भी निकालो) के सिद्धांतों को लागू करने पर उतारू है, इसे निरस्त किया जाए।
सरकार पूंजीपतियों के कहने पर “फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट” के सिद्धांत को ले आई है। नीम (Employability Enhancement Mission) तथा नेताप(National Employment Through Apprenticeship Programme) कार्यक्रम लाये गए हैं, जो कि अब ठेका मजदूरों को भी एप्रेंटिक्स व ट्रेंनिग मजदूरों में बदलने की नीति वापस करो।
उन्होंने बल देते हुए कहा कि मालिक परस्त श्रम कानूनों में बदलाव को वापिस लिया जाये। न्यूनतम वेतन 21000/-रु किया जाये। न्यूनतम वेतन तरीके से दिया जाए। धांधलेबाजी नहीं होनी चाहिए। ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाई जाये। ब्रिटिश प्रशासन से लड़कर लिए गए श्रम कानूनों में छेड़छाड़ न हो तथा श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाये।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दो वर्ष से संघर्षरत दर्जनभर उद्योंगों से निकाले गए श्रमिकों को वेतन सहित ड्यूटी पर लें व सम्मानजनक समझौता करें। लम्बित चल रहे दर्जनों सामूहिक मांग पत्रों पर सम्मानजनक समझौता किया जाये। समान काम समान वेतन को सख्ती से लागू किया जाये। महिला मजदूरों को पुरूष मजदूरों के बराबर वेतन दिया जाए।
मजदूर नेता ने पिछले वर्षों में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मारुति के जेल में बंद श्रमिकों को तुरन्त रिहा करें व निकाले गए सभी श्रमिकों को ड्यूटी पर लें। श्रमिक नेताओं पर लगे झूठे मुकद्दमें वापस हों।
हरियाणा प्रदेश में सभी उद्योगों मेंआठ घण्टे कार्य लिया जाए, जबकि हालात ये हैं कि काफी जगह 12-12 घण्टे काम लिया जा रहा है। श्रमिक के बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाए तथा चिकित्सा के नाम पर ईएसआई होस्पिटल में एम्स व प्राइवेट होस्पिटल की तर्ज पर इलाज की सुविधा हो। ईएसआई व ईपीएफ की नीतियों में पूर्ण रूप से पारदर्शिता लागू हो। असंगठित श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा कानून दिया जाए कि वहां उद्योग लगाने के तुरंत बाद यूनियन गठित हो, नहीं तो उद्योग चलाने की अनुमति नहीं दी जाए।
कुलदीप जांघू ने श्रमिक वेलफेयर बोर्ड की योजनाओं को तुरन्त लागू करने की मांग की और उनमें पारदर्शिता व सरलीकरण होने की बात दोहराई। गुरुग्राम जैसे देश के बड़े औघोगिक क्षेत्र में श्रमिक भवन की व्यवस्था हो। जो कि कई वर्षों से मांग की जा रही है। प्रदेश में सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए तथा सरकार द्वारा पक्के करने की पॉलिसी तय सीमा में घोषित हो। पुरानी पेंसन स्कीम को लागू किया जाए।
उन्होंने दावा किया कि पिछले दो वर्षों में गुरुग्राम-रेवाड़ी औघोगिक क्षेत्र में करीब दर्जनभर उद्योग को गैरकानूनी तरीके से तालाबंदी कर दी है, उन्हें तुरंत चालू कराने पर बल दिया। बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराए जाएं। हर नागरिक की रोजगार की गारंटी सरकार द्वारा निर्धारित होनी चाहिए,योग्यता के अनुसार उन्हें रोजगार दिए जाएं। नईआर्थिक नीतियों उदारीकरण, निजीकरण ववैश्विकरण की नीतियों को रद किया जाए। सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए मकानों की व्यवस्था की जाए,ताकि वह कर्मचारी अपनी छत के नीचे जीवन यापन कर सके।
प्रेस वार्ता में मारुति सुजुकी मजदूर संघ के मुख्य सरंक्षक धीरेंद्र तिवारी, महासचिव सन्दीप यादव, उपप्रधान भानुप्रताप सिंह, सहसचिव सुरेंद्र जांगड़ा, कानूनी सलाहकार अशोक यादव, संगठन सचिव अजित सिंह, मुंजाल गुड़गांव से सुभाष मलिक, विकास कुमार, इंदल सिंह, राजेश कुमार, श्यामलाल, एमपीटी से ललित त्यागी, बेल सोनिका से राजपाल, मोहिंदर सिंह आदि मौजूद थे।