सरकारी बैंकों को मिलेंगे 41 हजार करोड़ रुपये, मोदी सरकार का नया प्लान

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नई दिल्ली। सरकारी बैंकों में सरकार अतिरिक्त पूंजी डालेगी। सरकारी बैंकों को 41,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी मिलेगी। सरकार ने गुरुवार को संसद में सप्लीमेंट्री डिमांड पेश की है, जिसमें वित्त वर्ष 2019 के लिए 85,948 करोड़ अतिरिक्त रकम की मांग की गई है। इसमें राज्यों की सब्सिडी के लिए 5500 करोड़ रुपये की चीनी कंपनियों के बफर स्टॉक के लिए 450 करोड़ रुपये की, चीनी मिलों के लिए 400 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 6084 करोड़ रुपये के अतिरिक्त रकम की मांग की गई है।

जानकारी के मुताबिक, 5 बैंकों को पीसीए से बाहर किया जा सकता है। इन बैंकों के हालत सुधरने के बाद यह फैसला लिया जा सकता है। इन बैंकों बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉर्पोरेशन बैंक को लेकर अटकलें तेज है।

* सरकार आईएफसीआई को 200 करोड़ रुपये दे सकती है।
* एयर इंडिया को 2345 करोड़ रुपये दे सकती है.।
* आरईसी को 324 करोड़ रुपये मिल सकते है।
* पीएफसी को बॉन्ड के ब्याज भुगतान के लिए 26.4 करोड़ रुपये मिल सकते है।

सरकार ने इससे पहले इसी महीने पांच सरकारी बैंकों-पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक में 11,336 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी।

पीएनबी को पहले ही दो बार पूंजी मिल चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अब पूंजी पर्याप्तता अनुपात के लिए कम पूंजी की जरूरत है, क्योंकि रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह उनके लिए वैश्विक नियमों या बेसल तीन के अनुपालन की समय सीमा एक साल बढ़ाकर मार्च, 2020 तक कर दी है।

 

 

सरकार ने बैंक पुनर्पूंजीकरण परिव्यय को चालू वित्त वर्ष में बढ़ाकर 1,06,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव संसद में रखा 

विकास इंजन के रूप में बैंकिंग क्षेत्र पर विशेष जोर देन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिक नई पूंजी मुहैया कराई जाएगी ‘पीसीए’ से बाहर निकलने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले पीसीए बैंकों को पर्याप्त पूंजी दी जाएगी

 

सरकार ने आर्थिक विकास की गति तेज करने एवं दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति को और ज्यादा मजबूत करने के उद्देश्य से बैंक पुनर्पूंजीकरण परिव्यय को चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,06,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव आज संसद में रखा। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को आने वाले कुछ महीनों में 83,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की नई पूंजी मुहैया कराना संभव हो पाएगा।

 

ज्यादा नई पूंजी देने के प्रावधान के उद्देश्य ये हैं :

  • पूंजी से जुड़े नियामकीय मानकों को पूरा करना।
  • बेहतर प्रदर्शन करने वाले पीसीए बैंकों को पूंजी मुहैया करना, ताकि वे 9 प्रतिशत के पूंजी-जोखिम भारित परिसम्पत्ति अनुपात (सीआरएआर), 1.875 प्रतिशत के पूंजी संरक्षण बफर और 6 प्रतिशत की शुद्ध एनपीए सीमा को हासिल कर सकें। इससे उन्हें पीसीए के दायरे से बाहर आने में आसानी होगी।
  • पीसीए से जुड़ी कुछ सीमाओं के उल्लंघन की स्थिति में आ चुके गैर-पीसीए बैंकों को सहूलियत देना, ताकि वे उल्लंघन से बच सकें।
  • नियामकीय एवं विकास पूंजी मुहैया करा के विलय कर रहे बैंकों को सुदृढ़ बनाना।

 

सरकार की ‘4 आर’  अवधारणा के तहत बैंकिंग प्रणाली में व्यापक बदलाव के साथ व्यवस्था को दुरुस्त करने के बाद अब बैंकों को और भी अधिक नई पूंजी उपलब्ध कराने से बैंक वित्तीय दृष्टि से वैश्विक मानकों की तुलना में बेहतर स्थिति में हो जायेंगे। ‘4 आर’  की अवधारणा में रिकग्निशन (पहचान करना), रिसोल्यूशन (समाधान), रिकैपिटलाइजेशन (पुनर्पूंजीकरण) और रिफॉर्म (सुधार) शामिल हैं।

 

4 आर’  की अवधारणा का प्रमुख असर कुछ इस तरह से हुआ है :  

  • पीएसबी का सकल एनपीए मार्च, 2018 में शिखर पर पहुंचने के बाद घटने लगा है। चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही के दौरान इसमें 23,860 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है।

 

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  • पीएसबी के 31 से 90 दिन तक गैर-अदायगी वाले गैर-एनपीए खातों में 5 लगातार तिमाहियों के दौरान 61 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। यह जून, 2017 के 2.25 लाख करोड़ रुपये से घटकर सितंबर, 2018 में 0.87 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया है। इसकी बदौलत जोखिम वाले ऋणों में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • पीएसबी का प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) मार्च, 2015 के 46.04 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर, 2018 में 66.85 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इससे नुकसान को खपाने संबंधी बैंकों की क्षमता बढ़ गई है।

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  • चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में पीएसबी ने 60,726 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड रिकवरी की है जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई रिकवरी राशि की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।

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