नई दिल्ली। मीडिया की खबर के अनुसार देश के थलसेना प्रमुख आज अपने मातहत सभी सात वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स से खास बैठक करने वाले हैं। यह महत्वपूर्ण बैठक राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में होने वाली है।चर्चा है कि इस बैठक में सेना में करीब डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती को लेकर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता में विचार विमर्श होगा। इसमें सेना अध्यक्ष अपने सभी कमांडर्स की राय जानना चाहते हैं।
खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि, सेना प्रमुख चाहते हैं कि रक्षा बजट के बेहतर इस्तेमाल के लिए बेहद जरूरी है कि 12.6 लाख सैनिकों वाली सेना को थोड़ा छोटा किया जाए। तर्क दिया जा रहा है कि अभी रक्षा बजट का करीब 83 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों की सैलरी में खर्च (राजस्व खर्चा) हो जाता है और हथियार और दूसरे सैन्य साजों-सामान के लिए थलसेना के पास मात्र 17 प्रतिशत ही बचता है (कैपिटल एक्सपेंडिचर यानि पूंजीगत व्यय)। ऐसे में सेना के आधुनिकीकरण के लिए राशि कम रहती है। इसका असर सेना को साजो सामान मुहैया कराने की प्रक्रिया और पड़ता है।
खबर में सेना मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दावा किया गया है कि हाल ही में सेनाध्यक्ष ने सेना की ‘रिस्ट्रक्चरिंग’ यानि पुर्नगठन के लिए चार स्टडी-ग्रुप का गठन किया था। एक-एक लेफ्टिनेंट जनरल की अध्यक्षता के नेतृत्व वाले ये स्टडी ग्रुप सेना की फील्ड फॉर्मेशन, सेना मुख्यालय, कैडर रिव्यू और जेसीओ रैंक के सैनिकों के काम करने के तरीकों से जुड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही ये चारो ग्रुप अपनी रिपोर्ट सेनाध्यक्ष को सौंपने वाले हैं।
फिर अक्टूबर के महीने में सेना के आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस में इन सभी रिपोर्टिस पर चर्चा होगी और फिर इन्हें रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। लेकिन इससे पहले सेना प्रमुख अपने सभी सातों कमांडर्स से इस पर चर्चा करना चाहते थे। इसलिए मंगलवार यानी आज वे इन स्टडी ग्रुप्स और उनकी संभावित रिपोर्ट्स की समीक्षा करेंगे। हालांकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि सेनाध्यक्ष एक साथ सेना की सभी सातों कमांड के प्रमुखों से बैठक करते हैं। साल में दो बार होने वाली आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस में अमूमन सेना प्रमुख अपने कमांडर्स से वार्तालाप करते हैं। लेकिन सेना के पुर्नगठन की समीक्षा के लिए वे मंगलवार को सभी सातो कमांडर्स के साथ महत्वपूर्ण बैठक कर रहे हैं।