पूर्व वित्त मंत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार से पूछे कई सवाल
रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण में 48 प्रतिशत लोगों ने देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब बताया
हर साल दो करोड़ नौकरियों देने का वादा भी जुमला बन कर रह गया
किसानों को लागत से 50 फीसदी अधिक मूल्य देने का दावा भी भ्रमित करने वाला
श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण (अक्टूबर-दिसंबर, 2017) का डेटा जारी क्यों नहीं किया ?
नई दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने आज नरेंद्र मोदी सरकार को देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब होने का जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी कथित गलित नीतियों की आलोचना की. उनका कहना है कि नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के कारन ही यह स्थिति पैदा हुई है. चिदंबरम ने आज देश में कृषि, जीडीपी, रोजगार की स्थिति , व्यापार के हालात और अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं को उजागर करते हुए आर्थिक गिरावट का संकेत दिया और मोदी सरकार पर हमला बोला । पूर्व वित्त मंत्री ने खुलासा किया कि पिछले चार वर्षों में एनपीए 2,63,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपए हो गया. उन्होंने आशंका जताई कि अगर इस प्रकार की गलतियाँ जारी रही तो एनपीए आगे और बढ़ेगा।
उन्होंने पत्रकारों को बताया कि ’मई 2014 के बाद बहुत सारी बातें की गई, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत लगातार खराब होती चली गई। चिदंबरम ने कहा, ’किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुताबिक उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश का हर किसान यह जानता है कि लागत से 50 फीसदी से अधिक की बात एक जुमला है।’
उन्होंने दावा किया कि रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण के मुताबिक 48 फीसदी लोगों ने माना है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है। पूर्व वित्त मंत्री ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी की चर्चा करते हुए कहा कि इस मामले पर देश में गुस्सा है। उन्होंने कटाक्ष किया कि मोदी सरकार ने अच्छे दिन के वादे के तहत हर साल दो करोड़ नौकरियों देने का वादा किया था, लेकिन अबतक कुछ हजार नौकरियां ही पैदा की गई।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण (अक्टूबर-दिसंबर, 2017) का डेटा जारी क्यों नहीं किया है? चिदंबरम ने माना कि विश्व की अर्थव्यवस्था के बदलाव का असर कुछ हद तक देश की अर्थव्यवस्था पर होता है, लेकिन इन दिनों अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी अच्छा कर रही है। यूरोप में भी स्थिति ठीक है। उनका कहना था कि भारत में हमारी नीतिगत गलतियों और कुछ गलत कदमों की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है।
उन्होंने याद दिलाया कि 2015-16 में विकास दर 8.2 प्रतिशत थी जो 2017-18 में घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई। चिदंबरम ने साफ़ शब्दों में आरोप लगाया कि जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने के कारन ही कारोबार प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने खुलासा किया कि पिछले चार वर्षों में एनपीए 2,63,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपए हो गया. उन्होंने आशंका जताई कि अगर इस प्रकार की गलतियाँ जारी रही तो एनपीए आगे और बढ़ेगा।