नई दिल्ली : संसद में मंगलवार को लगातार 13वें दिन एक बार फिर हंगामा देखने को मिला, हंगामे के कारण दोनों ही सदनों में कोई कामकाज नहीं हुआ. लोकसभा में तो विपक्ष ने हंगामा करते हुए संवेदनहीनता की लक्ष्मण रेखा भी लांघ दी. दरअसल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इराक में मारे गए 39 भारतीयों के मुद्दे पर सारी जानकारी और तथ्य सदन में रखना चाहती थीं लेकिन विपक्ष ने हंगामा करते हुए उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष और खुद सुषमा स्वराज ने कई बार अनुरोध किया कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाए, लेकिन विपक्ष अपने हंगामे की राजनीति छोड़ने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि विदेश मंत्री ने राज्यसभा में अपनी बात रखी, लेकिन उनका वक्तव्य पूरा होते ही सदन में शोर-शराबा होने लगा और फिर राज्यसभा में भी कोई कामकाज नहीं हो पाया.
इराक के मौसुल में भारतीयों की मौत के मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज राज्यसभा में बयान देने के बाद जब लोकसभा पहुंचीं, तो वहां नजारा बदला हुआ था. संसद में जोरदार हंगामा हुआ और विदेश मंत्री अपना बयान नहीं दे सकीं. हंगामे से स्पीकर सुमित्रा महाजन नाराज दिखीं. उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है, इस तरह असंवेदनशील बनकर राजनीति मत कीजिए.
विदेश मंत्री भी बार-बार सदस्यों से अपील करती रहीं लेकिन विपक्ष अनसुना करता रहा. बाद में सदन के बाहर भी विदेश मंत्री ने इस हंगामे को ओछी हरकत करार देते हुए इसकी निंदा की.
इससे पहले लोकसभा में 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया. हंगामे को देख लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. 12 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो एक बार फिर वही नजारा देखने को मिला. जिसके बाद सदन पूरे दिन के लिए स्थगित हो गया.
राज्यसभा में विदेश मंत्री के बयान के बाद हंगामा हुआ और सदन दिन भर के लिए स्थगित हो गया. सरकार ने फिर दोहराया कि वो किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं.
जिस तरह से बजट-सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है, ऐसे में बड़ा सवाल यही हो जाता है कि जनता के लिए और जनता के पैसों की बर्बादी आखिर कब तक होती रहेगी और जनता के हित से जुड़े मुद्दे कब तक यूं ही दरकिनार होते रहेंगे.