चंडीगढ़, 9 मार्च : हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना राज्य का विकास अधूरा है, इसलिए ग्रामीण विकास, सामुदायिक विकास और पंचायतों के लिए वर्ष 2018-19 के लिए 4301.88 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्तावित किया गया है, जो संशोधित अनुमान 2017-18 के 3451.19 करोड़ रुपये से 24.65 प्रतिशत अधिक है।
आज यहां राज्य विधानसभा में वर्ष 2018-19 के लिए अपने बजट अनुमान प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के समान और संतुलित आर्थिक विकास के लिए गांवों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
क्रियान्वित किए जा रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक पांच वर्ष के अंदर 10,000 या उससे अधिक जनसंख्या वाले गांवों के योजनाबद्ध विकास के लिए स्वर्ण जयंती महा ग्राम विकास योजना, तीन वर्ष की अवधि के दौरान 3,000 से 10,000 तक की जनसंख्या वाले 1,700 गांवों के विकास के लिए दीनबंधु हरियाणा ग्राम उदय योजना और ग्रामीण-शहरी समूहों के विकास पर लक्षित श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (एसपीएमआरएम), जिससे क्षेत्र के समग्र विकास को गति मिलेगी, शामिल हैं।
ये कलस्टर आर्थिक गतिविधियों का प्रावधान करके, विकासशील कौशल और स्थानीय उद्यमिता और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके विकसित किए जाएंगे। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत, 6.33 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों (आईएचएचएल) का निर्माण किया गया है। राज्य को 22 जून, 2017 को खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है। अब, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण का ध्यान ओडीएफ प्लस पर है, जिसके तहत हरियाणा को प्लास्टिक-मुक्त, स्वच्छ और हरित बनाने की परिकल्पना की गई है।
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि कार्यों, पदाधिकारियों और निधियों के मामले में पंचायत राज संस्थाओं (पीआरआई) को सशक्त करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता कानून बनाकर पंचायती राज संस्थाओं को साक्षर बनाने, पंचायती राज संस्थाओं के सभी तीनों स्तरों पर जनप्रतिनिधियों के वेतनमान/मानदेय बढ़ाने, ‘स्वर्ण जयंती विकास निधि’ योजना के अंतर्गत जनसंख्या के आधार पर सभी ग्राम पंचायतों को सालाना विकास कार्यों के लिए धन के सुनिश्चित पैकेज के हस्तांतरण में परिलक्षित होती है।
पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों को मजबूत बनाने, उनके सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत अध्ययन और तीन विश्वविद्यालयों नामत: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के बीच श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों को सांझा करने के उद्देश्य से, सरपंचों और ग्राम सचिवों के लिए मई, 2017 में तीन माह का सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के अंतर्गत, इस योजना के तहत लगे श्रमिकों को एक अप्रैल, 2017 से 277 रुपये प्रति मानव दिवस की न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है, जो देश में सर्वाधिक है। वर्ष 2017-18 (दिसंबर, 2017 तक) के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों में 65.38 लाख मानव दिवस सृजित करने और 25,377 विकास कार्यों के लिए 223.10 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यदि केंद्र सरकार से समय पर भुगतान प्राप्त नहीं होता है, तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम कर रहे गरीब लोगों को समय पर मजदूरी का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रुपये का एक अलग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना रिवॉलविंग फण्ड बनाया है।