केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक का निर्णय
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की बैठक की अध्यक्षता
नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में आज यहां केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक आयोजित की गई।
एजेंडे के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को भी ध्यान में रखते हुए बैठक में कई निर्णय लिये गए। निम्न प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया।
- हम अगले पांच वर्षों में देश के सभी विद्यालयों में‘ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड’ को लांच करने की भरसक कोशिश करेंगे। यह प्रयास केंद्र, राज्य, सीएसआर और समुदाय के द्वारा संयुक्त रूप से किया। यह शिक्षा के स्तर में सुधार लाएगा। छात्रों को शिक्षण के दिलचस्प तरीकों से संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। शिक्षकों की जवाबदेही को भी बढ़ाया जाएगा।
- हम अत्यंत सक्रिय कदमों और योजना के माध्यम से शिक्षा में गुणवत्ता, समानता, पहुंच, जवाबदेही और किफायत सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- हम स्वच्छ भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत, पढ़े भारत, सुगम्य भारत और शारीरिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- हम मानव मूल्य आधारित शिक्षा, जीवन कौशल शिक्षा, प्रायोगिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने का संकल्प लेते हैं ताकि शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी अच्छे नागरिक बनें।
इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा एक राष्ट्रीय एजेंडा है जो व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाती है। उन्होंने हाल के कुछ कदमों को रेखांकित किया जैसे कि ज्ञान प्राप्ति के परिणामों की संहिता बनाना, राष्ट्रीय अकादमिक भंडार, डिजिटल पहल जो शिक्षा को मजबूती प्रदान करती हैं, 15 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों का प्रशिक्षण, 10वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा को फिर से लागू करना तथा नो डिटेंशन (अनुत्तीर्ण नहीं करना) नीति की समाप्ति। उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा अतिरिक्त धनराशि की मांग को उचित ठहराया।
इस बैठक में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय युवा मामले तथा खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह भी उपस्थित थे।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने आंगनवाड़ी के साथ स्कूल – पूर्व शिक्षा के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से 9वीं कक्षा से ही करियर काउंसिलिंग की शुरुआत करने का सुझाव दिया है। उन्होंने स्कूल बसों में महिला चालकों तथा सहायकों को नियुक्त करने तथा सभी स्कूलों में ‘कोमल’ फिल्म का प्रदर्शन करके अच्छी-बुरी नीयत से स्पर्श करने के बारे में युवा विद्यार्थियों को अवगत कराने का भी सुझाव दिया। बच्चों के यौन अपराध संबंधी शिकायतों के गुप्त पंजीकरण के लिए एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली पोस्को इनबॉक्स की एनसीपीआर ने शुरूआत की। राज्यों को अपने विद्यार्थियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की छात्रवृतियों के लिए आवेदन करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों के विद्यार्थियों में अत्याधुनिक सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने नैतिक विज्ञान कक्षाओं, सभी क्षेत्रों की धार्मिक पुस्तकों का ज्ञान करवाने जैसे सुझाव भी दिए ताकि विद्यार्थी दूसरे धर्मों का आदर करना शुरू करें।
केंद्रीय सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने यह सुनिश्चित करने के लिए और प्रयास करने का सुझाव दिया कि सामाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों, बालिकों, विकलांगों को दाखिला मिले और पढ़ाई बीच में न छोड़कर अपना अध्ययन जारी रख सकें। उन्होंने शिक्षा के निजीकरण पर रोक तथा एक समान सामाजिक शिक्षा व्यवस्था करने तथा पाठ्यक्रम में डॉ. अम्बेडकर के पंच तीरथ को शामिल करने का भी अनुरोध किया।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने संयुक्त शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि समाज का कोई भी वर्ग अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा से वंचित न रहे, कौशल विकास कार्यक्रमों, खेल स्वास्थ्य कार्यक्रमों की व्यवस्था के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए सद्भावना मंडलों की गतिविधियों को बढ़ाया जा सके।
केंद्रीय युवा मामले तथा खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने इच्छा व्यक्त की कि स्वस्थता और खेलों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने स्कूल में अध्ययन अवधि के पश्चात खेल के मैदानों का अधिकतम उपयोग करने तथा विद्यार्थियों में सामुदायिक सेवा एवं स्वैच्छिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए चार सीएबीई उप-समितियों – सीसीई का आकलन तथा कार्यान्वयन; स्कूल-पूर्व शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा तक नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 का विस्तार करना; स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों को मुख्यधारा में लाने से जुड़े मसले एवं बाधाएं तथा उन्हें शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाने के उपाय तथा बालिका शिक्षा से जुड़े मसले एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्वच्छ विद्यालय, स्कूली शिक्षा तथा साक्षरता में डिजिटल पहल और शारीरिक शिक्षा की व्यवस्था, शिक्षा क्षेत्र में कुछ सुधारों का उल्लेख करने के लिए एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई।
आम तौर पर ऐसा माना गया कि राज्य समावेशी शिक्षा एवं डिजिटल पहलों को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर शानदार कार्य करते रहे हैं जिसकी सराहना की गई। विशेष रूप से,आवासीय विद्यालयों का खोला जाना, कन्या महाविद्यालयों की स्थापना, स्मार्ट वर्ग कक्षाओं का निर्माण, मध्यान्ह भोजन योजना का सुदृढ़ीकरण,शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण, सीएसआर निधियों का उपयोग, दसवीं कक्षा के परिणामों के साथ ऐप्टिीच्यूड टेस्ट, बच्चों के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए शिक्षकों को किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रशिक्षण, छात्रों के लिए सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण, शिक्षक प्रशिक्षण पोर्टल ‘गुरुचेतना’ जैसे कुछ कदमों की सराहना की गई।
प्रतिभागियों ने शिक्षा के विभिन्न स्तर के कई पहलुओं एवं छात्रों के शैक्षणिक स्तर को किस प्रकार बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास किया जाए, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श किया। राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, सीएबीई सदस्यों ने सक्रियतापूर्वक इन परिचर्चाओं में भाग लिया।
20 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, 28 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों, सीएबीई के सदस्यों, स्वायतशासी संगठनों के प्रमुखों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं उच्चतर शिक्षा विभाग के सचिव एवं सीएबीई के सदस्य सचिव तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव श्री अनिल स्वरूप, केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने स्वत: सृजित जिला रिपोर्ट कार्ड जारी किया जिसे राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2017 के जरिये प्रकाशित किया गया। इसमें 700 जिलों के 1,10,000 विद्यालयों के तीसरी, पांचवीं एवं आठवीं कक्षा के 2.2 मिलियन छात्रों से संबंधित अध्ययन परिणाम आधारित क्षमता का मूल्यांकन किया गया।