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44.02 प्रतिशत माइग्रेटेड डीलर्स
चंडीगढ़, 10 अक्तूबर : हरियाणा में माल एवं सेवा कर(जीएसटी) के तहत 1,01,409 नए डीलरों के पंजीकरण के साथ प्रदेश में कर दाताओं की कुल संख्या बढक़र 3,31,786 हो गई है। इनमें 44.02 प्रतिशत माइग्रेटेड डीलर्स हैं जो पहले हरियाणा में वैट और सेवा कर के तहत पंजीकृत थे। हरियाणा के वित्त और आबकारी एवं कराधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने आज यहां एक प्रैस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी।
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि हरियाणा ने जीएसटी के क्रियान्वयन के उपरांत वर्ष 2017-18 में 1,649.4 करोड़ रुपये प्रति माह की दर से 19,793 करोड़ रुपये का सुनिश्चित राजस्व अर्जित किया है। इस प्रकार द्विमासिक सुनिश्चित राजस्व 3298.8 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी माल से जुलाई एवं अगस्त माह में लगभग 2,822 करोड़ रुपये का कुल राजस्व एकत्रित हुआ। जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण मास जुलाई एवं अगस्त 2017 में हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा को 476 करोड़ रुपये की राशि मुआवजे के तौर पर जारी की गई है। उन्होंने कहा कि मास जुलाई एवं अगस्त में जीएसटी संग्रहण के भाग के रूप में एकत्रित उपकर से देश के हर राज्य की क्षतिपूर्ति की गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कम्पोजिशन स्कीम का विकल्प लेने वाले ट्रेडर्स की संख्या 25,979 है। कुल करदाताओं की तुलना में कम्पोजिशन करदाता 7.83 प्रतिशत हैं। देश में कम्पोजिशन करदाताओं की कुल संख्या 15,45,559 है और कम्पोजिशन करदाताओं की राष्ट्रीय प्रतिशतता 17.02 है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी शुरू होने से पहले की व्यवस्था की तुलना में जीएसटी लागू होने के बाद लगभग 89 वस्तुओं पर कर कम हुआ है। इसके अतिरिक्त, जीएसटी के तहत 149 वस्तुओं को छूट दी गई है जिन पर कोई कर नहीं लगाया गया है। केवल 17 प्रतिशत वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की उच्च कर दर लगाई गई है।
एंटी-प्रॉफिटरिंग कमेटी :
उन्होंने कहा कि जीएसटी कानून एंटी-प्रॉफिटरिंग (मुनाफाखोरी के विरूद्घ) प्राधिकरण के गठन का प्रावधान प्रदान करता है। जीएसटी के नाम पर करदाताओं द्वारा की गई किसी भी अनधिकृत मुनाफाखोरी की जांच करने के लिए हरियाणा में एक तंत्र स्थापित किया गया है। एक राज्य स्तरीय जांच समिति गठित की गई है जिसमें श्री राजेश सनन, आयुक्त सीजीएसटी, पंचकूला और श्री विद्या सागर, अतिरिक्त ईटीसी, हरियाणा शामिल हैं। समिति को 43 शिकायतें मिली हैं, जिनकी वह जांच करेगी। किसी भी मुनाफाखोरी से पीडि़त कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत समिति को भेज सकता है।
मंत्री ने कहा कि जीएसटी के कार्यान्वयन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर प्रतिक्रिया और सुझाव प्राप्त करने के लिए राज्य के आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा केन्द्रीय आबकारी एवं सीमा शुल्क बोर्ड और जिला प्रशासन के सहयोग से राज्यभर में सर्वेक्षण किया जा रहा है। राज्य के हर जिले में इस सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए तीन-तीन वरिष्ठ अधिकारियों की 24 टीमें गठित की गई हैं। सप्ताह भर के अभियान के दौरान ये टीमें करदाताओं और उपभोक्ताओं से मिलेंगी।
विभाग के अधिकारियों / कर्मचारियों को प्रशिक्षण
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि हरियाणा राज्य के हर जिले में आयोजित सम्मेलनों और संगोष्ठियों में अलग-अलग हितधारकों को संवेदनशील बनाकर और प्रशिक्षण के जरिए जीएसटी के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है। करदाताओं का मार्गदर्शन करने और उनकी सहायता करने के लिए सभी संभव कदम उठाए गए हैं।
आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को जीएसटी कानून की बुनियादी अवधारणाओं और प्रमुख विशेषताओं पर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण चार स्तरों पर दिया गया। स्तर-1 और स्तर-2 का प्रशिक्षण केंद्र सरकार द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें क्रमश: स्रोत ट्रेनर्स और मास्टर ट्रेनर्स शामिल हुए।
केन्द्रीय आबकारी एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा देशभर से स्रोत ट्रेनर्स का चयन किया गया जो जीएसटी के विशेषज्ञ थे। राज्य से दस मास्टर ट्रेनर्स को चुना गया जिन्होंने स्रोत ट्रेनर्स से प्रशिक्षण प्राप्त किया। मास्टर ट्रेनर्स ने नेशनल एकेडमी ऑफ सेंट्रल एक्साइज एंड नारकोटिक्स (एनएसीएएन)फरीदाबाद में स्रोत ट्रेनर्स, जो जीएसटी कानून के विशेषज्ञ थे, से जीएसटी में प्रशिक्षण लिया।
स्तर -3 का प्रशिक्षण ट्रेनर्स को दिया गया जिनमें हरियाणा में आबकारी एवं कराधान विभाग के 30 अधिकारी और हरियाणा में नियुक्त भारत सरकार के केन्द्रीय आबकारी एवं सेवा कर विभागों के 25 अधिकारी/कर्मचारी शामिल थे। यह प्रशिक्षण हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा), गुरुग्राम में 8 से 12 अगस्त,2016 तक राज्य और केंद्र के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा प्रदान किया गया था।
स्तर -4 का प्रशिक्षण आबकारी एवं कराधान विभाग, हरियाणा के प्रशिक्षकों और केन्द्रीय आबकारी एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अधिकारियों द्वारा विभाग के अधिकारियों और निरीक्षकों को प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण पंचकूला, करनाल, हिसार, रोहतक, गुरुग्राम और फरीदाबाद में छ: स्थानों पर आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य के लगभग 650 अधिकारियों एवं निरीक्षकों और केंद्र सरकार के विभागों के 525 अधिकारियों और निरीक्षकों को 17 अक्तूबर से 9 दिसम्बर,2016 तक 6 बैचों में प्रशिक्षण दिया गया।
इसके उपरांत, मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में चुने गये राज्य के 69 अधिकारियों एवं निरीक्षकों ने इन्फोसिस,चेन्नई में बैक-एंड प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह प्रशिक्षण जीएसटी कानून के तहत पंजीकरण, रिटर्न्स और एलएमएस (लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम) से संबंधित था। इन मास्टर प्रशिक्षकों ने राज्य के सभी कर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बैक-एंड प्रक्रियाओं पर ‘हैंडस-ऑन’ प्रशिक्षण प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि राज्य के 70 आबकारी और कराधान अधिकारियों को 29 एवं 30 मई,2017 और पहली एवं दो जून,2017 तक हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान, गुरुग्राम में जीएसटी कानून के संशोधित प्रावधानों पर रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी गई थी। बदले में, अधिकारियों और मास्टर प्रशिक्षकों ने 12 से 20 जून,2017 तक राज्य के सभी कर अधिकारियों/कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को बैक-एंड प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया।
विभाग के अधिकारियों के लिए 17 जून,2017 को हिपा, गुरुग्राम में ‘भारत में माल एवं सेवा कर का कार्यान्वयन’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। विभाग के अधिकारियों और मास्टर प्रशिक्षकों ने राज्य में करदाताओं को 12 से 20 जून,2017 तक जीएसटी के साथ-साथ जीएसटीएन की बैक-एंड प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों/बोर्डों/निगमों के प्रतिनिधियों/डीडीओज़ के लिए एक दिवसीय कार्यशाला 27 जून,2017 को मुख्यालय पंचकूला में आयोजित की गई।
उन्होंने कहा कि विभाग ने 28 जून,2017 को सीआईआई बिल्डिंग, चंडीगढ़ में कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों, प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों के लिए जीएसटी पर एक सेमिनार का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि 3 जुलाई, 2017 को हरियाणा निवास, चंडीगढ़ में जिला मीडिया प्रभारियों के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में 5 से 8 जुलाई,2017 तक सभी जिला मुख्यालयों पर करदाताओं के लिए जीएसटी पर सेमिनार आयोजित किए गए।
उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टर्स के लिए जीएसटी पर एक कार्यशाला 19 जुलाई, 2017 को अंबाला शहर में आयोजित की गई और सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए जीएसटी पर एक दिवसीय कार्यशाला 24 जुलाई,2017 को मुख्यालय पंचकूला में आयोजित की गई। इसके बाद 20 सितम्बर,2017 को सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की एक अन्य कार्यशाला, मुख्यालय पंचकूला में आयोजित की गई। 22 अगस्त, 2017 को मिनी सचिवालय, सेक्टर -17, चंडीगढ़ में राजस्व विभाग के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों की एक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग का आयोजन किया गया।
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि इसके अलावा, सभी जिलों के साथ-साथ मुख्यालय पर हेल्पडेस्क स्थापित किए गए हैं जहां जीएसटी के सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर विभाग के अधिकारियों द्वारा दिया जाता है। जीएसटी को अपनाने के लिए व्यापारियों/कर दाताओं को भी संवेदनशील किया गया है। रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से जागरूकता अभियान शुरू किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों के उप-आबकारी एवं कराधान आयुक्त (बिक्री कर) भी विभिन्न विनिर्माण और व्यापार संघों के साथ-साथ कर बार एसोसिएशन के साथ बातचीत करके जागरूकता उत्पन्न कर रहे हैं। राज्य में करदाताओं को संवेदनशील बनाने और प्रशिक्षित करने के लिए अब तक प्रत्येक जिले में कम से कम 12 सेमिनार एवं कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं।
राहत और रियायतें
उन्होंने बताया कि जीएसटी देश भर में बाज़ार में एकरूपता लाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था। हालांकि, जीएसटी का कार्यान्वयन चुनौतिपूर्ण रहा है। पिछले तीन महीनों में जीएसटी क्रियान्वयन की प्रक्रिया के दौरान उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर संज्ञान लेते हुए, केंद्र सरकार ने व्यापार और उद्योग जगत के सामने आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए हर मुद्दे पर शीघ्रता से प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
निर्यातक
कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि इस बात की निरंतर फीडबैक ली जा रही थी कि जीएसटी क्रियान्वयन के प्रारंभिक चरण के दौरान विभिन्न कारणों से निर्यात क्षेत्र को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। जीएसटी के बाद निर्यातकों को पेश आने वाली कठिनाइयों का संज्ञान लेते हुए, परिषद ने निर्यातकों के समक्ष आने वाले विभिन्न मुद्दों की पहचान करने और इन मुद्दों को हल करने में सहायता के लिए उपयुक्त तंत्र की सिफारिश करने के लिए निर्यात पर एक समिति का गठन किया। समिति ने पाया कि आईजीएसटी और अन्य सन्निहित करों के रिफंड देने में देरी के चलते निर्यात क्षेत्र सुस्त है। आईजीएसटी के अग्रिम भुगतान के कारण कार्यशील पूंजी की रुकावट के चलते अधिक पूंजी की आवश्यकता थी। तैयार माल पर जीएसटी के अग्रिम भुगतान के कारण व्यापारी निर्यातकों के लिए अपेक्षित कार्यशील पूंजी भी बढ़ गई थी। निर्यातकों के समक्ष आनेे वाला एक अन्य मुद्दा बीजक शुल्क की उपयोगिता में कमी आना तथा बीजक की खरीद-फरोख्त पर जीएसटी लगना था।
उन्होंने बताया कि परिषद ने 6 अक्टूबर की अपनी 22 वीं बैठक में निम्नलिखित निर्णय लेकर इन मुद्दों का समाधान किया है:-
उन्होंने बताया कि सीमा शुल्क प्राधिकरण, जो निर्यातकों द्वारा अदा किए गए आईजीएसटी का रिफंड स्वीकृत करने के लिए सक्षम हैं, जुलाई 2017 के लिए 10 अक्टूबर, 2017 से निर्यातकों के विभिन्न समाशोधन करना शुरू कर देंगे।
उन्होंने बताया कि जुलाई के बाद के महीनों के लिए रिफंड, सीमा शुल्क प्राधिकरण द्वारा जीएसटीआर-1 की तालिका 6ए प्रस्तुत करने के आधार पर स्वीकृत किया जाएगा। जीएसटीआर-1 की तालिका 6ए प्रस्तुत करने के लिए एक उपयोगिता विकसित की जाएगी और निर्यातकों के लिए राष्ट्रीय सामान्य पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। तालिका 6ए के आधार पर, अगस्त 2017 के महीने के लिए रिफंड 18 अक्तूबर 2017 से शुरू होगा। बैकलॉग का निपटारा करने के बाद, अगले महीने का रिफंड शीघ्रता से किया जाएगा।
कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि आदान इत्यादि पर जीएसटी के अग्रिम भुगतान के कारण निर्यातकों की नकदी की रूकावट समाप्त करने के लिए, परिषद ने दो प्रस्तावों को मंजूरी दी है:- एक तत्काल राहत के लिए और अन्य निर्यातकों को दीर्घकालिक सहायता प्रदान करने के लिए। तात्कालिक राहत विदेशों से और साथ ही घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से आदानों आदि के स्रोत के लिए अग्रिम अधिकार पत्र (एए)/ एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (ईपीसीजी) / 100 प्रतिशत ईओयू योजनाओं का विस्तार करके दी जा रही है। इसलिए, इन योजनाओं के तहत निर्यातकों को अपनी आयातित आपूर्ति की खरीद पर आईजीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। अधिकार पत्र / ईपीसीजी और ईओयू धारकों को आयात पर आईजीएसटी, उपकर इत्यादि नहीं देना होगा। इसी तरह, घरेलू बाजार से उनकी आपूर्ति के स्रोत को भी डीम्ड एक्सपोर्ट घोषित करके आसान किया गया है। सरकार जीएसटी अधिनियम की धारा 147 के तहत अधिसूचना जारी करके इन आपूर्तियों को डीम्ड एक्सपोर्ट मानेगी। अधिकार पत्र/ ईपीसीजी और ईओयू धारकों को घरेलू आपूर्ति को डीम्ड एक्सपोर्ट माना जाएगा।
उन्होंने बताया कि नकदी रुकावट का स्थायी समाधान ई-वॉलेट है जिसमें एक काल्पनिक राशि जमा की जाएगी, चाहे वह अग्रिम रिफंड हो। इस क्रेडिट को आईजीएसटी, जीएसटी आदि का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस सुविधा का विवरण जल्द ही तैयार किया जाएगा। परिषद चाहती है कि इस ई-वॉलेट समाधान को पहली अपै्रल, 2018 से शुरू किया जाए।
उन्होंने बताया कि व्यापारी निर्यातकों को निर्यात के लिए घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए माल के लिए अब 0.1 प्रतिशत के नाममात्र जीएसटी का भुगतान करना होगा। इसका विवरण जल्द ही जारी किया जाएगा।
कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि निर्यातकों को आईजीएसटी के भुगतान के बिना निर्यात करने में सक्षम बनाने के लिए बांड, बैंक गारंटी और एलयूटी प्रस्तुत करने की सुविधा प्रदान की गई थी। चंूकि बैंक गारंटी और बांड प्रस्तुत करने की प्रक्रिया जटिल थी और इससे कुछ पूंजी की रुकावट होती थी, इसलिए दर्जा धारक का केवल एक चयनित वर्ग ही एलयूटी के लिए योग्य था। इन शर्तों को आसान करते हुए बांड और बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। 2.5 करोड़ से अधिक के बकाएदारों तथा और जिन लोगों पर जीएसटी के तहत किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया गया है, को छोडक़र सभी निर्यातक एलयूटी की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि निर्दिष्ट बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) को आईजीएसटी के भुगतान के बिना सोना आयात करने की अनुमति दी जा रही है। अग्रिम अधिकार पत्र के समान एक योजना के मुताबिक निर्यातकों को इसकी आपूर्ति की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि शुल्क क्रेडिट बीजक की बिक्री पर समाप्त प्रोत्साहन को बहाल करने के लिए, इन बीजकों की खरीद-फरोख्त पर जीएसटी 5 प्रतिशत से 0 प्रतिशत तक कम किया जा रहा है। बंकर ईंधन पर जीएसटी तटीय जहाजों और विदेश जाने वाले जहाजों, दोनों के लिए 5 प्रतिशत तक घटाया जा रहा है। इससे तटीय नौवहन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धा में भी सुधार होगा।
परिषद को विश्वास है कि इन उपायों से निर्यात क्षेत्र को तत्काल राहत मिलेगी और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी। परिषद ने स्थिति पर भी बारीकी से नजऱ रखने का निर्णय लिया ताकि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को सभी प्रकार की आवश्यक सहायता जारी रखी जा सके।
उन्होंने बताया कि निर्यात को आसान बनाने के लिए, परिषद ने ऐसे निर्यातकों के लिए रिफंड की मनाही के प्रावधान को हटा दिया है, जिन्होंने जीएसटी के तहत 6 महीनों के भीतर पंजीकरण प्राप्त किया है।
छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए राहत
कम्पोजिशन:- कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि जीएसटी के तहत छोटे और मध्यम करदाताओं को और राहत देने के लिए, कम्पोजिशन स्कीम को बढ़ा दिया गया है और इसे अधिक आकर्षक बनाया गया है। कम्पोजिशन स्कीम चुनने के लिए कारोबार की शुरुआती सीमा 75 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ की गई है। इस योजना में हरियाणा राज्य के 3.3 लाख करदाताओं में से 64 प्रतिशत करदाता शामिल होंगे। जीएसटी को अपनाने वाले और नए करदाताओं के लिए इस योजना का चुनाव करने की समय सीमा 31 मार्च, 2018 तक बढ़ा दी गई है। यह योजना उस महीने के तत्काल बाद वाले महीने के पहले दिन से शुरू हो जाएगी जिसमें करदाता द्वारा इसका चयन किया गया है। कारोबार की प्रारंभिक सीमा में वृद्धि से अधिक से अधिक करदाताओं द्वारा कम्पोजिशन स्कीम के तहत आसान अनुपालन का लाभ उठाया जा सकेगा और एमएसएमई क्षेत्र को बहुत फायदा होगा। कम्पोजिशन स्कीम को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए उपायों की जांच हेतु एक मंत्रिसमूह का गठन किया जाएगा।
छोटे सेवा प्रदाता के लिए राहत:- कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि छोटे सेवा प्रदाताओं को बड़ी राहत देते हुए, परिषद ने सेवा प्रदाताओं को अंतरराज्यीय आपूर्ति करने के आधार पर पंजीकरण करने के अनिवार्य दायित्व से छूट देने का निर्णय लिया है। अब, जिन सेवा प्रदाताओं का वार्षिक कुल कारोबार है 20 लाख रुपये से कम है, उन्हें तक पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी, भले ही वे सेवाओं की अंतरराज्यीय कर योग्य आपूर्ति कर रहे हों। इससे छोटे सेवा प्रदाताओं के लिए अनुपालन लागत में काफी आएगी।
छोटे करदाताओं के लिए विवरणी दाखिल करना:- उन्होंने बताया कि अनुपालन लागत को कम करने में मध्यम और छोटे करदाताओं को एक बड़ी राहत देते हुए, परिषद ने निर्णय लिया है कि 1.5 करोड़ रुपए तक कुल कारोबार वाले करदाताओं को फार्म जीएसटीआर- 1, 2 और 3 में तिमाही विवरणी दाखिल करनी होगी और केवल इस वित्तीय वर्ष यानी अक्तूबर-दिसंबर, 2017 की तीसरी तिमाही से शुरू होने वाली तिमाही के आधार पर करों का भुगतान करना होगा। ऐसे छोटे करदाताओं से पंजीकृत खरीदार मासिक आधार पर आईटीसी का लाभ लेने के लिए पात्र होंगे। ऐसे करदाताओं के लिए तिमाही रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित देय तिथियां बाद में घोषित की जाएंगी। इस बीच, सभी करदाताओं को दिसंबर, 2017 तक मासिक आधार पर फॉर्म जीएसटीआर- 3 बी पूरा करना होगा। सभी करदाताओं को जुलाई, अगस्त और सितंबर 2017 के महीनों के लिए फार्म जीएसटीआर-1, 2 और 3 भरना भी आवश्यक होगा। जुलाई, 2017 के महीने के लिए रिटर्न दाखिल करने की तारीख पहले ही घोषित की जा चुकी हंै। अगस्त और सितंबर, 2017 के महीनों के लिए निर्धारित तिथियां बाद में घोषित की जाएंगी।
रिवर्स चार्ज : उन्होंने बताया कि सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9 की उप-धारा (4) तथा आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 5 की उप-धारा (4) के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को 31 मार्च, 2018 तक स्थगित किया जाएगा और निर्यातकों की एक समिति द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी। इससे छोटे व्यवसायों को फायदा होगा और अनुपालन लागत में काफी कमी आएगी।
अग्रिम भुगतान : कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि प्राप्त किए गए अग्रिमों पर जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता भी छोटे डीलरों और विनिर्माताओं के लिए जटिल है। इस मामले में उनकी असुविधा को कम करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि 1.5 करोड़ रुपए तक के वार्षिक कुल कारोबार वाले करदाताओं को माल की आपूर्ति के संबंध में अग्रिम प्राप्त करते समय जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसी आपूर्ति पर जीएसटी केवल तभी देय होगा, जब माल की आपूर्ति की जाएगी।
जीटीए : उन्होंने बताया कि यह देखने में आया है कि गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसियां (जीटीए) अपंजीकृत व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस मामले में छोटे अपंजीकृत व्यवसायों को पेश आने वाली कठिनाई को दूर करने के लिए, किसी जीटीए द्वारा अपंजीकृत व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को जीएसटी से होगी। सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा काटे जाने वाले टीडीएस तथा इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से कर संग्रहण का प्रावधान 31 मार्च, 2018 तक स्थगित कर दिया गया है। ई-वे बिल प्रणाली 01 जनवरी, 2018 से प्रभावी ढंग से शुरू की जाएगी और इसे 01 अप्रैल, 2018 से देश भर में लागू किया जाएगा। ऐसा व्यापार और उद्योग जगत को जीएसटी प्रणाली के साथ खुद को समायोजित करने हेतु और अधिक समय देने के लिए किया गया है।
उन्होंने बताया कि जुलाई-सितंबर, 2017 की तिमाही के लिए कम्पोजिशन स्कीम के तहत करदाता द्वारा फॉर्म जीएसटीआर- 4 में विवरणी दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 नवंबर, 2017 तक बढ़ाई जाएगी। साथ ही, जुलाई, अगस्त और सितंबर 2017 के महीनों के लिए एक इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा फॉर्म जीएसटीआर- 6 में विवरणी दाखिल करने की अंतिम तिथि भी 15 नवंबर, 2017 तक बढ़ाई जाएगी।