तिरंगा हमारे हिन्द की पहचान है और मदरसों में बरसों से झंड़ा फहराया जाता है
मेवात के 35 हजार से ज्यादा लोगों ने बलिदान दिया: मौलाना मोहम्मद मकसूद
यूनुस अलवी
मेवात: स्वतंत्रता की 70 वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए झिमरावट मदरसा के मौलाना इलियास ने कहा कि जितनी कुर्बानियां मेवात के लोगों ने दी उतनी उन लोगों ने नहीं दी जो आज मुसलमानों को हिन्दुस्तान से जाने की बात कहते हैं। तिरंगा हमारे हिन्द की पहचान है और मदरसों में बरसों से झंड़ा फहराया जाता है। आजादी की लड़ाई में मदरसों का विशेष योगदान रहा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। मौलाना इलियास ने देश में हिन्दु मुस्लिम एकता एवं अमन शांति के लिए हजारों बच्चों को दुआ कराई। बच्चों ने हाथों में तिरंगा लिये आजादी का जश्न मनाया। झिमरावट गांव के मदरसा मदीनुल उलूम के कारी मोहम्मद सादिक ने देशभक्ति नज्म प्रस्तुत की। वहीं मौलाना मोहम्मद मकसूद ने बताया कि मेवात के 35 हजार से ज्यादा लोगों ने बलिदान दिया इस अवसर पर तराना हिंद सराजुद्दीन, हसीन, सोहेब चांदडा, अब्दुल माजिद, अनीस डकलपुर, उमेर, जकरिया, एजाज, नौसाद ने नज्म, तराना गाकर अपनी प्रस्तुति दी। इस दौरान हजरत मौलाना इलियास, मौलाना अब्दुल लतीफ, मोहत्तमिन मौलाना हसीन व मौलाना कासिम साहब मौजूद रहे।
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दारूल उलूम मोहम्मदिया मीलखेड़ला के कुलपति मौलाना राशिद कासमी ने कहा कि नई सरकार आने के बाद देश में बदलाव आया है लेकिन कुछ ऐसी ताकतें भी मजबूत हुई जो हिंदुस्तान के लिए खतरा पैदा कर सकती है। आज देश को भाईचारे के कंठ में पिरोकर बदलने की आवश्यकता है यदि ऐसी ही नफरत जारी रही तो अमन नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पिछले दिनों में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हुए उससे देश कमजोरी महसूस कर रहा है। ऐसे मंसूबें सफल न हो इसलिए सभी समुदायों को एकजुटता का परिचय देना ही होगा। इस दौरान मदरसें की लड़कियों ने नज्म, व नात कोमी तरानो के माध्यम से देश की आजादी को याद किया उन जांबाज वीर शहीदों की शहादत को याद किया जिनकी बदौलत आज हम चैन की सांस ले रहे हैं। मीलखेड़ला मदरसे की लडकियों ने केसरिया, सफेद और हरे रंग की पोशाकें पहनकर तिरंगा की आकृति बनाई। आसपास कि गांवों से हजारों की तादाद में लोग प्रोग्राम शामिल हुए। वहीं मदरसा अफजल्लुउलूम मंहू चोपड़ा में मास्टर मोहम्मद कासिम ने तिरंगा फहराकर मदरसें के बच्चों को देश के लिए मर मिटने का सबक सिखाया। उन्होंने कहा कि मदरसों ने गदर के दौर में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। बड़ी यातनाऐं झेली तथा हजारों मौलानाओं को फांसी दी गई। वहीं असरफुल्लउलूम अलवर, ममादनुलउलूम झिमरावट मदरसें में बच्चों ने हाथों में छोटे छोटे ध्वज लेकर खुशी मनाई। वहीं मदरसा उबेई बिन उकाब घासेड़ा में मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी ने ध्वजारोहण किया। मदरसा इसातुल उलूम खरखड़ी में मौलाना खालिद कासमी ने झंड़ा फहराया। इस अवसर पर कारी जकरिया मौलाना हमजद खां, मौलाना अरसद, मुफती अखलाक, मौलाना हारिश, कारी आबिद, मौलाना जैकम, कारी ईरशाद, कारी तहसीम, मास्टर अब्दुल हमीद, नियाज मोहम्मद, हरिसिंह, राहुल व नरेश उपस्थित रहे।
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