मुख्यमंत्री ने कहा अदालतों में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही लिटिगेशन एक बड़ी चुनौती
जनता को रहत देने के लिए न्यायपालिका जो सुझाव देगी सरकार अमल करने को तैयार
चंडीगढ़, 5 अगस्त : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अदालतों में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही लिटिगेशन एक बड़ी चुनौती है और इस समय यह विभिन्न अदालतों में लाखों की संख्या में है। इस चुनौती से निपटने के लिए न्यायपालिका पोलिसी मामले बदलने के लिए जो भी सुझाव देगी, राज्य सरकार उसे बदलने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री आज यहां महाधिवक्ता हरियाणा द्वारा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, एडवोकेट जनरल्स और सहायक सॉलिसिटर जनरल के नैशनल कॉन्फ्रेंस-2017 में ‘मुकद्दमेबाजी में नई चुनौतियां-राज्य की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के शुभारम्भ अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश संजय कौल, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल तथा सूर्यकांत भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य अदालतों में लम्बित मुकदमेबाजी के मामलों में कमी लाना तथा अदालतों को कागज रहित करना है। उन्होंने बताया कि राजस्व अदालतों में मुकदमेबाजी के मामलों में जनता पिस रही है। उनकी इस समस्या को कैसे दूर किया जाए, पर गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए। जनसाधारण के लाभ के लिए प्रक्रियाओं को सरल करने से ही लाभ पहुंचेगा। आम जनता नैचुरल न्याय को ही जानती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भूमि अधिग्रहण के दृष्टिगत हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम और हुडा की दयनीय स्थिति हो गई है, जिसके चलते सरकार को इन्हांसमैंट के कारण हजारों करोड़ रुपये का ऋण लेना पड़ा है। यह इन्हांसमैंट 50 से 80 प्रतिशत तक दिया गया है। यह राज्य के लिए एक चुनौती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वर्तमान हरियाणा सरकार ने अपने 33 महीनों के कार्यकाल के दौरान एक इंच जमीन का भी अधिग्रहण नहीं किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केवल किसानों की सहमति से ही भूमि का अधिग्रहण करेगी। इसलिए जो कार्य राज्य के हित में होगा, सरकार वही करेगी। इस सम्मेलन के माध्यम से लिटिगेशन के मामलों में कमी लाने व उनमें न्याय प्रदान करने में तेजी लाने या पोलिसी मामले बदलने इत्यादि का जो भी सुझाव सरकार को दिया जाएगा, सरकार उसके लिए तत्पर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिवक्ताओं को लिटिगेशन के मामलों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें ऐसे मामलों को निरूत्साहित करें, जो अदालती कार्यवाही के लिए उचित नहीं है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि अदालत में मुकदमेबाजी किए जाने के बाद भी अधिकांश मामलों का अदालत के बाहर ही निपटान होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पढ़ी-लिखी पंचायतों के लिए जब चुनाव प्रक्रिया आरम्भ की गई, तो उस समय अदालत ने उस पर स्टे लगा दिया। लेकिन जब सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस फैसले को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक आईटी पहल की गई हैं। प्रदेश की विभिन्न जेलों के कैदियों के कस्टडी सर्टिफिकेट के लिए ई-कस्टडी सर्टिफिकेट शुरू किया गया है। लिटिगेशन को समाप्त करने के लिए रियल एस्टेट में रेरा कानून बनाया गया है।
हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य अदालतों में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मुकदमेबाजी की संख्या में कमी लाना है। अदालतों को कागज रहित बनाना और चुनौतियों से निपटने के लिए समस्त डाटा का कम्प्यूटराइज करना है ताकि न्याय प्रणाली में आम आदमियों का विश्वास बना रहे। उन्होंने बताया कि आज इस सम्मेलन में 25 राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लिया है।
इस अवसर पर आयोजित इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के दौरान मुकद्दमेबाजी में चुनौतियों के अनेक विषयों पर आगंतुक विद्वानों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें प्रौद्योगिकी और वर्तमान राज्य की मुकद्दमेबाजी सम्बंधी नीतियों की प्रभावी भूमिका भी शामिल होगी। उन्होंने कहा कि न्याय देने की प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जाए ताकि जनसाधारण को सुगमता से न्याय मिल सके।