निजी मेडिकल कॉलेजों की निगरानी व्यवस्था
सेवा निवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता वाली समिति करती है फीस निर्धारित
नई दिल्ली : नीट लागू करने के लिए आईएमसी संशोधन अधिनियम ,2016 के साथ भारतीय चिकित्सा परिषद(एमसीआई) ने केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से स्नातक मेडिकल शिक्षा नियमन,1997 तथा स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा नियमन, 2000 में संशोधन किया है ताकि कॉमन काउंस्लिंग का प्रवाधान किया जा सके। मेडिकल पाठ्यक्रमों में नीट तथा कॉमन काउंस्लिंग के माध्यम से प्रवेश मिलेगा । काउंस्लिंग के बाद प्रवेश नामांकन के ब्यौरे एमसीआई को भेजे जाते हैं। यह जानकारी आज लोक सभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मामले में संबंधित राज्य सरकार फीस निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी है और निजी मेडिकल कॉलेजों के मामले में फीस का ढांचा उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार दवारा सेवा निवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में बनाई गई समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह निर्णय समिति को लेना है कि क्या संस्थान द्वारा प्रस्तावित फीस न्यायोचित है और क्या समिति द्वारा निर्धारित फीस ढांचा संस्थान के लिए बाध्यकारी है।
उन्होएँ बताया कि उच्चम न्यायालय ने 09.05.2017 को अपने आदेश में निर्देश दिया था कि कॉमन काउंस्लिंग के अनुसार एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थी संस्थानों/कॉलेजों/विश्विद्यालयों को देय फीस के लिए काउंस्लिंग समिति को डिमान्ड ड्राफ्ट जमा कराएंगे। काउंस्लिंग के बाद प्रवेश नामांक के ब्यौरे एमसीआई को भेजे जाते हैं। एमसीआई ब्यौरों की जांच करती है और किसी मेडिकल कॉलेज में नियमों का उल्लंघन करके प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को डिस्चार्ज नोटिस जारी करती है। विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए एमसीआई ने अपनी वेबसाइट पर मेडिकल कॉलेजों में चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों की स्वीकृति की जानकारी दी है। एमसीआई की वेबसाइट पर विद्यार्थियों के लिए एडवाइजरी भी दी गई है।