दामाद ने ससुर पर रसूख के दम पर फ़साने का आरोप लगाया
चंडीगढ़ 28 July 2017। ‘शादी बनी बर्बादी’ वाली कहावत यहां के स्थानीय सेक्टर दस निवासी तरनदीप सिंह बावा पर बिल्कुल सटीक चरितार्थ होती है। उनकी शादी 25 नवंबर 2013 को बड़े धूमधाम से फिरोजपुर के एक उद्योगपति वीरेंद्रपाल सिंह की बेटी अमनदीप कौर के साथ हुई थी, परंतु दुर्भाग्यवश चंद दिनों में ही दोनों में विवाद इतना बढ़ गया कि बात पुलिस स्टेशन तक पहुंच गई। इस बात की जानकारी आज यहां स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में तरनदीप सिंह ने दी
तरनदीप सिंह बावा का कहना है कि उनके ससुर बेहद प्रभावशाली व्यक्ति हैं व उनका कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व अन्य महत्वपूर्ण लोगों से संपर्क है। जिसका वह पूरा उठाकर उन्हें एक के बाद एक केस में उलझाने में लगे हुए हैं। पीडि़त का कहना है कि शादी के बाद उनकी अपनी पत्नी के साथ कुछ गलतफहमी पैदा हो गई जिसके चलते 28 जनवरी 2014 को सदर फिरोजपुर थाना में उनके व उनके परिवारजनों जिनमें उनके पिता सुखिंदर सिंह, माता सुखविंदर कौर, दो विवाहिता बहनों व उनके पतियों व तरनदीप के ड्राइवर रोबिन सिंह के खिलाफ मामले दर्ज करवा दिए गए। उचित पूछताछ अथवा सुलह सफाई का मौका दिए बिना ही दर्ज कर लिया गया। तत्पश्चात 16 अप्रैल 2014 को उक्त सभी के साथ साथ तरनदीप के ककान व पांच अन्य के खिलाफ एक और एफआईआर आम्र्स एक्ट के तहत दर्ज कर ली गई। इसमें आरोप लगाया गया कि तरनदीप व उनके परिवारिक सदस्यों ने वीरेंदर पाल सिंह की हत्या के लिए षडयंत्र रचकर सुपारी दी है। तरनदीप के मुताबिक उनके ससुरालियों ने यही पर बस नहीं कि बल्कि दहेज की मांग करने का आरोप लगाते हुए 18 जून 2014 को एक और एफआईआर सभी के खिलाफ दर्ज करा दी गई।
तरनदीप ने कहा कि जहां एक आम आदमी को एफआईआर दर्ज कराने के लिए जूते घिस जाते हैं वहीं पति-पत्नी के बीच सामान्य गलतफहमी के मामले में एक के बाद एक एफआईआर इस प्रकार धड़ल्ले से दर्ज हुई जैसे कि उनका सारा परिवार अपराधियों का है। उन्होंने इस मामले को लेकर अपना पक्ष यहां रखते हुए बताया कि जहां पुलिस पेशेवर अपराधियों के साथ बेहद नरमी से पेश आती है वहीं उन्हें और उनके परिवारजनों से काफी कड़ाई से पूछताछ की गई क्योंकि वीरेंद्र पाल सिंह के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ साथ राज्य के कई वीआईपी लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं। उन्होंने इसी का फायदा उठाते हुए उनके पूरे परिवार को पुलिस केसों में उलझा कर रख दिया।
उन्होंने बताया कि उनकी शादी में भी लडकी वालों की तरफ कई रसूखदार लोग शामिल हुए थे व फोटो भी खिंचवाईं थी। इनमें तत्कालीन अकाली सरकार में एक कैबिनेट मंत्री जनमेजा सिंह सेखों भी शामिल थे। तरनदीप के मुताबिक जब उनके खिलाफ उपरोक्त केस मामले दर्ज हुए तो उस समय के टेलीफोन रिकार्ड अगर खंगाले जाएं तो साफ सामने आएगा कि वीरेंद्र पाल ंिसह अलग-अलग पुलिस अधिकारियों के संपर्क में थे।
तरनदीप ने कहा कि चूंकि फिरोजपुर में दो वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के साथ भी वीरेंद्र पाल सिंह संपर्क मे थे जिस कारण उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रायल को ट्रांसफर करने के लिए आवेदन करना पड़ा जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के आदेश दिए परंतु फिर भी स्थानीय पुलिस इस मामले में उनके सारे परिवार को प्रताडि़़त करती रही।
उन्होंने बताया कि हालांकि मामला न्याययिक दायरे में आ गया था परंतु फिर भी पंजाब पुलिस ने दखल-अंदाजी बंद नहीं की और यहां तक कि एसआईटी के चेयरमैन व पटियाला के पुलिस प्रमुख अमरसिंह चहल ने भी जो स्टेटस रिपोर्ट पेश की उसमें भी झूठे तथ्यों के दस्तावेज लगाए गए जो पहले कभी नहीं थे। तरनदीप ने चहल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास चहल व वीरेंद्र पाल सिंह के बीच टेलीफोन पर हुई लंबी बातचीत से संबंधित सबूत मौजूद हैं। उन्होंनेआरोप लगाा कि इस मामले में नियुक्त नए एसआईटी, चेयरमैन एसपीएस परमार, आईजी साइबर क्राइम मोहाली भी वीपी सिंह के करीबी हैं।
उन्होंने कहा कि यह सारा मामला पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण ढंग से व एकतरफा जांच का अनुपम उदाहरण है जिसकी गहराई में जाने से पता चलेगा कि वीरेंद्रपाल सिंह ने उनके सारे परिवार से बदला लेने के लिए व सभी प्रकार से अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है। तरनदीप के मुताबिक चहल की चेयरमैनशिप में गठित एसआईटी ने उनके खिलाफ इसी साल 16 एवं 18 अप्रैल सप्लीमेंटरी चालान भी फाइल कर दिए। तरनदीप ने जोर देकर गुहार लगाई कि उनके व उनके परिवारवालों के साथ इस पूरे मामले में अन्याय हुआ है व उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि अब वह इस लड़ाई में पीछे हटने वाले नहीं है। वह इसमें उच्च न्याायालय की किीस जज या सीबीआई से जांच की मांग करेंगे। इसके अलावा वे वीरेंद्र पाल सिंह की संपत्तियों व आय की जांच करने की अर्जी प्रवर्तन निदेशालय को भी देंगे।
वीरेंद्र पाल सिंह खुद पहले कोर्ट में सीबीआईजांच से कर चुका है इनकार
वीरेंद्रपाल सिंह ने इसी मुद्दे पर कुछ दिन पूर्व अपने दामाद तरनदीप सिंह बावा के खिलाफ चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में ही प्रेस कांफ्रेस की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि बावा ने उसकी बेटी से दहेज की मांग की व इसके लिए उसे प्रताडि़त किया। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया कि बावा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके एक गैंगस्टर अमन स्कोडा को वीरेंद्र पाल सिंह को जान से मारने की सुपारी दी है। इस मामले में वीरेंद्र पाल सिंह ने सीबीआई जांच की मांग की थी।
आज जब प्रेस कांफ्रेस में इस बाबत पत्रकारों ने जवाब पूछा तो बावा ने दसियों आईजी, एसएसपी व एसपी एवं डीएसपी स्तर के पुलिस अधिकारियों के साथ वीरेंद्र पाल सिंह की नजदीकियों के सबूत सौंपे व कहा कि पीडि़त वह नहीं बल्कि मैं हूं। इसके अलावा बावा ने चैलेंज किया कि उनके या किसी भी परिवार के सदस्य की अमन स्कोडा के साथ मुलाकात या बातचीत का कोई भी सुबूत पेश करके दिखाएं। इसके अलावा वीरेंद्र पाल सिंह द्वारा सीबीआई जांच मांगे जाने के जवाब में बावा ने वीरेंद्र पाल सिंह द्वारा हाईकोर्ट में लिखित में सीबीआई जांच को गैरजरूरी बताते हुए केवल पुलिस जांच की ही पैरवी करने संबंधी दस्तावेज भी जारी किए। उन्होंने कहा कि वह सरेआम सबकी आंखों में धूल झोंक रहा है।