हरीचंद के लिए हनीफ मेवाती सउदी अरब में फरिश्ता बनकर सामने आया

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: हरीचंद की मदद के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए थे

: कड़ी मेहनत के बाद हनीफ ने हरीचंद और उसके कफील के बीच समझौता कराया

: पुलिस ने दोनों के समझौते को दी मंजूरी 

: हरीचंद के भारत आने की सभी अडचनें हुई दूर

: 23 जुलाई से पहले हरीचंद भारत आ जाएगा

: हमारे न्यूज पोर्टल “द पब्लिक वर्ल्ड डॉट काम ” thepublicworld.com ने हरीचंद की खबर को प्रमुखता से उठाया था

: साउदी में मैनेजर की नौकरी कर रहे हनीफ ने पोर्टल पर हरीचंद की खबर पढ़कर मदद के करने के प्रयास तेज कर दिए थे

यूनुस अलवी

मेवात:  रोजी रोटी कमाने के लिऐ साउदी अरब गऐ मेवात के गांव बसईमेव निवासी हरी चंद वहां कफील की वजह से नई मुसीबत में फंस गया था। कफील द्वारा छोटी-छोटी बातों पर हरीचंद की पिटाई किऐ जाने से वह तंग आ गया था जिसकी वजह से वह पहले वाले कफील के पास से भाग कर गैरकानूनी तरीके से दूसरे कफील के पास नौकरी करने लग गया था। इसी दौरान हरी चंद के पहले मालिक (कफील ) ने उसके खिलाफ चोरी आदि का थाने में मामला दर्ज करा दिया था। जिसकी हरीचंद को खबर तक नहीं थी।
 
   करीब 3 महिने पहले साउदी अरब सरकार ने ऐलान किया था कि जो दूसरे देशो के आदमी अरब में नोकरी करने आऐ हैं। उनके पास पासपोर्ट, अकामा नहीं हैं या फिर वे अपनी कफीलों से भाग कर दूसरी जगह गैरकानूनी तरीके से नोकरी कर रहे हैं। उनको उनके देश में भेजा जा रहा है। ऐसे लोग 23 जुलाई 2017 से पहले-पहले अपने देश के दूतावास से सम्पर्क तक अपना पासपोर्ट बनवा सकते हैं।
 
   हरीचंद ने बताया कि सरकार के इस घोषणा के बाद वह अरब स्थित भारतीय दूतावास गया जहां उसने अपना पास्पोर्ट बनवा लिया क्योंकि उसका पासपोर्ट पहले वाले कफील के पास रह गया था। हरीचंद का कहना है कि वह खुरूज यानि देश निकासी का सर्टिफिकेट लेने के लिऐ जब साउदी अरब के दफतर में गया तो उनहोने बताया कि हरीचंद के खिलाफ उसके कफील ने चोरी का मुकदमा दर्ज करा रखा है। जब तक कफील हरी चंद को मांफ नहीं कर देता, या उससे समझोता नहीं हो जाता या फिर जब तक अदालत से कैस फाईन नहीं हो जाता तब तक वह साउदी अरब देश को नहीं छोड सकता है। इस लिऐ उन्होने खुरूज लगाने से साफ मना कर दिया।
 
   इतना सुनकर हरीचंद के हौश उड गऐ उसने साउदी अरब में मिलने वाले मेवाती, हिंदुस्तानी आदि से मदद मांगी लेकिन सभी ने अपने हाथ खडे कर दिये। हरीचंद ने भारतीय दूतावास में दर्जन भर चक्कर लगाऐ की वे ही उनकी कोई मदद कर दें लेकिन वहां की सरकार का अंदरूनी मामला होने की वजह से भारतीय अधिकारियों ने भी हरीचंद की मदद करने से साफ इंकार कर दिया। जब हरीचंद के सभी रास्ते बंद हो गऐ उसने मजबूर होकर सारी कहनी अपने परिजनों को बताई जिसकी वजह से हरीचंद की पूरी परिवार सदमें में आ गया। 
 
  आखिरकार हरिचंद का परिवार हमारे संवाददाता यूनुस अलवी तक पहुंचा जहां उन्होने हरीचंद की दुख भरी दास्तां कों प्रमुखता से छापा। जिसपर भारतीय सरकार ने तो काई ऐक्शन नहीं लिया लेकिन ये खबर साउदी अरब में बतौर मैनेजर एक कंपनी में काम हर रहे मेवात के गांव अटेरना-नगीना निवासी हनीफ सईद ने पोर्टल पर पढ कर हरीचंद की ढूंड कर उसकी मदद के लिऐ एक फरीश्ता बनकर काम किया।
 
  हनीफ ने फोन पर बताया कि एक मेवाती और हिंदुस्तानी होने के नाते हरीचंद की मदद करना उसका फर्ज बनता था इसलिए उसने हरीचंद की मदद की। जिस कफील ने हरीचंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रखा था उससे समझोता कराने के लिये वह साउदी के शेख बंदर अल मोटेरी और हामिद अल ऑनजी को साथ लेकर गया। आखिर कार बडी जद्दोजहद के बाद कफील ने समझोता किया। हनीफ का कहना है कि समझोता को वहां कि पुलिस ने मंजूर कर लिया है। अब हरीचंद के पासपोर्ट पर खुरूज या निकासी की मोहर निकलना बाकी है। फिलहाल वे खुरूज लगवाने के लिये वहां के शहर जवाजट में हैं। उम्मीद है कि आज रात तक निकासी की मुहर लग जाऐगी। उसके बाद एक दो दिन में हरीचंद को भारत भेज दिया जाऐगा।
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