नई दिल्ली : मिडिया की ख़बरों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में राजग के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए वेंकैया नायडू के नाम पर मुहर लग गई है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नायडू राजग के प्रत्याशी होंगे. यूपीए ने इस पद के लिए महात्मा गाँधी के प्रपोत्र गोपाल कृष्णा गाँधी को अपना प्रत्याशी बनायाहै.
खबर है कि बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राजग के गठबंधन दलों से भी बात की है. बताया जाता है कि सभी सहयोगी दल नायडू के नाम को लेकर सहमत हैं.
गौरतलब है कि इस प्रकार के संकेत पहले सी मिल रहे थे और बैठक में जाने से पहले स्याम श्री नायडू ने भी कहा था कि पार्टी जो निर्णय करेगी वो उन्हें मंजूर होगा. राजनितिक विश्लेषक बताते हैं कि नायडू के अलावा महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव और पश्चिम बंगाल के गवर्नर केसरी नाथ त्रिपाठी का नाम भी चर्चा में आया था लेकिन अंततः नायडू के नाम पर सहमति बनी. माना जा रहा है कि नायडू दक्षिण भारत से सम्बन्ध रखते है और सभी पार्टियों के नेताओं से इनके सम्बन्ध अच्छे हैं. दूसरी तरफ प्रधान मंत्री उत्तर भारत से और अब राष्ट्रपति भी उत्तर भारत से बनना तय है ऐसे में दक्षिण भारत के लोगों में मजबूत सन्देश देने के लिए ज़रूरी था कि इस दूसरे सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर किसी दक्षिण भारतीय राजनेता को बैठाया जय जो वरिष्ठ भी और निर्विवाद भी रहे हों. साथ ही भाजपा को एक ऐसे उपराष्ट्रपति की जरूरत थी जो राज्यसभा में संतुलन बनाए रखे. यह तर्क बेहद मजबूत है की नायडू के पास विधायी कार्यों का बड़ा अनुभव है.
वेंकैया नायडू आंध्रप्रदेश से सम्बन्ध रखते हैं. पूरे देश में अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में जुटी भाजपा को दक्षिण का दांव चलना भविष्य के लिए ठीक लग रहा है. इससे 2019 में दक्षिण भारत में पार्टी को फायदा हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि वेंकैया नायडू चार बार राज्यसभा के सांसद रहे हैं और वर्त्तमान में राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं. क्योंकि राज्यसभा में भाजपा का संख्याबल कम है, इसलिए राज्यसभा का ही कोई अनुभवी नेता पार्टी को चाहिए. नायडू पहली बार 1998 में राज्यसभा में पहुंचे थे और फिर 2004, 2010 और 2016 में वह फिर राज्यसभा में आये .
उनके राजनीतिक अनुभव और संसदीय दक्षता के साथ साथ उन्हें संघ का भी विस्वास पात्र माना जाता है. संघ की गतिविधियों व विचारधारा को नजदीक से समझने वाले नायडू ऐसे नेता है जो 1975 के दौरान इमरजेंसी में जेल भी गए.
पार्टी संगठन में भी नीचे से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचे. 1977 से 1980 के बीच जनता पार्टी के समय में वे यूथ विंग के अध्यक्ष रहे. 1978 में विधायक बने . 1980 से 1983 के बीच भाजपा यूथ विंग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए , आंध्र प्रदेश में 1980 से 85 तक विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष रहे , 1988 से 1993 के बीच वह आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बने. 1993 से 2000 तक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने. और वह समय भी आया जब नायडू 2002 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पहुंचे और दिसंबर 2002 तक इस पद पर बने रहे. फिर 2004 में वे दोबारा अध्यक्ष बने.
सगठन में फ्र्बदल का असर इन पर भी पड़ा और अप्रैल 2005 के बाद पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाए गए जबकि वर्ष 2006 के बाद परी की पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य हैं.
केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी वेंकैया नायडू सरकार में अहम् स्थान पर रहे .अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री रहे जबकि वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार के दौरान शहरी विकास मंत्रालय की बागडोर संभाली. संसदीय कार्यमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री का कार्यभार भी देख रहे हैं.