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हरियाणा सरकार ने किया सख्त नियम लागू
पांच हजार रु. जुर्माना और तीन वर्ष कारावास की सजा का प्रावधान
चण्डीगढ़, 6 अप्रैल : हरियाणा सरकार ने राज्य में सडक़ अवसंरचना के दुरूपयोग, नुकसान, अनधिकृत उपयोग तथा अधिक्रमण को रोकने के लिए और उससे संबंधित या उनसे आनुषंगिक मामलों के लिए हरियाणा सडक़ अवसंरचना संरक्षण अधिनियम, 2017 अधिसूचित किया है।
कौन कौन सी गतिविधि है गैरकानूनी ?
लोक निर्माण(भवन एवं सडक़ें) विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि सडक़ अवसंरचना संरक्षण अधिनियम के तहत सडक़ अवसंरचना के अधीन सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करना, उस पर या उससे कोई स्थायी, अस्थायी चल संरचना का निर्माण करना, पशु को बांधने सहित वर्कशाप लगाकर और वाणिज्यिक गतिविधियां कार्यान्वित करके सडक़ का दुरूपयोग करना, सडक़ की ओर जल निकासी और क्रास जल निकासी प्रणाली में बाधा डालना या नुकसान पहुंचाना, सडक़ अवसंरचना की ओर जल,मल निस्सार या गंदगी मोडऩा, उत्खनित मिटटी या मलबा या कोई अन्य सामग्री का ढेर लगाना या फेंकना, सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना सडक़ अवसंरचना को खोदना या नुकसान पहुंचाना, अनधिकृत हैंडपम्प, बोर वैल या पैट्रोल पम्प लगाना प्रतिबंधित होगा। इसके अतिरिक्त, सडक़ अवसंरचना पर सडक़ की ओर पौधारोपण, नर्सरियों, बाड़ों और अन्य भू-दृश्य वस्तुओं को नुकसान पहुंचाना या उखाडऩा, अनधिकृत होडिंग्ज लगाना, अनधिकृत स्वागत द्वार बन्दनवार लगाना, क्षेत्र में खनन के कारण सडक़ अवसंरचना को नुकसान पहुंचाना, उस पर किसी संरचना या मंदिर का परिनिर्माण या निर्माण करना और कोई अन्य गतिविधि, जो राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निषिद्घ गतिविधि के रूप में घोषित की गई हो, करने पर प्रतिबंध होगा।
कितना जुर्माना भरना होगा ?
प्रवक्ता ने बताया कि किसी निषिद्घ गतिविधि के घटित होने पर सक्षम प्राधिकारी ऐसा करने वाले व्यक्ति को तुरंत कार्यवाही रोकने, जहां आवश्यक हो, सडक़ अवसंरचना को पुन: मूल स्थिति में लाने के निर्देश देगा और उसे तीन दिन से अधिक का समय नहीं दिया जाएगा। उपधारा(1)के तहत सक्षम प्राधिकारी का आदेश निषिद्घ गतिविधि को लिखित रूप में वर्णित करेगा और ऐसी घटना का अवस्थान, गतिविधि का विस्तार तथा पहले से हुए या हो रहे नुकसान को स्केच रूप में भी दिखाएगा।
उन्होंने बताया कि आदेशों का अनुपालन न होने पर सक्षम प्राधिकारी 5,000 रुपये तक के जुर्माने के अतिरिक्त व्यक्ति की लागत पर स्थिति को पुन: स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। यह खर्च भू-राजस्व के बकायों के रूप में वसूल किया जाएगा और सक्षम प्राधिकारी निषिद्घ गतिविधि में उपयोग की गई सामग्री, मशीनरी आदि को निहित रीति में जब्त करेगा। सक्षम प्राधिकारी या इस निमित्त उस द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को इस धारा के अधीन कोई नोटिस जारी किए बिना सडक़ पर अनधिकृत कब्जा हटाने की शक्ति होगी। यदि ऐसा अनधिकृत कब्जा, खुली हवा में या अस्थाई स्टाल, छतरी, बूथ या अस्थायी दुकान के माध्यम से किसी पदार्थ या वस्तु को प्रदर्शित करने, स्थाई या अस्थाई निर्माण या परिनिर्माण अथवा अनधिकृत प्रवेश या अतिक्रमण, जो किसी मशीन या अन्य यंत्र के प्रयोग के बिना हटाया जा सकता है, के स्वरूप का है, तो ऐसा कब्जा हटाने के लिए सक्षम प्राधिकारी या ऐसा अधिकारी उपयुक्त बल का उपयोग करके ऐसा कब्जा हटाने के लिए पुलिस की सहायता ले सकता है।
अपील करने का क्या है प्रावधान ?
प्रवक्ता ने बताया कि सक्षम प्राधिकारी इस अधिनियम के तहत उन्हें सौंपी गई सभी या कोई शक्ति और कार्य अपने अधीनस्थ सहायक उपमंडल अभियंता या कनिष्ठ अभियंता को सौंप सकता है। व्यथित व्यक्ति सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेशों के विरूद्घ पुष्टिकारी प्राधिकारी के समक्ष आदेश प्राप्त होने की तिथि से तीन दिनों के भीतर आपत्ति दायर कर सकता है। पुष्टिकारी अधिकारी सुनवाई का अवसर देने के बाद पांच दिन की अवधि के भीतर मौखिक और सकारण आदेश के माध्यम से सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश को पुष्ट या निरस्त कर सकता है। पुष्टि प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशों के विरूद्घ की गई अपील पर अपीलीय प्राधिकारी द्वारा केवल तभी विचार किया जाएगा यदि ऐसी अपील ओदश जारी होने के 15 दिनों के भीतर दायर की जाती है। परन्तु विनिर्दिष्टï अवधि की समाप्ति के बाद भी अपील पर विचार किया जा सकता है यदि अपीलकत्र्ता अपीलीय प्राधिकारी को संतुष्टï कर देता है कि उसके पास उस अवधि के भीतर अपील न करने के लिए पर्याप्त कारण था। अपीलकत्र्ता, ऐसे आदेश के विरूद्घ अपील दायर करते समय सक्षम प्राधिकारी द्वारा यथानिर्धारित पुर्वानुमानित पुन: स्थापन लागत जमा करवाएगा।
तीन वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा
उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने और दोष सिद्घ होने पर व्यक्ति को तीन वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है। इस अधिनियम के तहत जहां कोई अपराध कम्पनी द्वारा किया गया है तो अपराध के समय कारोबार के संचालन के लिए कम्पनी का प्रभारी या उसके लिए उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति के विरूद्घ कार्यवाही की जा सकती है। परन्तु इस उपराधारा में दी गई कोई भी बात किसी ऐसे व्यक्ति को किसी दण्ड के लिए उत्तरदायी नहीं बनाएगी जो यह सिद्घ कर देता है कि अपराध उसके ज्ञान के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध को करने से बचने के लिए सभी सम्यक तत्परता बरती थी। इस अधिनियम के तहत यदि कोई अपराध कम्पनी द्वारा किया जाता है और यह सिद्घ हो जाता है कि अपराध सहमति या मिलीभगत से किया गया है या कि अपराध का करना कम्पनी के निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी के भाग पर किसी उपेक्षा के फलस्वरूप किया गया माना जा सकता है तो ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी के विरूद्घ भी कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार दण्डनीय होंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या किए गए किसी आदेश के अनुपालन में की गई या की जाने वाली किसी बात के लिए किसी व्यक्ति के विरूद्घ कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं होगी। इसीप्रकार, इस अधिनियम के तहत सदभावनापूर्वक की गई कार्यवाही का संरक्षण करते हुए इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या किए गए किसी आदेश के अनुपालन में की गई या की जाने वाली कार्यवाही द्वारा हुए या होने वाले संभाव्य किसी नुकसान के लिए सरकार या सक्षम प्राधिकारी के विरूद्घ भी कोई वाद या अन्य विधिक कार्यवाहियां नहीं होंगी। इस अधिनियम या इसके तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत आने वाले किसी भी मामले से संबंधित किसी भी प्रश्न पर विचार करना या उस पर निर्णय लेना किसी भी सिविल न्यायालय का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।