आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में कर्णाटक उच्च न्यायालय का फैसला खारिज
यह केस 21 साल पुराना
शशिकला अब 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी
नई दिल्ली/चेन्नई : मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ओ पनीरसेल्वम के साथ उलझीं अन्नाद्रमुक महासचिव शशिकला के राजनीतिक भविष्य पर अब विराम लग गया. आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में उच्चतम न्यायालय का अहम फैसला मंगलवार को आ गया। इस मामले में शशिकला को सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई है। यह केस 21 साल पुराना है जिसका आज फैसला आया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया, साथ ही सेशंस कोर्ट के फैसले को बहाल कर दिया।
जाहिर है सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शशिकला का राजनीतिक सपना अब टूट गया है। चार साल से अधिक सजा मिलने के चलते अचानक राजनितिक क्षितिज पर आई शशिकला अब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी। शशिकला को अब पुलिस के सामने तत्काल सरेंडर करना होगा और उन्हें जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शशिकला अब 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।
शशिकला के अलावा सुधाकरन और इल्वरासी को 4 साल की कैद और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को तुरंत सरेंडर करने को कहा है। अब उनके पास सिर्फ पुर्नविचार याचिका दायर करने का विकल्प है लेकिन उसमें समय लगेगा। शशिकला के पास अब सरेंडर करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
जयललिता के निधन का बाद उनका मामला खत्म कर दिया गया है। अब शशिकला को 10 साल तक कोई राजनीतिक पद नहीं मिल पाएगा और न ही चुनाव लड़ पाएंगी। बता दें कि इस केस में शशिकला 6 महीने की सजा पहले काट चुकी हैं, ऐसे में उन्हें अब जेल में साढ़े तीन साल सजा के तौर काटनी होगी।
इस फैसले के साथ ही तमिलनाडु में चल रहे सत्ता संघर्ष को आज नयी दिशा मिल गई। पनीरसेल्वम के मुख्यमंत्री बनने की संभावना अब ज्यादा हो गई है। बता दें कि इस मामले में अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला आरोपी हैं। हालांकि, शशिकला शीर्ष कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए। शांति बनाए रखें। कोई कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश ना करे। कानून सभी के लिए बराबर है।
उल्लेखनीय है कि आय से अधिक सम्पत्ति का यह मामला 21 साल पुराना है, तब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था। इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था। शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जे जयललिता और उनकी प्रमुख सहयोगी वी के शशिकला को सभी आरोपों से बरी कर दिया था जिसके बाद कर्नाटक सरकार और अन्य ने इस फैसले को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष सात जून को मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था।
हालाकिं इस बात की चर्चा पहले से ही थी कि लंबे समय तक जयललिता की साथी रहीं शशिकला का राजनीतिक भविष्य पूरी तरह उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर है । पांच फरवरी को अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुनी गयीं शशिकला दोषसिद्धि की स्थिति में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गई हैं और इस तरह मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा पर पानी फिर गया।
उधर, अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आज तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव को सलाह दी है कि शशिकला और कार्यवाहक मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम में से किन्हें अन्नाद्रमुक विधायकों का बहुमत प्राप्त है यह तय करने के लिए शक्ति परीक्षण के वास्ते विधानसभा का सत्र एक हफ्ते के अंदर बुलाया जाए। सूत्रों ने बताया कि रोहतगी ने कहा है कि ‘उन्हें (राज्यपाल को) एक हफ्ते के अंदर विशेष सत्र बुलाना चाहिए और शक्ति परीक्षण कराना चाहिए जैसा कि जगदंबिका पाल प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था। अटार्नी जनरल ने जगदंबिका पाल से जुड़े उच्चतम न्यायालय के 1998 के फैसले का हवाला दिया। तब शीर्ष अदलात ने आदेश दिया था कि दो दावेदारों- पाल एवं कल्याण सिंह में किन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए बहुमत प्राप्त है, यह तय करने के लिए सदन में शक्ति परीक्षण कराया जाए।