कांग्रेस की दूसरी सूचि जारी, गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर को टिकट : जीत की राह कितनी आसान ?

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सुभाष चौधरी/The Public World

गुरुग्राम। हरियाणा कांग्रेस ने विधानसभा 2024 के लिए अपने 9 उम्मीदवारों की दूसरी सूचि आज जारी कर दी है। पार्टी ने बादशाह पुर से वर्धन यादव जबकि गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर को प्रत्याशी बनाया है। मोहित ग्रोवर कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष स्व मदन लाल ग्रोवर के पुत्र है ।

मोहित ग्रोवर वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गुरुग्राम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में उतरे थे। दूसरे नंबर पर रहते हुए इन्हें 48000 से अधिक मत हासिल हुए थे। इस बार कुछ माह पूर्व ही इन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली और अब पार्टी ने इन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है।

हालांकि इनको लेकर राजनीतिक विश्लेषक कई प्रकार की आशंका जता रहे थे लेकिंन सारी आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कांग्रेस पार्टी ने इन्हें टिकट दिया है। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार चुनाव में फूंक फूंक कर कदम रखना चाहते हैं। गुरुग्राम में उनके सामने पंजाबी समाज के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था क्योंकि भाजपा ने यहां अपने वर्तमान विधायक सुधीर सिंगला जो अग्रवाल समाज से है का टिकट काटते हुए ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखने वाले मुकेश शर्मा को मैदान में उतारा है।

भाजपा के इस निर्णय से यह साफ हो गया था कि कांग्रेस या तो किसी अग्रवाल समाज के व्यक्ति को टिकट दे या फिर पंजाबी समाज से प्रत्याशी उतारे। इस मामले में मोहित ग्रोवर जो पंजाबी समाज से हैं और पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में रहते हुए 48 हजार से अधिक वोट लेने में कामयाब रहे थे की दावेदारी मजबूत दिखी।

कांग्रेस पार्टी का आकलन है कि वैश्य समाज और पंजाबी समाज भाजपा से टिकट नहीं दिए जाने को लेकर नाराज है। इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को मिलना तय है। इसलिए पार्टी ने पंजाबी समाज को टिकट देकर जीत का रास्ता साफ करने की चाल चली है। भाजपा से भी पंजाबी समाज के बोधराज सीकरी सहित कई नेता टिकट के दावेदार थे लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं मिलने से उनके समर्थकों में खासा नाराजगी देखने को मिल रही है। लगातार भाजपा विरोधी बयान पंजाबी समाज से आ रहे हैं। कई बैठकें हो चुकी है लेकिन पंजाबी समाज की ओर से कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने वाले सुर सुनाई नहीं पड़े हैं। हाँ यह जरूर कहा जाता रहा है कि सभी पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी को ही समर्थन देंगे।

तब भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए पंजाबी समाज बैठकें कर रहा था लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति में समाज के मतदाताओं का क्या रुख होगा यह अगले दो तीन दिनों में स्पष्ट होगा। पिछले कई चुनावों से भाजपा के लिए बहुतायत में वोट करने वाले पंजाबी समाज के मतदाता किस दिशा में जाएंगे यह देखना बाद दिलचस्प होगा। उनका झुकाव तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर रहता था लेकिन अब वे प्रदेश का नेतृत्व नहीं कर रहे हैं। उन्हें भाजपा की सूचि में अपने समर्थकों को प्रवेश कराने में उतनी सफलता नहीं मिली जितनी उम्मीद थी। केंद्रीय मंत्री के रूप में उनकी सक्रियता हरियाणा की स्थानीय राजनीति में धीरे धीरे कम होती नजर आ रही है।

वैसे तो गुरुग्राम सीट का चरित्र बहुरंगी हो चुका है क्योंकिं यहां बड़ी संख्या में पूर्वांचली वोटर्स भी रहते है जिनकी संख्या 70 से 75 हजार मानी का रही है जबकि पंजाबी समाज के लगभग 1 लाख 25 हजार वोट होने का दावा किया जा रहा है । वैश्य समाज भी 40 से 50 हजार की संख्या में है जबकि ब्राह्मण भी वैश्य समाज के बराबर है। इस सीट पर यादव समाज के वोटर्स भी अच्छी संख्या में हैं जबकि दो बार जिस जाट समाज के विधायक यहां से जीत कर चंडीगढ़ पहुंचे उनकी संख्या भी ठीकठाक है। दलित समाज के वोटर्स भी 12 से 15 प्रतिशत के आंकड़े में गुरुग्राम क्षेत्र में रहते हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी मोहित ग्रोवर को जातिगत समीकरणों को लेकर संजीदा होना होगा क्योंकि यहां कई सवाल उठ रहे हैं। पहला यह कि क्या वैश्य समाज वाकई भाजपा से नाराज होकर एकमुश्त कांग्रेस के साथ जा सकते हैं ? और दूसरा यह कि पंजाबी समाज जो पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से कई कुनबे में बंटा है कांग्रेस उम्मीदवार के लिए एकता का प्रदर्शन करेगा ?  तीसरा सवाल यह है कि क्या पंजाबी समाज के एक दर्जन से भी अधिक ऐसे क्षत्रप जो वर्षों से विधायक बनने को छटपटा रहे हैं और मोहित ग्रोवर परिवार के कट्टर विरोधी रहे हैं वे कांग्रेस पार्टी की राह आसान होने देंगे ? और चौथा सवाल यह है कि पूर्व में मंत्री रहे और दो बार का कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके सुखबीर कटारिया तन और मन से मोहित ग्रोवर का साथ देंगे ? सुखबीर कटारिया को पिछली बार लगभग 20 हजार वोट मिले थे।

इन सवालों का माकूल जवाब कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को ढूंढ़ना होगा। जबकि ब्राह्मण समाज का मुकेश शर्मा के पक्ष में गोलबंद होना तय माना जा रहा है जबकि वैश्य समाज मे बहुतायत भाजपा के कोर वोटर्स यानी कैडर रहे हैं। गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत जो स्वयं यादव समाज से हैं का असर यादव वोटर्स पर है , फिर यादव वोटर्स भाजपा का साथ कैसे छोड़ेंगे ? पिछले 5 वर्षों में मुकेश शर्मा ने चाहे सामाजिक गतिविधि हो या धार्मिक , के माध्यम से पूर्वांचली समाज में भी पैठ बनाई है। भाजपा के लाभार्थी भी बड़ी संख्या में हैं। साथ ही गुरुग्राम के विकसित इलाके जहां 90 पोलिंग बूथों पर रहने वाले मतदाता केवल भाजपा को ही वोट करते रहे हैं उनमें कौन कितनी सेंध लगा पायेगा यह सवाल भी यक्ष प्रश्न की तरह मुंह बाए खड़ा है । क्योंकि उन्ही 90 बूथों के मतदाताओं ने 2019 में मोहित ग्रोवर को पूरी तरह नकार दिया था।

अब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में डीएलएफ और विकसित सेक्टरों के निवासी इनको लेकर क्या रुख अपनाते हैं इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा ।

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राजनीतिक विश्लेषण की दूरी कड़ी का करें इंतजार  :

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