जवाहर नवोदय विद्यालयों के सोलह छात्रों द्वारा खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान 2021 के तहत खोजे गए आठ क्षुद्रग्रहों को इंटरनेशनल ऐस्ट्रनॉमिकल सर्च कोलाबरेशन द्वारा “प्रोविजनल स्टेटस” प्रदान किया गया है।
Indian Research Papers
अब 15 मिनट में ही पानी और खाद्य नमूनों में आर्सेनिक का पता लगाना संभव
इंस्पायर फैकल्टी फेलो डॉ. वनीश कुमार ने 15 मिनट में ही पानी और खाद्य नमूनों में आर्सेनिक संदूषण का पता लगाने के लिए एक अति-संवेदनशील तथा उपयोग में आसान सेंसर विकसित किया है। यह सेंसर अत्यंत संवेदनशील, चयनात्मक तथा एक ही चरण की प्रक्रिया वाला है और यह विभिन्न तरह के पानी और खाद्य नमूनों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
तारा टूटने से उत्पन्न गामा-किरण विस्फोट को देखने वाले खगोलविदों में भारतीय खगोलविद भी शामिल
खगोलविदों के एक समूह ने उच्च-ऊर्जा विकिरण के एक बहुत ही कम अवधि के ऐसे शक्तिशाली विस्फोट का पता लगाया है जो लगभग एक सेकंड तक हुआ और हमारे ब्रह्मांड की वर्तमान आयु की लगभग आधी दूरी से पृथ्वी की ओर दौड़ रहा था। सुदूर अंतरिक्ष में एक विशाल तारे की मृत्यु के कारण हुआ यह सबसे छोटा गामा-रे विस्फोट
आईआईटी, रोपड़ ने अपनी तरह की पहली ऑक्सीजन राशनिंग डिवाइस-एमलेक्स विकसित की
डीआरडीओ ने औद्योगिक पैमाने पर स्वदेशी हाई स्ट्रेंथ बीटा टाइटेनियम मिश्र धातु विकसित की
भारतीय वैज्ञानिक द्वारा विकसित जैव शौचालय सात गुना सस्ता
अन्य ऊर्जा स्रोत से चमकने वाला दुर्लभ सुपर ल्यूमिनस सुपरनोवा की खोज
भारतीय शोधकर्ताओं ने एक अत्यंत उज्जवल और हाइड्रोजन कमी के साथ तेजी से उभरने वाले सुपरनोवा का पता लगाया है जो एक अति-शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र के साथ एक अनोखे न्यूट्रॉन तारे से ऊर्जा लेकर चमकता है। ऐसी प्राचीन आकाशीय पिंडों के गहन अध्ययन से प्रारंभिक ब्रह्मांड के रहस्यों की जांच करने में मदद मिल सकती है।
डीबीटी-आईएलएस ने नमक-स्रावित मैंग्रोव प्रजाति के जीनोम को डिकोड किया
डीबीटी-इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर और एसआरएम-डीबीटी पार्टनरशिप प्लेटफॉर्म फॉर एडवांस्ड लाइफ साइंसेज टेक्नोलॉजीज, एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तमिलनाडु के वैज्ञानिकों ने पहली बार अत्यधिक नमक सहिष्णु और नमक-स्रावित ट्रू-मैंग्रोव प्रजाति, एविसेनिया मरीना के संदर्भ-ग्रेड के एक पूरे जीनोम अनुक्रम की जानकारी दी है।
जंगल की आग का बादल फटने की घटना के साथ संबंध !
हिमालय की तलहटी में बादल फटने की घटना से जिस तरह से जीवन प्रभावित हो रहा है, क्या वह जंगल की आग से जुड़ा हुआ है? हाल ही के एक अध्ययन में छोटे कणों के बनने के बीच एक संबंध पाया गया है, एक बादल की छोटी बूंद का आकार जिस पर जल वाष्प संघनित होकर बादलों का निर्माण करता और जंगल की आग उत्पन्न होती है। क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियर (सीसीएनएस) नामक ऐसे कणों की मात्रा पाई गईं हैं जिनका जंगल की आग की घटनाओं गहरा सम्बंध है।