कोरोनल मास इजेक्शन के बीच पारस्परिक क्रिया उनकी उत्पति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है 

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नई दिल्ली :   खगोलविदों की एक टीम ने पाया है कि दो अलग-अलग कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) में दो ग्रहों के बीच माध्यम में पारस्परिक क्रिया पृथ्वी की तरफ बढ़ते हुए उनकी उत्पति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और फ्लेयर्स हमारे सौरमंडल की सबसे बड़ी विस्फोट घटना हैं। फ्लेयर्स को सौर वातावरण में अचानक प्रलयंकारी ढंग से ऊर्जा रिलीज होने वाली घटना के तौर पर जाना जाता है। ज्वाला विस्फोट के समय कुछ ही मिनटों में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। सौर ज्वाला के सफल विस्फोट के बाद, हम उसी क्षेत्र से सीएमई को देख सकते हैं, जो तब बाहर की ओर सफर करता है। जब ऐसा सीएमई पृथ्वी से टकराता है, तो वह उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकता है और साथ ही हमारी संचार प्रणालियों में व्यवधान पैदा कर सकता है। इसलिए, हाल के वर्षों में सीएमई उत्पति की भविष्यवाणी करना महत्वपूर्ण हो गया है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के शोधकर्ताओं और उनके सहयोगियों ने 02 मई, 2013 और 16 फरवरी, 2014 को दो ऐसे सीएमई देखे जो सूर्य पर एक गोलाकार रिबन संरचना से उत्पन्न हुए और वायुमंडलीय इमेजिंग असेंबली (एआईए) के डेटा के साथ उनका अनुसरण किया।

उन्होंने लार्ज एंगल और स्पेक्ट्रोमेट्रिक कोरोनोग्राफ (एलएएससीओ), सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशंस ऑब्जर्वेटरी (एसटीईआरईओ), और एम्स कोरोनोग्राफ एक्सपेरिमेंट (एसीई) प्रयोगशाला के पर्यवेक्षणों के डेटा का उपयोग किया। यह शोध पत्र हाल ही में ’रिसर्च इन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स/आईओपी’ में प्रकाशित हुआ है।

 

वैज्ञानिकों ने पाया कि सौर डिस्क में सीएमई का स्थान एक महत्वपूर्ण कारक है जो कोरोना में इसके प्रक्षेप पथ और अंतर-ग्रहीय माध्यम में परवर्ती उत्पति को तय करता है। इसके अलावा, यह विस्फोट स्रोत क्षेत्र से अत्यधिक विचलित है। मुख्य विस्फोट के बाद, सीएमई का एक बड़ा हिस्सा सूर्य के उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बढ़ गया। अंत में, सीएमई का केवल एक छोटा सा हिस्सा पृथ्वी की ओर प्रसारित होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रस्फुटित सीएमई सूर्य के निकट पिछले दो सीएमई के साथ पारस्परिक क्रिया कर रहा है। इस पारस्परिक क्रिया के कारण काफी संभव है कि इस सीएमई अपनी ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा खो दिया होगा। उनके विश्लेषण से पता चलता है कि यह सीएमई अंतर-ग्रहीय क्षेत्र में बिखर गया। एक निश्चित दूरी की यात्रा के बाद, यह सीएमई अंतर-ग्रहीय सीएमई, या आईसीएमई से जुड़ा, सौर पवन के साथ मिल गया।

 

शोध-पत्र के मुख्य लेखक सैयद इब्राहिम ने कहा,’’हमारे अध्ययन से पता चलता है कि सीएमई विक्षेपण और सीएमई-सीएमई पारस्परिक क्रिया दो ग्रहों के बीच के माध्यम में प्रसार को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण थे। हम भविष्य में सर्कुलर रिबन इरप्टिव फ्लेयर्स की एक शृंखला के सीएमई अवलोकनों का विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं।’’

प्रकाशन लिंक: DOI: https://iopscience.iop.org/article/10.1088/1674-4527/21/12/318/meta विस्तृत जानकारी के लिए सैयद इब्राहिम से ([email protected]) पर संपर्क किया जा सकता है।

https://i0.wp.com/static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00150MD.png?w=715&ssl=1

चित्र- 1 सौर ज्वाला और कोरोनल मास इजेक्शन विस्फोट 2 मई 2013 को सौर डिस्क पर देखा गया। (ए) मैग्नेटोग्राम बिंब, केंद्रीय सकारात्मक ध्रुवीयता (सफेद क्षेत्र) एक गोलाकार प्रकार के नकारात्मक चुंबकीय ध्रुवता (काला) क्षेत्र से घिरा हुआ है जिसे है डैश युक्त सफेद वृत्त द्वारा दर्शाया गया है। (बी) सनस्पॉट (सी) और डी) बहु-तरंग दैध्र्य अवलोकन (ई) मेष एच-अल्फा अवलोकन।

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